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मंगलवार, 28 जून 2011

आठवीं फेल बाबा औ र ये पढ़े लिखे. लोग ......

koi bhi artist chahe vo painter ho ,musician ho unse certificate ,education
nahi mangti.....unks work bolta hai.......
waise hi baba ramdev ne desh ke logo ko health ke prati jis terah se jagaya
hai vo manan karne ke yogya hai......
meine bhi bina kuch bhi anya prayas ke sirf one month mein unke surya pranam
vo bhi on line video dekh ker 2 kg.weight kam kiya......
aur itni janta ne unse kitna laabh uthaya hoga...........iski garna nahi ki
ja sakti ........
aur aaj unki education ko highlight kiya ja raha hai..........bahut galat
baat hai.......
logo ko kisi ko dekhne ka nazeriya badalna chahiye............
hame ye zera bhi nahi bhulna chaiye ki unhone ddesh ko kitna gyan diya
hai.....
health is wealth......ye kyo bhul jate hai........
ham wealth bhi tabhi use ker payenge jub health hogi.......

2011/6/27 Sudhir Gupta

> Dushyant mai tumhare baato se sahmat hun....
> ------------------------------
> *From:* Dr shyam gupt
> *To:* loktantra@googlegroups.com
> *Sent:* Sunday, 26 June 2011 12:46 PM
> *Subject:* Re: विप्लव विकल्प विकास Fwd: Fw: आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े
> लिखे. लोग ......
>
> एक दम सही टिप्पणी ...बधाई ..
>
> 2011/6/25 Dr. Ernest Albert
>
> अच्छा है ये लेख , कई परतें खोलता हुआ ! देश के जगजगाते प्रजातंत्र को
> भी सलाम करता हुआ !
> ज्ञानी ज़ैल सिंह याद आते हैं , मुख्य मंत्री भी रहे और देश के राष्ट्रपति भी
> !
> इसके एकदम उलट जाते हुए आज देखें तो ये क्रिकटर धोनी , ईशान आदि तो अभी दो साल
> पहले प्लस टू
> से जूझ रहे थे !
> आज भी अपने काफी नेतागण शायद ही किसी कालेज की डिग्री रखते हों !
> बाबा रामदेव आठवीं पास हैं, स्कूल गये भी की नहीं
> बाबा राम मुरारी , वो श्री श्री रविशंकर अन्य कितने सारे बाबा लोग , ये सब
> कितना पढ़े लिखे ?
> या वो मुंबई के "डब्बा वाला" जो हर दिन लाखों खाने के डिब्बे लोगों की टेबल तक
> पहुंचा देते हैं , जिनको हारवर्ड विश्वविद्यालय ने नवाज़ा !
> या वो अप्पा राव जो आज तक 82000 मुर्दे बा-इज्ज़त ठिकाने लगा चुके हैं उनकी
> एजुकेशन क्या है !
> ये सचमुच कुछ समाज-सुधार तो कर ही रहे की नहीं !
> सत्य साईं बाबा के कई मामले सामने आ रहे पर क्या उन्होंने, उनकी संस्थाओं ने
> कुछ भी अच्छा नहीं किया ?
> लाखों जनता की सेवा-सुश्रा में ये सब लगे हुए!
> अब इनके बर-अक्स अपने नेता लोग ?
> मैं ये मान के चलता हूँ की सारे के सारे भ्रष्ट नहीं , पर देश किस रसातल में ?
> और क्यों ?
> हमारे बीज, हमारी खेती हमारे किसान विदेशी कंपनियों के चंगुल में ...इन नेताओं
> के रहते !
> हमारी शिक्षा पर विदेशी प्रभाव ,
> यहाँ ये बताना भी ज़रूरी की लोग, जनता भी बहुत संवेदनहीन हो चुकी , उस पर कोई
> बात का असर नहीं अब,
> वो अपनी ही गंगा को, अन्य नदियों को प्रदूषित करती जा रही
> पर्यावरण की समस्या को वो सरकारी मामला मान चुकी, खुद कुछ भी करने को तत्पर
> नहीं!
>
> संत, साधू , बाबा लोगों को पूरा हक है , उनकी (भी) जिम्मेवारी है की वो देश
> में फैले भ्रष्टाचार के विरोध में उठें
> और जो लोग कहते हैं की बाबा, साधू लोगों को ये नहीं करना चाहिए
> उसका सीधा सादा जवाब यही है कि "तो फिर जो वो आये दिन दशकों से स्कैम-घोटाले
> कर रहे, उन्हें भी ये नहीं करना चाहिए उनको ये काम करने के लिए नहीं चुना गया"
> !
>
> जिसने भी इस धरती पे जन्म लिया है, इसकी फसलें, इसका अन्न-जल ग्रहण किया है
> उसके पास हर अधिकार है कि वो अपनी आवाज़ भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाये !
> ये हम सबकी जिम्मेवारी, हमारा पवित्र दायित्व है !
>
> डॉ.अर्नेस्ट एल्बर्ट
>
>
>
> 2011/6/25 shrivikassaini
>
>
>
> ---------- Forwarded message ----------
> From: *vikas saini*
> Date: 2011/6/25
> Subject: Fw: आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......
> To: vikas Gmail vikas Gmail
>
>
>
>
> --- On *Sat, 25/6/11, balraj ji * wrote:
>
>
> From: balraj ji
> Subject: Fw: आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......
> To:
> Date: Saturday, 25 June, 2011, 4:36 PM
>
>
>
> --- *शनि, 25/6/11 को, balraj ji * ने लिखा:
>
>
> द्वारा: balraj ji
> विषय: Fw: आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......
> To:
> दिनांक: शनिवार, 25 जून, 2011, 4:33 PM
>
>
>
> --- *शनि, 25/6/11 को, balraj ji * ने लिखा:
>
>
> द्वारा: balraj ji
> विषय: आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......
> To:
> दिनांक: शनिवार, 25 जून, 2011, 9:52 AM
>
> आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......
> इधर रामदेव और उनके आन्दोलन पे काफी कुछ लिखा जा रहा है ....एक बात पे सभी
> लेखक सहमत है ...फिर वो चाहे अंग्रेजी के हों या हिंदी के .....कि बाबा आठवीं
> फेल है ......8th drop out .....अब मैं आपको बता दूं कि बाबा ने स्कूल ( अगर आप
> उसे स्कूल मानें तो ) आठवीं में छोड़ दिया और गुरुकुल खानपुर चले गए .........
> फिर वहां 20 साल तक उन्होंने संस्कृत का व्याकरण , litrature और दर्शन
> शास्त्र ...philosophy पढ़ा .......संस्कृत की पढ़ाई अष्टाध्यायी से शुरू
> होती है और महाभाष्य पे ख़तम पे होती है .इसमें बेहद brilliant students भी
> कम से कम दस साल लगाते है ..वैसे महाभाष्य के लिए तो सुना है की 20 साल भी कम
> हैं .....और महाभाष्य पढ़े student के सामने ये PhD लोग बच्चे लगते हैं
> ......अब हमारे मीडिया के ये पढ़े लिखे ( BA ) भाई लोग अगर बाबा को आठवीं फेल
> लिखते हैं अगर ,तो

सोमवार, 27 जून 2011

कांग्रेसी दंश (आधी रा�� को आजादी:लैरी कालिन्��� दामिनिक लैपियर)

देश की आजादी के वक्त गांधी जी अकेले पड़ गये थे.कांग्रेस सत्ता लोभी व महत्वाकांक्षी नेहरु व पटेल के चारो ओर केन्द्रित होने लगी थी.महात्मा गांधी तो चाहते थे कि कांग्रेस को भंग कर दिया जाए लेकिन-



लैरी कालिन्स दामिनिक लैपियर की पुस्तक'आधी रात की आजादी' के कुछ अंशों के माध्यम से आप देश की आजादी की नींव की नियति पर शायद पहुंच जाएं.



" नेहरु का सच्चा स्वरुप "




कैम्ब्रिज में उनके सहपाठियों की मंडली इतनी ऊंची थी कि उनमें से आज कोई प्रधानमंत्री बना था,कोई वायसराय,कोई महामना सम्राट के पद तक पहुंचा था,तो कोई जेल का अधिकारी . बंकिघम पैलेस के सोने की थाल में भोजन कर चुके थे. जिसमें वह भोजन भी हुआ करता था जो हिन्दू मुसलमानों के लिये निषिद्ध था.सात सालों में उन्होने इंग्लैण्ड का इतना कुछ ग्रहण कर लिया कि जब वे भारत लौटे तो यहां उनके रिश्तेदारों और दोस्तों ने देखा कि वह बुरी तरह अभारतीय हो चुके हैं.वे स्तब्ध रह गये जब एक स्थानीय ब्रिटिश क्लब में सदस्यता प्राप्त करने की उनकी अर्जी खारिज कर दी गयी.इसी घटना ने उन्हें गांधी के निकट लाकर खड़ा कर दिया.(पृष्ठ 77)




जवाहर लाल ने खादी पहनने को तो पहन ली थी लेकिन अपने सफेद टोपी के नीचे वह चुपचाप इंग्लिश जेण्टलमैन बने हुये थे. इस रहस्य को समझना आज भी मुश्किल है कि भारत जैसे नितान्त धार्मिक देश ने जवाहर लाल नेहरु जैसे नितांत अधार्मिक व्यक्ति के हाथों में अपनी बागडोर सौप कैसे दी?



लार्ड माउन्ट बेटन को जवाहर लाल की सांस्कारिता और मृदुता तुरन्त भा गई.वे जान गये कि जवाहर लाल अंतार्राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं का व्यक्ति है.आजाद होने के बाद भारत कामनवेल्थ की सदस्यता ग्रहण करने में नेहरु से पूरी सहायता मिलने की सम्भावना है.नोवाखाली में गांधी जी के भटकने के प्रति नेहरु की तीखी प्रतिक्रिया को समझते ही माउण्ट बेटन नेहरु को सबसे उपयोगी व्यक्ति समझने लगे . ( पृष्ठ 77-78)



यदि देश के विभाजन का फैसला करना पड़ गया तो इसमें सबसे बड़ी बाधा बनेंगे महात्मा गांधी.उनकी शक्ति को नाथने का सिर्फ एक तरीका होगा कांग्रेस के नेताओं का उनके साथ तीव्र मतभेद करा दिया जाय.यदि इस सीमा तक जाना ही पड़ गया,तो जवाहर लाल नेहरु से अमुल्य सहायता मिलने की पूरी सम्भावना है.लार्ड माउण्ट बेटन को जवाहर लाल अपने आदमी जैसे महसूस हो रहे थे.कांग्रेस पार्टी में कम से कम एक आदमी तो अपना होना ही चाहिए .जवाहर लाल का व्यक्ति अवश्य ऐसा है कि उन्हें महात्मा के विरुद्ध खड़ा किया जा सकता है.वशीकरण अभियान का जादू सर्वाधिक यदि किसी पर चल सकता है,तो जवाहर लाल नेहरु पर लार्ड माउण्ट बेटन ने उस कश्मीरी ब्राह्मण को वश में करने के लिये अपनी अधिकतम क्षमताओं को काम पर लगा दिया.यहां तक कि ऐडविना बेटन को भी.(पृष्ठ 80-81)



नेहरु ने कांग्रेस को देश व गांधी के सम्मान से निकल कर सत्ता लोभ में लिप्त कर दिया था.एक ओर देश साम्प्रदायिक आग में झुलस रहा था दूसरी ओर गांधी को छोंड़ अधिकांश कांग्रेसी नेहरु के साथ अंग्रेज अधिकारियों की पार्टियों प्याले से प्याले टकरा रहे थे.लार्ड माउण्ट बेटन के विभाजन योजना के दस्तावेज पर पं जवाहर लाल नेहरु,पटेल,आचार्य कृपलानी,मु,अली जिन्ना,लियाकत अली,रबनिरस्तर तथा बलदेव सिंह हस्ताक्षर कर चुके थे.परेशान हो 03जून1947को गांधी को तीखी प्रतिक्रिया देनी पड़ी-कांग्रेस को समाप्त करो.जिसकी सार्वजनिक घोषणा वे 4जून की प्रार्थना सभा मेँ करने वाले थे.4जून को पटेल नेहरु तो उनके सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाये,वायसराय को गांधी के पास भेज दिया.


उस चार जून को गांधी अपने उद्गार सार्वजनिक न कर पाये लेकिन इस 4 जून दूसरी आजादी के लिए अन्ना के सहयोग से बाबा रामदेव विदेशी कठपुतली कांग्रेस की सरकार की मौजुदगी में अनशन पर बैठे लेकिन....यह काग्रेस.....?!


कमबख्त यह देश की जनता कब जागेगी और पारदर्शिता की क्रान्ति में मददगार बनेगी ?पर्दे के पीछे का कांग्रेसी सच कब जनता जानना चाहेगी?सुभाष सम्बन्धी ,नेहरु व वायसराय मध्य वार्ता सम्बन्धी,लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु सम्बन्धी,आदि सम्बन्धी दस्तावेज गायब करवाने वाले कौन थे औ क्योँ?


आओ अन्ना व बाबा के आन्दोलन के इस वक्त कम से कम विचारों का आदान प्रदान ही करें.सन2012-2020ई का समय बदलाव का समय है,आओ हम भी खुद को बदल देश हित में कुछ योगदान जरुर देँ.



अपने लिए जिए तो क्या जिए.

रविवार, 26 जून 2011

अपराधियों को सहयोग देने वाला अपराधी .....?

अपराधियों को किसी तरह का सहयोग करने वाला यदि अपराधी है तो भ्रष्ट नेताओं को चुनने वाली जनता अपराधी क्यों नहीं ? यदि अपराधी है तो क्या उसके खिलाफ कानुनी कार्यवाही हेतु विधेयक नहीं आना चाहिए ? जाति, मजहब, निजस्वार्थ, आदि के कारण यदि जनता किसी अपराध में दोषी पाये नेता को समर्थन देती है तो उसे कानूनी अपराधी क्यों न माना जाये ? ग्रामीण क्षेत्र मेँ एक कहावत है कि ' जो छिनरा वही डोली संग ' . ऐसा ही कुछ देश की डोली (इज्जत) के संग है .देश व विभिन्न संस्थाओं के रहनुमाओं की जो कण्डीशन है,वह बड़ी अफोससजनक है.हर कोई यहां अपराधी है .जाति,मजहब,इज्जत,अहंकार,निज स्वार्थ व
सामाजिकता के बहाने दूसरों को कष्ट देने वालों की मदद करने वाले नेता व स्वयं ऐसा करने वाले नेता क्या अपराधी नहीं हैं ?अपराधी तो हैं लेकिन इनके खिलाफ सबूत व गवाह नहीं हैं.मात्र शिकायत पर उनके खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए.नार्को व ब्रेन परीक्षण अनिवार्य करके ऐसे अपराधों से निपटा जाना चाहिए.प्रत्येक कर्मचारी व नेता के लिए सैनिकों की भांति शारीरिक मानदण्ड बनने चाहिए.भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन व सामाजिकता के DANSH से बचने के लिए नियुक्ति के समय व प्रत्येक छ महीने बाद कर्मचारियों,नेताओं,आदि का नारको ब्रेन व शारीरिक परीक्षण किया जाना चाहिए . द्वेष,ईर्ष्या, निज स्वार्थ ,मनमानी,आदि का व्यवहार करने वालों को मानसिक अस्वस्थ मान कर विभिन्न नियुक्तियों व प्रत्याशी चयन के वक्त रोक होना चाहिए.लेकिन स्वार्थ की रोटियां सेंकने वाले नेता,आदि व नेताओं से बेईमानी व अपने कुकृत्यों का पक्ष रख वाने वाले लोग ऐसा कब चाहेंगे ?



दुनियां व देश को संभालने वाले दो प्रतिशत से भी कम हुए हैं शेष तो भेंड़ की चाल चले हैं या तटस्थ रहे हैं.अन्ना हजारे व बाबा रामदेव देश पर जो बात कर रहे हैं वह क्या तुम्हारे उसूलों के खिलाफ हैं?यदि हाँ ,तो तुम देश के भावी इतिहास में एक कलंक साबित होने वाले हो.राहुल गांधी जी तुम कहां हो?आज की युवा पीड़ी का क्या नेतृत्व नहीं करना?या फिर विदेशी ऐजेंटों के निर्देशों का इन्तजार कर रहे हो ?भ्रष्टाचार व काला धन क्या कुत्ते के गले की हड्डी की तरह हो गया है क्या कि न निगलते बनता है न ही उगते ?

शनिवार, 25 जून 2011

विप्लव विकल्प विका स Fwd: Fw: आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......

---------- Forwarded message ----------
From: vikas saini
Date: 2011/6/25
Subject: Fw: आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......
To: vikas Gmail vikas Gmail




--- On *Sat, 25/6/11, balraj ji * wrote:


From: balraj ji
Subject: Fw: आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......
To:
Date: Saturday, 25 June, 2011, 4:36 PM



--- *शनि, 25/6/11 को, balraj ji * ने लिखा:


द्वारा: balraj ji
विषय: Fw: आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......
To:
दिनांक: शनिवार, 25 जून, 2011, 4:33 PM



--- *शनि, 25/6/11 को, balraj ji * ने लिखा:


द्वारा: balraj ji
विषय: आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......
To:
दिनांक: शनिवार, 25 जून, 2011, 9:52 AM

आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे. लोग ......
इधर रामदेव और उनके आन्दोलन पे काफी कुछ लिखा जा रहा है ....एक बात पे सभी
लेखक सहमत है ...फिर वो चाहे अंग्रेजी के हों या हिंदी के .....कि बाबा आठवीं
फेल है ......8th drop out .....अब मैं आपको बता दूं कि बाबा ने स्कूल ( अगर आप
उसे स्कूल मानें तो ) आठवीं में छोड़ दिया और गुरुकुल खानपुर चले गए .........
फिर वहां 20 साल तक उन्होंने संस्कृत का व्याकरण , litrature और दर्शन शास्त्र
...philosophy पढ़ा .......संस्कृत की पढ़ाई अष्टाध्यायी से शुरू होती है और
महाभाष्य पे ख़तम पे होती है .इसमें बेहद brilliant students भी कम से कम दस
साल लगाते है ..वैसे महाभाष्य के लिए तो सुना है की 20 साल भी कम हैं .....और
महाभाष्य पढ़े student के सामने ये PhD लोग बच्चे लगते हैं ......अब हमारे
मीडिया के ये पढ़े लिखे ( BA ) भाई लोग अगर बाबा को आठवीं फेल लिखते हैं अगर ,तो
उनकी बुद्धि पर तरस आता है मुझे ......बीस साल तक संस्कृत litrature और grammar
पढ़ा लिखा आदमी ....उसे ये लोग 8th dropout लिखते हैं ......यानि संस्कृत कोई
subject ही नहीं और पढ़ा लिखा वो जो कॉलेज से BA की डिग्री ले ........और एक बात
बता दूं आप लोगों को ...पिछले ,महीने मुझे एक हफ्ता एक गुरुकुल में रहने का
मौका मिला ...वहां का स्टुडेंट रोज़ सुबह 3 .45 पे उठता है .........और कोई
उठाता नहीं है जनाब ....अपने से उठता है ......रोज़ 8 से 10 घंटे स्वाध्याय
करता है .....10 साल तक .......exam गुरु जी लेते हैं..... कहीं से कोई
question पेपर नहीं आता .......नक़ल मार के कॉपी नहीं भरता है .......और संस्कृत
litrature और philosophy पढने के लिए तो 50 साल भी कम हैं .
जहाँ तक बात योग की है तो योग मात्र चार आसन और deep breathing मात्र नहीं है
......ये एक जीवन दर्शन है ........यानि एक संपूर्ण जीवन शैली है ....जो आपके
thought process और stress level को regulate करती है ...आपके life style में
changes लाती है .......अब आपकी पूरी medical science खुद कहती है की सारी
problems की जड़ ये stress और life style ही है .....इसे योग से ठीक किया जा
सकता है ........योग को इस से सरल भाषा में नहीं समझाया जा सकता .......पर इसे
फील करने के लिए आपको इसे करना पड़ेगा ....इस से पहले मैं भी ये सारी बातें
सिर्फ सुनता था .......पिछले एक महीने से योग कर रहा हूँ ....6 किलो वज़न कम हो
चुका है ....बिना किसी dieting के.........स्ट्रेस गायब है जिंदगी से
........मैं अपने जीवन में आनंद महसूस कर रहा हूँ ...वैसे मैंने सुना है की
आनंद की अनुभूति कोकीन का shot लेने के बाद भी होती है .......अब ये आप को
decide करना है कि आपको कौन सा आनंद चाहिए ......किसी आदमी के लिए कुटिया में
भी आनंद हीआनंद है और अपने मुकेश भाई अम्बानी को अपने उस 23 मंजिला घर में भी
आनंद मिला या नहीं मैं कह नहीं सकता ........और आज मुझे ये भी पढने को मिला कि
बाबा के ज़्यादातर समर्थक intellectually challenged lower middle class लोग हैं
......मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ .....की हम सब लोग जो उस दिन रामलीलामैदान
में भूखे प्यासे बैठे थे ...रात भर पुलिस से पिटते रहे ......अगले दिन धूप
में...... 41 डिग्री में ....सारा दिन अपने दोस्तों को ढूंढते रहे ........(
तकरीबन सबके फोन बंद हो चुके थे ..चार्ज न होने के कारण ) हम लोग वाकई
intellectuals नहीं है ....intellectual होते तो अपने बेडरूम में ac 16 डिग्री
पे चला के सोते ...देश तो जैसे तैसे चल ही रहा है .......intellectual वो होता
है जो morning walk पे भी अपनी SUV में जाता है .......जिसकी लड़की की शादी में
850 dishes serve होती हैं जिसमे 25 किस्म के तो पुलाव होते हैं .......हम दाल
भात खाने वाले लोग ........हमें बात बात में कंधे उचका के oh noooo ....oh shit
कहना तक नहीं आता .......हम भोजपुरी और हरयाणवी में बात करने वाले लोग
.......हम कहाँ के intellectual .....
ये भी कहा जा रहा है की बाबा को अपना काम करना चाहिए ........जिसका जो काम है
उसे वो करना चाहिए ......सबको सिर्फ अपना काम करना चाहिए ......बात भी सही है
.......बाबा को योग सिखाना चाहिए ....चंदा बटोर के बड़ा सा AC आश्रम बना के
अपने भक्तों से चरण पुजवाने चाहिए ..........किसान खेती करे ...student पढ़ाई
करे ...दुकानदार दुकान चलाये ....... गृहणी घर का झाड़ू पोंछा करे ......अभिनेता
फिल्म बनाए ...लोगों की शादी में नाचे और पेप्सी बेचे ......हम अखबार और चैनल
चलायें .....नेता देश चलायें .......सही बात है ..हम साले दो कौड़ी के लोग
...खेती बाड़ी छोड़ के यहाँ क्या कर रहे हैं, दिल्ली में .......हम अनशन करेंगे
तो इनकी बेटी की शादी में 850 dishes बनाने के लिए अन्न कौन उगाएगा
.......हमारा बाप ???????? ऊपर से हमें मालूम ही क्या है काले धन क

गुरुवार, 23 जून 2011

क्रान्ति पथ प्रति एक ��त : samajikata ke dansh

हालांकि मानव सामाजिक प्राणी है लेकिन मुझे उसकी सामाजिकता से शिकायत रही है.मैं बचपन से सामाजिक ता की दुहाई देने वालों के बीच दंश (DANSH) झेलता आया हूँ.अपने घर में ही मैं अलग थलग पड़ चुका था.अंधेरे व प्रकाश का कुरुक्षेत्र बन कर रह गया था.जहां न कोई अर्जुन था न ही कृष्ण .कक्षा छ: में आते आते कुरुशान (गीता )हाथ आयी जब तो कुछ संवरना सिखाया स्वयं को स्वयं ही . मानवाधिकारों,बालाधिकारों व महिलाधिकारों को मैने सामाजिकता के दबाव में देखा है,सार्वभौमिक ज्ञान , धार्मिकता व आध्यात्मिकता पर सामाजिकता का दबाव देखा है , इन्सानियत को दबाव में देखा है.सनातन धर्म की बात चाहें यह समाज कितना भी करे लेकिन सनातन धर्म की यात्रा पथ के पथिकों
पर पथ के दोनों ओर अपना अपना डेरा जमाये अपने चक्र में फंसाने का ही कार्य करते रहे हैं.ओशो ने कहा है कि धर्म पथ कोई राजपथ जैसा चौंड़ा नहीं है वरन एक पगडण्डी है . जिस पर भीड़ नहीं होती.भीड़ जब चलती है तो पगडण्डी ही क्या दोनों ओर की प्रकृति को उजाड़ कर रख देती है.फिर खो जाता है धर्म .सृजित हो जाते हैं-पंथ , जाति , सम्प्रदाय , आदि .फिर कोई नया आता है आगे सनातन धर्म को आगे बढ़ाने वाला तो उस पर कुषड़यन्त्रों की अंगुलियां उठती हैं . इतिहास उठा कर देखो,आज जो महापुरुष मान कर पूजे जाते हैं जब वे जिन्दा थे तो उनमें से कितनों के साथ समाज से बीस प्रतिशत लोग ही थे ?



15 अगस्त 1947 की आजादी क्या सिर्फ सत्तापरिवर्तन बन कर नहीं रह गयी ? आम आदमी की आजादी क्या अभी दूर नहीं ? देशहित में कुछ कठोर निर्णयों के विरोध में नहीं खड़ी देश की जनता ? देश की जनता....... ?! हाँ , देश की जनता.प्रजातन्त्र में प्रजा ही जिम्मेदार है देश के हालात बनाने व बिगाड़ने मेँ .यह जनता ही तो है जो ग्राम सभाओं, नगर पंचायतों, विधान सभाओं, संसद, आदि में अपने प्रतिनिधि भेजती है .आजकल अन्ना हजारे व बाबा रामदेव चाहें हमारे दुश्मन ही ठीक लेकिन उनके मुद्दों पर हमें समर्थन नहीं करना चाहिए?धर्म पथ पर अपना कोई नहीं होता.उठा लो अपने साहस रुपी गाण्डीव को.जब तक आत्मा रुपी कृष्ण आपके शरीर में है करते रहो संघर्ष.क्या यह बकवास मचा रखी है ? तुम,तुम क्या बकते थे उस दिन?सत्तावादियों व पूंजीवादियों से कौन जीत पाया है?न जाने कितनों को शीशा पीस कर पिला दिया गया,जहर दे दिया गया , शूली पर चढ़ा दिया गया .कालाधन व लोकपाल का मुद्दा बड़ा जटिल मुद्दा है.मौत के अलावा क्या नसीब होगा ? नीचे से लेकर ऊपर तक के सारे के सारे नेता क्या हैं?चोरों को भी क्या चोरी न करने का निर्णय लेते देखा गया है ?तुम ऐसी बातें करने वाले अपने आदि महापुरुषों के दर्शन पर तो जरा सोंचें.क्या अपने अपने महापुरुषों के बताये रास्ते पर हैं आप ?मुसलमानों से भी मेरा यही प्रश्न है. 'ईमान पर पक्के होने ' का मतलब क्या है ?गैरजातियों व अपने देश के साथ हो रहे अन्याय पर चुप रहना ? तुम्हारी नजर में अन्ना हजारे व बाबा रामदेव मुसलमान नहीं हैं,व उनका समर्थन हिन्दूवादी संगठनों ने किया है तो क्या तुम्हारे मुसलमान होने का मतलब क्या यह है कि अन्ना हजारे व बाबा रामदेव का समर्थन न किया जाये ?



बुधवार, 22 जून 2011

कालसेन आश्रम बीसलपुर (पीलीभीत ) उप्र पर विश��व शान्ति के लिए

मंगलवार, 21जून 2011ई0.



बीसलपुर (पीलीभीत ) उप्र के बाहर उत्तर दिशा मेँ स्थित कालसेन आश्रम पर विश्व में शांति स्थापित करने,भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खात्मे के लिए हवन पूजन और भंडारा किया गया . कार्यक्रम की व्यवस्था में धाराजीत गुप्ता,अनिल कुमार,मोहित कुमार,राकेश कुमार बाथम,आशाराम,नन्हे लाल,अरुण कुमार,गौरव कुमार ,रानू गंगवार,माधव,योगेन्द्र कुमार,नंदकिशोर,ऋषभ कुमार,नत्थू लाल गंगवार,जगदीश गंगवार,अजय गंगवार,राज कुमार,प्रेमराज वर्मा,अशोक कुमार वर्मा'बिन्दु', सुजाता देवी शास्त्री,अवनीश वर्मा,आदि हजारों लोग उपस्थित थे.आश्रम के लिए को रास्ता न होने पर प्रशासन के विरोध में प्रदर्शन भी किया गया.प्रदर्शन करने वालों में धाराजीत गुप्ता,अनिल कुमार ,मोहित कुमार,राकेश कुमार बाथम , आशाराम, नन्हे लाल,अरुण कुमार, गौरव कुमार,मिंटू, रानू गंगवार,माधव,योगेन्द्र कुमार , भानु प्रताप, राजीव कुमार, ऋषभ कुमार,आदि श्रद्धालु शामिल थे.



सांयकाल छ: बजे मैँ पुन: कालसेन आश्रम पहुंचा.मेरे साथ थे राजकुमार.महिलाओं की बहुतायत ऐसे कार्यक्रम में ज्यादा रहती है.इस पर संवाद प्रारम्भ होगये.कहां है धार्मिकता?कौन है धार्मिक?संसार की नजर में जो बेहतर जीना चाहते हैं,वे क्या धार्मिक हैं?या जो महापुरुषों की नजर मेँ बेहतर जीना चाहते हैं?धर्मस्थलों पर भी जाते हैं तो क्यों जाते हैं?सांसारिक सुख पाने के लिए कि आध्यात्मिक आनन्द या आत्मिक शान्ति के लिए ? सन्त कबीर तक को कहना पड़ा था कि मैं इस दुनिया में जो देने आया हूँ वह कोई लेने ही नहीं आता.सब सांसारिक सुख की लालसा से ही आते हैं.




ये स्त्रियां.....?!चर्चा चल रही थी स्त्रियोँ की धार्मिकता पर . स्त्रियोँ की संख्या यहां ऐसे कार्यक्रमों में ज्यादा नजर आती है लेकिन इनकी धार्मिकता संदिग्ध नजर आती है.स्त्रियां ही क्या पुरुष भी........भौतिक लालसा के लिए ही जीवन जीने वाले या भौतिक लालसाओं के लिए घर व बाहर अशान्ति ,कलह,दूसरों को कष्ट,आदि परोसने वाले क्या धार्मिक भी हो सकते हैं?दया, त्याग व समर्पण के बिना धार्मिकता कहाँ? धर्म के पथ पर व्यक्ति को अकेले ही चलना होता है.इतिहास गवाह है कि महापुरुषों के जिन्दा रहते कितने लोग उनके साथ थे ?
खैर....


लगभग सवा सात बजे हम वहाँ से चलने को हुए तो मेरे सैण्डल गायब.अब नंगे पैर कैसे जाना होगा ?एक बोले कि ऐसे कार्यक्रमों में चप्पलें जूते गायब होना मामूली बात है .

सोमवार, 20 जून 2011

मानवता हिताय सेवा सम��ति में आपका स्वागत है.

'मानवता हिताय विकास मंच उ प्र समिति' का नाम परिवर्तित कर इस बार मैने 'मानवता हिताय सेवा समिति ' के नाम से पंजीकरण करवाया है.



उत्तर प्रदेश के युवक युवतियां अपने गांव मेँ टोली बना कर समाज सेवा के कार्य के इच्छुक हों या समाज सेवा कर रहे हों,वे हमारी समिति से जुड़ सकते हैं.



'अपने लिए जिए तो क्या जिए' -कहते लोग मिल जाते हैँ.वास्तव में हम न ही अपने लिए न ही दूसरों के लिए जी पाते हैं . क्यों ,ऐसा क्यों ? सब अंधेरे में तीर चलाते हैं.ज्ञानी भी ज्ञानपूर्ण आचरण से दूर नजर आते हैँ.'स्व' व 'पर' से लोग अन्जान हैं .आज अधिकाश व्यक्ति स्वभाव से वैश्य व शूद्र हैं.कुरुशान(गीता) में स्व का अर्थ आत्मा व परमात्मा से लगाया गया है तथा पर का अर्थ स्थूल शरीर व प्रकृति से लगाया गया है.इस सन्दर्भ में हम ईमानदारी से न ही स्व के लिए न ही पर के लिए जीते हैं.वास्तव मेँ हम न ही स्वार्थी होते हैं न ही परमार्थी .सिर्फ अवसरवादी होते हैं.यदि हमें परमार्थी होना है तो अपने शरीर के लिए कम से कम एक घण्टा का समय अवश्य देना चाहिए व प्रकृति एवं समाज के लिए भी इस एक घण्टा के अतिरिक्त एक घण्टा का समय देना चाहिए.यदि स्वार्थ (आत्मा व परमात्मा के लिए) के लिए जीना है तो इन दो घण्टा के अतिरिक्त कम से कम एक घण्टा अवश्य मेडिटेशन व आत्मसाक्षात्कार के लिए देना चाहिए . लेकिन न जाने हम किस तरह से अपने लिए जीते हैं व किस तरह दूसरों के लिए जीते हैं कि हमें अशान्ति व असन्तुष्टि ही हाथ लगती है ?दया,समर्पण व त्याग के बिना न ही हम स्व का न ही पर का भला कर सकते हैं.अन्य ग्रहों की अपेक्षा यह पृथ्वी अनुपम क्यों है?प्रकृति व मानवता को संरक्षण के बिना मानव के सारे कृत्य निरर्थक हैँ .


जय मानवता !

काला धन व लोकपाल विधे���क पर एक दृष्टि

मैं सिर्फ यह जानता हूँ,सारा देश यह जानता है कि ईमानदार व्यक्ति को काला धन व भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलनों से कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए.मेरा अनुभव तो यही कहता है कि नेताशाही व नौकरशाही के अलावा शेष जनता दबी जुबान अवश्य इन आन्दोलनों का समर्थन कर रही है या तटस्थ हैं.लोकपाल विधेयक को लेकर नागरिक समाज व सरकारी सदस्यों मेँ मतभेद का मतबल एक ग्रुप का ईमानदार होना व दूसरे ग्रुप का बेईमान होना भी हो सकता है ? क्या यह सत्य नहीं-बेईमान व ईमानदार में ही समझौते नहीं होते ,यदि समझौते होते भी हैं तो बिना न्याय के ? मैं तो यही कहूंगा कि काला धन व भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन के विरोधी क्या देशद्रोही नहीं ?

अन्ना हजारे व बाबा रामदेव के द्वारा उठाए गये मुद्दे महत्व हीन नहीं कहे जा सके.

परमपूज्य बाबा रामदेव जी चरण स्पर्श ! भविष���य अपना है यदि हौसला क��� साथ आगे बढ़ते रहें.अस��लता में भी सफलता छिपी होती है.सन 2012-2020ई0 का समय बदलाव का समय है.

यह समय किसे नायक व किसे खलनायक बनाएगा ,यह तो भविष्य बताएगा.भ्रष्टाचार कुप्रबन्धन व काला धन की जड़ें काफी गहरी हैं,जिन्हें उखाड़ने के लिए एक तूफान चाहिए.



पूरी दुनिया से बदलाव की घटनाएं नजर में आ रही हैं.प्रजातन्त्र के पक्ष में भी निर्णय सामने आ रहे हैँ.किसी एक जाति पन्थ देश के विषय में न सोंच पूरी मनुष्यता,सार्वभौमिक ज्ञान ,कानून व्यवस्था,आदि पर विचार करना आवश्यक है. अपनी पन्थनिरपेक्षता को प्रमाणिकता की आवश्यक है.अपनी कम्पनियों,समितियों,ट्रस्टों में अल्पसंख्यकों को सदस्य बनाना आवश्यक है.यदि हमारा मंच गैरराजनैतिक है तो मंच पर गैरराजनैतिक व्यक्ति ही नजर आने चाहिए.जब तक माया ,मोह,लोभ,आदि है तब तक भ्रष्टाचार रहेगा . हां , हर व्यक्ति पर कानून का डण्डा चलते रहना चाहिए .इसके लिए कानून के रखवाले ईमानदार होना चाहिए .जिसके लिए स्वतन्त्र लोकपाल का होना आवश्यक है.विभिन्न परिस्थितियों में नारको परीक्षण व ब्रेन रीडिंग अनिवार्य करना आवश्यक है.एक बात और है ब्राह्मण स्वभाव के व्यक्ति से क्षत्रिय वैश्य व शूद्र के कार्य कराना कहां तक उचित है?आज कल तो मुझे सब वैश्य व शूद्र हैं.जो ब्राह्मण व क्षत्रिय हैं भी वे पैदल भी हैं.आज के तन्त्र की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि वेतन के लोभ मेँ लोग शिक्षक बन रहे हैं,देश के प्रहरी तैयार किए जा रहे हैं .जो देश के लिए चिन्तन रखते हैं वे एक सड़क किनारे पान की दुकान पर अपनी भड़ास निकाल कर रह जाते है और जो विभिन्न पदों पर बैठे होते हैं वे कानून को एक ताख कर रख कर सिर्फ निज स्वार्थ व अपने परिवार या बैंक की तिजोरियां भरने तक सीमित रह जाते हैं .यहां तक कि आज के संत......?! धन दौलत इकट्ठी करने मेँ लगे व अपने उत्पाद बेंचते संत धार्मिकता युक्त आर्थिक उपनिवेशवाद का अंग नजर आते हैं.



मैं आपके साथ कुछ दिन बिता कर विभिन्न विषयों पर चर्चा चाहता हूँ.


शेष फिर.....


ASHOK KUMAR VERMA
'BINDU'


संस्थापक/सचिव

मानवता हिताय सेवा समिति

शुक्रवार, 17 जून 2011

18 जून : बिटिया श्रुतिक��र्ति एक वर्ष की हुई.

मानव सत्ता के दो ध्रुव हैं-नर और नारी.नर यदि शिव है तो नारी शिवानी . शिवशक्ति यदि अन्तर्मुखी है तो शिवानीशक्ति वहिर्मुखी . श्रीअर्द्धनारीश्वर अवधारणा यहीं से प्रारम्भ होती है.जो देवी देवता व अवतारवाद के सगुण रुप को नहीं मानते उन्हें निर्गुण रुप को मानना चाहिए ही.चाहें किसी स्तर पर भी इसकी बात करो,प्रकृति या सूक्ष्म या अन्य ; बात की जा सकती है.शिव कल्याण है तो शिवानी कल्याणी.शिव यदि अल्लाह है तो शिवानी कुदरत.कुरुशान(गीता)में आत्मा व परमात्मा को स्व तथा शरीर,शरीरों व प्रकृति को ' पर ' कहा गया है.'स्व' व 'पर' का समभोग व समसम्मान ही अर्द्धनारीश्वर का सगुण रुप है.आज का विक्रत भौतिक भोगवाद भी क्या है? 'स्व' व 'पर' को नकार कर कृत्रिम वस्तुओं व शारीरिक ऐन्द्रिक आवश्यकताओं के लिए जीना व दोहन शोषण प्रदूषण का कारण है .मानव के लिए प्रकृति की ओर से सबसे सुन्दर कृति है-नारी. भारतीय संस्कृति में नारीशक्ति को मातृशक्ति माना गया है.जगत में भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन का कारण नर व नारी का संस्कारों से मुक्त हो सिर्फ माया ,मोह, लोभ ,काम ,आदि के लिए सिर्फ जीना है .
लिंगानुपात का कम होना नर नारी की संकीर्ण सोंच का कारण है.यह एक मजाकिया तथ्य है कि एक ओर कन्यापूजा का प्रावधान है व दूसरी ओर कन्याओं की जगह पुत्रों को महत्व है या फिर यौन शोषण या विभिन्न दबाव हैं.नारी को अपनी आधी शक्ति नारी होने के नाते व्यय हो जाती है.जन्म से लेकर मृत्यु व मृत्यु से लेकर जन्म तक प्रकृति के बिना सब शून्य है.यहां तक देवी देवता भी प्रकृति तक ही हैं.प्रकृति से शून्य होने के बाद ईश्वर है.ब्रह्मा विष्णु महेश भी शून्य से पहले के हैं.


प्रकृति में नर मादा श्रेष्ठ प्राकृतिक व ईश्वरीय मित्र हैं. दोनों एक दूसरे के बिना अपूर्ण हैं.नर मादा के बीच सम्बन्धों को लेकर समस्याएं ऋग्वैदिक काल के बाद तब पैदा होना प्रारम्भ हुईं जब दोनों के जीवन व परस्पर मित्रता का सम्बन्ध यौन इच्छाओं पर आकर टिकने लगा.फिर दोनों के बीच मित्रवत सम्बन्ध न हो कर कामुक होगया.अब वह दृष्टि खत्म हो चुकी है कि सन्तान उत्पत्ति की लालसा के बिना यौन सम्बन्धों की इच्छा पैदा न हो.कामान्धता व्यक्ति से मानवीय मूल्यों को अलग करने का कार्य करती है .स्त्रैणता के बिना मानवता कहाँ ? इसीलिए तो कहा गया है कि जहां स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं .कौन सी स्त्रियां पूजा(सम्मान) का हकदार हैं ? जो अपनी स्त्रैणता से दूर नहीं हुई है. स्त्रैणता .... ? स्त्रैणता यानि कि सेवा,दया,सहनशीलता, ममता,लज्जा,नम्रता,प्रेम,आदि गुणों से युक्त स्वभाव.जिन पुरुषों में यह गुण जाग जाते हैं वह बुद्ध बन जाता है. हां,याद आया -आज झांसी रानी लक्ष्मी बाई की पुण्यतिथि भी है . जब किसी स्त्री में पुरुष के गुण (अहंकार,संघर्ष,परिश्रम,आदि) जाग जाते हैं तो वह लक्ष्मीबाई बन जाती हैं .अर्द्धनारीश्वर अन्तस्थ ऊर्जा की निर्गुण अवधारणा में यह तथ्य मौजूद है .मानव सत्ता के दो ध्रुव है-नर व नारी.ऐसे में उसकी पचास प्रतिशत भागीदारी होनी ही चाहिए लेकिन स्त्रैणता बनाए रखते हुए.अब भी लोग बेटी की अपेक्षा बेटा को महत्व ज्यादा दिए हुए हैं. आज भी बेटियां बोझ व दबाव बनी हुई हैं.इसके लिए परम्परागत समाज दोषी है.



' स्व ' अर्थात आत्मा या परमात्मा के बाद प्रकृति जीवन के दो प्रमुख तत्व हैं . प्रकृति के माध्यम से ही हम ब्रह्म के अस्तित्व पर मोहर लगा सकते हैं . जिसके प्रति हममें सधर्म सम्मान होना चाहिए न कि भोगवादी उसका इस्तेमाल ऐसे में बेटा बेटियों के मध्य भेद ईश्वरप्रद्त प्रकृति का अपमान है.


आज मेरी बेटी 'श्रुति कीर्ति ' एक वर्ष की हो गयी है.उसके जन्म दिन पर कुछ तैयारी करने के उद्देश्य से अब.......

सोमवार, 13 जून 2011

अनशन के नौ दिन और आम आदमी !

चार जून से बड़े उत्साह में अनशन पर आये बाबा रामदेव बारह जून को अनशन तोड़ते तोड़ते उत्साहहीन हो गये.नौ दिन अनशन के........एक योग गुरु की यह हालत?हमारे गांव में नवदुर्गा व्रत के दौरान बिना कुछ खाये रह कुछ लोग कठिन कार्य निपटाते हैं.लोग कहने लगे है कि योग गुरु के स्वास्थ्य की यह हालत ?जो दस सालों से न जाने क्या क्या दाबा कर रहा था.



खैर, जान है तो जहान है.वैसे भी काले धन को लेकर लड़ाई अभी काफी लम्बी है.साथ में राजनैतिक सिस्टम में भारी मात्रा में बदलाव की आवश्यकता है.हमें विश्वास है बाबा रामदेव मरते दम तक हिम्मत नहीं हारेंगे.स्वस्थ होने के बाद फिर अपने मिशन को आगे बढ़ायेंगे.दुनिया भर के उनके शुभचिन्तक चाहने लगे थे कि बाबा अपनी अस्वस्थता के चलते अनशन को तोड़ें.काला धन व भ्रष्टाचार पर देश में माहैल बनाने मेँ योगदान हमेशा चिरस्मरणीय रहेगा.



हमें लगता है कि आम आदमी सिर्फ अपने व अपने परिजनों के शारीरिक आवश्यकताओं के लिए जीना चाहता है . उसे काले धन व भ्रष्टाचार सम्बन्धी व अन्य मुद्दों से कोई मतलब नहीं है.उसे तो तुरन्त का लाभ चाहिए ,अपने व परिजनों की वर्तमान आवश्यकताओं के सम्बन्ध मेँ.नब्बे प्रतिशत से भी ऊपर व्यक्ति को सिर्फ रोटी कपड़ा मकान के लिए जी रहा है.उसकी धार्मिकता तक सिर्फ शारीरिक ऐन्द्रिक आवश्यकताओं के लिए है.

शनिवार, 11 जून 2011

भविष्य कथांश: मेरे आं��ों में क्यों आंसू?

10जून 2011 से काले धन व भ्रष्टाचार को लेकर अनशन पर बैठे बाबा की तबियत काफी बिगड़ गयी.चार जून की रात सपने मेँ मैने बाबा को अपने मिशन में शहीद होते देखा था.दस जून को शाम पूर्वमंत्री रामशरन वर्मा के रामलीला मैदान बीसलपुर(पीलीभीत)कार्यक्रम से वापस आने के बाद बहनोई ओपी गंगवार का मकान पर टीवी में बीमार बाबा को अस्पताल ले जाते हुए तश्वीरों को देखा तो मेरा मन प्रार्थना से भर गया.आज अभी जब ग्यारह जून को01.55PM पर मेरे मोबाइल में मैसेज आया कि चिकित्सा के बाबजूद उनका BP 40 से 80 बना हुआ है और कोई सुधार नहीं हैं तो मेरे आंखों में आंसू आ टपके.किसी व्यक्ति को अपने व देश से जोड़ते हुए ऐसे आंसूं दूसरी बार मेरी आंखों में थे.इससे पूर्व1984के 31अक्टूबर की शाम इन्दिरा की हत्या के समाचार पर.



बाबा की अभी देश को जरुरत है.

इसे पोस्ट करने के बाद मैं मेडिटेशन पर ......


राहुल गांधी को आत्मसाक्षात्कार की जरुरत!

कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी पांच सालों से युवकों को एक जुट करने में लगे हैं लेकिन सफल नहीं हो पाये.उनकी तुलना में अन्ना हजारे व बाबा रामदेव ज्यादा सफल हुए हैं .राहुल गांधी को विचार करना चाहिए कि हमें देश का हित चाहिए या फिर कांग्रेसियों का ?आम आदमी का या पूंजीपतियों का ?समाजसेवियों का या फिर दबंगों व सत्ता लोभियों का ?



हम अपने आसपड़ोस में देख रहे हैं कि कांग्रेस से जो युवक जुड़ भी रहे हैं ,वे अपने गली में कितने शरीफ हैं?चरित्रवान युवक क्या कांग्रेस से जुड़ रहे हैं ?वे युवक क्या समाज के लिए त्याग करना चाहते हैं या अपने स्वार्थ की रोटियां सेंकना चाहते हैं ? आप कभी भी विभिन्न स्थितियों में नारको परीक्षण व ब्रेन मेपिंग के अनिवार्यता की वकालत नहीं कर सकते .पारदर्शिता की क्रान्ति ,चाहें वह देश के हित में कितनी भी हो,आप मदद नहीं कर सकते . 5 जून को रामलीला के मैदान में रावणलीला के बाद आप राहुल जी मैन क्यों हैं?

शुक्रवार, 10 जून 2011

बाबा रामदेव आन्दोलन में पहला शहीद!

04 जून से काला धन व भ्रष्टाचार को लेकर प्रारम्भ हुए आन्दोलन व अनशन मेँ पहला शहीद कौन है?मेरे संज्ञान में - सुखूराम पटेल.



छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बाबा रामदेव के समर्थन में धरना दे रहे एक किसान का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. पुलिस के अनुसार दुर्ग जिला मुख्यालय के पटेल चौक पर पतंजलि योग समिति द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ एवं बाबा रामदेव के समर्थन में आयोजित धरने में बेरला क्षेत्र का किसान सुखूराम पटेल (62) भी शामिल था. रविवार दोपहर उसकी तबीयत खराब हो गयी.किसान को अस्पताल लेजाया गया,जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.



सुखूराम पटेल को श्रद्धांजलि के साथ बाबा रामदेव के स्वस्थ रहने की कामना करता हूँ.देश को उनकी जरुरत है.वे देश के भविष्य निर्माता हैं.

सन्त का मतलब यह तो नही���....

भ्रष्टाचार में संलिप्त,भौतिकभोगवादी व तामसी प्रवृत्ति के लोग अन्ना हजारे व बाबा रामदेव का समर्थन नहीं करने की सोंच तक नहीं रखते.जहां सही बात को सही कहने तक की सामर्थ्य नहीं है. लोग न जाने क्या क्या नगेटिव बातें करने वाले भी मिल जाते हैँ -अरे रामदेव को दुनियादारी से क्या मतलब,वे सिर्फ योग ही सिखायें तभी ठीक हैँ,वे तो आर एस एस व भाजपा का मुखौटा हैं,वे सन्त हैं तो रामलीला मैदान से वेष बदल भागने की कोशिस क्यों की,आदि.इस बीच जयगुरुदेव,आदि के अनुयायियों की ओर से भी इन आन्दोलनों के अपोजिट सुनने को मिल रहा है.मै तो बस इतना ही जानता हूँ कि सत के लिए संघर्ष दो प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने प्रारम्भ नहीं किया है.
आखिर सन्तों व गुरूओं को दुनियादारी मेँ पड़ने की जरुरत क्यों नहीं?हूँ,जब आज के शिक्षक गुरुत्व की ओर नहीं हैं,और दिमाग से पैदल होने जैसे व्यवहार साबित करते हैँ,जब ज्ञान केन्द्रों से ही ज्ञान का हेतु समाप्त होता जा रहा है,जिन युधिष्ठरों को अपना पाठ याद करने में वक्त लगता है ऐसे युधिष्ठरों की मजाक बनाने वालों की अब भी कमी नहीं है,आदि जैसों से पटे समाज व ऐसे की सामाजिकता व प्रतिष्ठतता के बीच लोगोँ से क्या उम्मीद की जा सकती है?वे शायद गौरवशालि अतीत को भूल मलेच्छों के समर्थन में लगे हैं.



सन्त होने का मतलब क्या समाज व देश का हित नहीं है ? यदि हां,तो बाबा रामदेव क्या गलत हैं? हाँ!सन्त अहिंसक आन्दोलन का समर्थक नहीं होता.उनके द्वारा युवकों की फौज का निर्माण करने की बात पचती नहीं.कुल मिला कर उनका आन्दोलन देश के हित में है .ऐसे में हर देशभक्त को हर हालत में उनकी मदद करनी चाहिए.

गुरुवार, 9 जून 2011

कहां गायब हो गए का ंग्रेस के युवराज?

bahut khoob

2011/6/9 Updesh Awasthee

> कहां गायब हो गए कांग्रेस के युवराज?
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> *धर्मेद्र केशरी*
> *नई दिल्ली *
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> कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के युवराज और युवाओं के हिमायती राहुल गांधी आधी रात
> के बाद भट्टा परसौल गांव पहुंचे थे। राहुल के मुताबिक वहां वो किसानों के हक की
> लड़ाई लड़ने गए थे। वो भी तब, जब शायद उस समय उसकी कोई जरूरत नहीं थी। उनके
> जाने के बाद बहुत हंगामा हुआ और आधी रात की नौटंकी हिट रही । उत्तर प्रदेश
> सरकार ने जब उन्हें गिरफ्तार करके नोएडा की सीमा से बाहर भेज दिया तो खूब
> हो-हंगामा हुआ।
> पढ़ते रहिये...
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2011/6/9 Updesh Awasthee <gandhi4indian@gmail.com>


कहां गायब हो गए कांग्रेस के युवराज?






 


धर्मेद्र केशरी
नई दिल्ली


 
कुछ
दिन पहले ही कांग्रेस के युवराज और युवाओं के हिमायती राहुल गांधी आधी रात
के बाद भट्टा परसौल गांव पहुंचे थे। राहुल के मुताबिक वहां वो किसानों के
हक की लड़ाई लड़ने गए थे। वो भी तब, जब शायद उस समय उसकी कोई जरूरत नहीं
थी। उनके जाने के बाद बहुत हंगामा हुआ और आधी रात की नौटंकी हिट रही ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने जब उन्हें गिरफ्तार करके नोएडा की सीमा से बाहर भेज
दिया तो खूब हो-हंगामा हुआ। 







राहुल गांधी को आत्मसाक्षात्कार की जरुरत हैँ.अन्ना व बाबा राहुल की अपेक्षा कई गुना सफल हुए हैं युवा शक्ति को देश प्रति जागरुक करने प्रति.ऐसा क्यों न हो देश हित व सत्ता हित में फर्क होता है.

यह भी देखें-

भविष्य कथांश: 2014 के चु नाव में राहुल के नेतृ��� ्व को शिकस्त मिलने की स ंभावना

भविष्यवाणी: 2014 के चुनाव में राहुल के नेतृत्व को शिकस्त मिलने की
संभावना
*पं.राजकुमार शर्मा,**मुंबई*
अप्रैल 2012 के पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपने पद का त्याग करना पड
सकता है, जिसके कारण प्रधानमंत्री पद के प्रथम और प्रबल दावेदार श्री प्रणव
मुखर्जी होंगे। इसलिये एक तरह से यह भी समझा जा सकता है कि वे अगले
प्रधानमंत्री बन सकते हैं। सन 2014 के चुनाव में सोनिया जी और राहुल के नेतृत्व
को चुनाव में शिकस्त मिलने की संभावना बलवती है।
पढ़ते रहिये...


यह भी देखेँ-

भ्रष्टाचार व काला धन ��े मुद्दे पर आन्दोलन म���ं मुस्लिम भूमिका ?

' सन 2012-20ई0 बदलाव समय ' का ' बिगुल समय सन 2011ई0 ' पर बाबा रामदेव व अन्ना हजारे के आन्दोलन के साथ देश में जन जन तक भ्रष्टाचार के खिलाफ व काला धन मंगवाने की मांग सम्बन्धी आवाज पहुंची है . रक्षामंत्री एके एंटनी तक को अब कहना पड़ा है कि पारदर्शिता की क्रान्ति अब कोई नहीं रोक पायेगा.कोई इसके लिए तैयार नहीं है .इसी का नतीजा है कि समस्याएं पैदा हो रही हैं.दुनिया में दो प्रतिशत व्यक्ति ही हमेशा क्रान्ति के लिए आगे आये हैँ.अब सवाल उठता है-देश के अन्दर चल रहे इन आन्दोलनों में भारतीय मुस्लिम आबादी का क्या योगदान है?क्या दो प्रतिशत मुसलमान व्यक्ति भी इन आन्दोलनों में सहयोग कर रहा है ? यदि नहीं तो क्या यह विचारणीय विषय नहीं है?क्या मुसलमान इस देश में भ्रष्टाचार व काला धन सम्बन्धी आन्दोलनों में कोई रुचि नहीं रखते ?क्यों आखिर क्यों ?ऐसा क्यों ? भ्रष्टाचार के सामने व काला धन मंगाने की मांग के सामने मूक दर्शक बने क्या देशद्रोही नहीं हैं? यदि लक्ष्य समाज व मनुष्यता के लिए हैं तो हमें दुश्मन तक के ऐसे लक्ष्य में मदद करनी चाहिए. मुसलमानों को क्यों नहीं अन्ना व बाबा के आन्दोलन में मदद करना चाहिए ?अन्ना व बाबा के आन्दोलन का प्रथम समर्थन करने वालों को यदि मुसलमान अपने अपोजिट मानते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि अन्ना व बाबा उनके पक्ष के हो गये हैं व उनका आन्दोलन मुसलमानों के विरोध में है?उनके आन्दोलन की सफलता से देश के सभी नागरिकों का लाभ नहीं क्या ? लाभ उन्हीं को नहीं जो भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन में हिस्सेदार हैं ?और फिर मुसलमान का मतलब है -'अपने ईमान पर पक्का होना '. ईमान पर पक्का होने का मतलब क्या अपनी जाति या सम्प्रदाय के लिए ही सिर्फ कर्म करना है ? गैरजाति व गैरसम्प्रदाय के हित मेँ क्या अन्याय व शोषण का विरोध नहीं करना चाहिए ?


बुधवार, 8 जून 2011

नारको परीक्षण को अनिवार्य करने की मांग के व���रोधी अपराधी ही !

मैं देख रहा हूँ कि आज की परिस्थितियों में सिर्फ सबूत व गवाह ही काफी नहीं है . लोगों पर दोष लगाना अब भी लोगों के लिए मामूली बात है . ऐसे में नारको परीक्षण व ब्रेन मेपिंग को अनिवार्य करने की मांग के विरोध में खड़े लोगों को मैं अपराधी ही मानता हूँ.वे या तो अपराधों में लीन हैं या तो अपराध करने वालों के अपराध को छिपाना चाहते हैं .विभिन्न पदों के प्रत्याशियों के चयन व नियुक्तियों में भी नारको परीक्षण व ब्रेन रीडिंग अनिवार्य किया जाना चाहिए . मै बचपन से ही देख रहा हूँ और स्वयं झेल भी रहा हूँ कि किस तरह कैसे सीधे साधे या गरीब लोगों को झूठ का शिकार बना अपराधी साबित करने की कोशिस की जाती है और पुलिस भी धनबल व बाहुबल के सहयोग से इस काम में सहयोगी ही साबित होती है.देश के अन्दर अनेक ऐसे केस हैं जिनमें व्यक्ति ने उस जुर्म में सजा काटी है ,जो कि उसने किया ही नहीं है .कुछ समाजसेवियों ,पीस पार्टी अध्यक्ष व बाबा रामदेव के अलावा कितनों ने ताल ठोंक कर नारको परीक्षण व ब्रेन रीडिंग की मांग की है ?जो नैतिक आत्मबल से कमजोर हैं वे कैसे नारको परीक्षण व ब्रेन मेपिंग की मांग कर सकते हैं ? भ्रम,शंका,अफवाह,द्वेष,ईर्ष्या,क्रोध ,आदि में चरित्र ही नहीं जीवन बदल दिया जाता है.ऐसे में अब नारको परीक्षण व ब्रेन मेपिंग का अनिवार्य होना आवश्यक है.

विपक्ष के बिना जनान्��ोलन :विपक्षी दलों को आत्मसाक्षात्कार करने ���ी जरुरत

विभिन्न भविष्यवाणियों के द्वारा निर्धारित बदलाव समय सन 2012-2020ई0 का आधार वर्ष सन 2011 ई0 विश्व में घटने वाली जनान्दोलन सम्बन्धी घटनाएं अनेक तथ्यों को उजागर कर रही हैं.एक तथ्य है -इन जनान्दोलनों में विपक्षी दलों की भूमिका .विपक्षी दलों की भी नियति क्या है?वे भी सत्तावादी मानसिकता से लिप्त हैं.उन्होनें भी सत्ता में आकर जन अरमानों को रौंदा है .




विनीत नारायण दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला,बरेली ,वृहस्पतिवार,02जून2011 के पृष्ठ बारह पर अपने लेख 'बदलाव का दौर' में लिखते हैं " लोकतन्त्र मेँ सत्ता परिवर्तन जनता के वोट के जरिये होता है.विपक्ष जनांदोलनों द्वारा सत्तारुढ़ दल की खामियों को जनता के सामने उजागर करता है और विकल्प पेश करता है.ऐसा अतीत में आजादी के बाद से कई बार हुआ है,चाहे वह आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार रही हो,चाहे राजीव गांधी के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार हो या पीवी नरसिंह राव के बाद एचदी देवगौड़ा या अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार . लेकिन इस बार के जनांदोलनों में विपक्षी पार्टियों की भूमिका ज्यादा दिखाई नहीं दे रही है. इसके बजाय अन्ना हजारे और बाबा रामदेव जैसे गैरराजनीतिज्ञ लोगों के हाथ में ही आम लोगों की लगाम दिखाई दे रही है.जाहिर है,इन लोगों का उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना नहीं है.इस लिहाज से देखें,तो इस बार के ये जनांदोलन सत्तारुढ़ दल के परिवर्तन के नहीं,बल्कि विपक्ष के बदलाव के लग रहे हैं.जो पार्टियां एवं चेहरे इस समय विपक्ष में दिखाई दे रहे हैं,हो सकता है कि आने वाले समय में उनका स्थान कोई और ले ले ."



विपक्ष जनता की आवाज को निष्पक्ष रुप से उठाने में असफल रहा है. रोज मर्रे में आने वाली आम आदमी के दिल की आवाज को विपक्ष ईमानदारी से उठाना नहीं चाहता.देखा जाए तो कोई भी पार्टी आम आदमी की कसौटी पर खरी नहीं उतरी है.जिन तथ्यों का विपक्ष विरोध करता है,सत्ता में आने पर उन्हीं तथ्योँ का समर्थक हो जाता है या सत्ता रहते जिन तथ्यों को समर्थन होता है,विपक्ष में आने पर उन्हीं तथ्यों के आधार पर सत्ता का विरोध करता है.जनान्दोलन राजनैतिक दलों या व्यक्तियों के हाथों से निकल कर गैरराजनैतिक दलों या व्यक्तियों के हाथों जाना राजनैतिक दलों व व्यक्तियों के कमजोरियों को दर्शाता है .



01.00AM, 05 जून 2011ई0 रामलीला मैदान दिल्ली में बाबा रामदेव व उनके समर्थकों के द्वारा दिल्ली प्रशासन के द्वारा की गये अत्याचार प्रजातन्त्र पर लगे कलंक के बाद जरुर विपक्ष का रवैया बदला है.लेकिन काले धन को वापस देश में मंगाने व भ्रष्टाचार के विरोध में लगे बाबा रामदेव व अन्ना हजारे के समर्थन में आये दलों के विरोध में हैं यदि हम तो इसका मतलब यह नहीं कि बाबा रामदेव व अन्ना हजारे के मिशन को पीछे धकेला जाए और समर्थन न किया जाए ?धन्य!काला धन व भ्रष्टाचार की बात करने वाले साम्प्रदायिक हैं ?भ्रष्टाचार के खिलाफ व काला धन मंगाने की बात करने वालों पर दमनचक्र कार्रवाही करने वाले गैरसाम्प्रदायिक व देशभक्त हैं?धन्य,भारत का तन्त्र व तुष्टीकरण करने में माहिर नेतातन्त्र...! ?




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