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सोमवार, 31 मई 2021

जीवन्त धर्म व जीवन्त महापुरुष के बीच ::अशोकबिन्दु का चिंतन!!

  हम कहते रहें - सन्त लोग हम सब को भी कहते हैं-मूर्ति।

हमने अनेक बार कुछ सन्तों के मुख से इंसानों को मूर्ति कहते सुना हैं।

इसका मतलब क्या है?



जीवन्त धर्म क्या है?जीवन्त महापुरुष क्या है?

वर्तमान में जो उचित कर्म/कर्तव्य है, वही जीवन्त धर्म है हमारी नजर में।

वर्तमान में जो सार्वभौमिक सत्य के आधार पर ,इंसानियत के आधार पर,संविधान के आधार पर,वर्तमान में जो जगत कल्याण के लिए व्यक्ति बात करता है, आचरण अपना है ; क्यों न वह कोई हो किस स्तर का भी हो- वह सम्माननीय है।वह महापुरुष है।


 अर्जुन के सामने कौरवों पांडवों के सामने जीवंत धर्म का प्रतीक है श्री कृष्ण।

 वर्तमान महापुरुष है उस वक्त के श्री कृष्ण।

 उन्हें कहना पड़ता है--" अर्जुन उठ!दुनिया के धर्मों ,जातियों को त्याग कर मेरी शरण में आ।"


ईश्वर निर्मित जीवन्त मूर्ति है-हम सब का शरीर। जो ईश्वरीय प्राण प्रतिष्ठा रखता है।लेकिन हम सब के द्वारा कैसी प्रतिष्ठा?! कैसा सम्मान कैसा आत्म सम्मान?कैसा आत्मा व आत्माओं का सम्मान?

बुधवार, 5 मई 2021

प्राण प्रतिष्ठा::आत्मा व आत्माओं से शक्ति


 श्रीकृष्ण  की मृत्यु के बाद अर्जुन का हाल क्या हुआ?

सृष्टि स्वयं पदार्थ क्या है?स्थूल क्या है 

हम सब का हाड़ मास शरीर एक जिंदा मूर्ति है।जो ईश्वरीय प्राण प्रतिष्ठा प्राप्त है। 

मंगलवार, 4 मई 2021

धागे का उलझ जाना ::जीवन की डोर!!


 दुःख व रोग बीच इंसान !

कल एक व्यक्ति मिले! वे मन से भी दुःख व रोग में घिरे दिखे।

मानव किसकी शरण में है?

उत्तरकाण्ड, रामचरितमानस में कहा गया है कि मनुष्य के दुःख व रोग का कारण उसकी कामनाएं हैं।



सोमवार, 3 मई 2021

भगवान व कर्म:::अशोकबिन्दु

 भगवान व कर्म!!

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हमें अब सिर्फ भगवान व कर्म(कर्तव्य) के लिए ही जीना चाहिए।


कोरोना संक्रमण के दौरान व अन्य मुसीबत में हम जान गए हैं कि इंसान का वास्तव में धर्म क्या है? कहीं यदा कदा ही कोई धर्म में दिखता है।

दुकानदार मौके का फायदा 10 रुपये की चीज 20 रुपये में बेच कर उठता है।

बड़ी मेडिकल संस्थाएं मानव अंगों की तस्करी कर...?!

विभिन्न प्राइवेट संस्थाएं अपने कर्मचारियों को लात मार बाहर कर...?!

अपना जिसे कहते थे, वह भी दूरी बना कर...!?

खानदानी भी  हमारी सम्पत्ति पर कुदृष्टि नजर रख कर..?

संस्थाएं चापलूसी, हाँहजुरी आदि में...


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आदि आदि......?!


#अशोकबिन्दु