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रविवार, 22 नवंबर 2015

एक मनुष्यता के लिए मनुष्य नहीं जियेगा तो और कौन जियेगा?

विश्व सम्विधान विश्व सरकार > ‎जातिवाद विरोधी कानून निर्माण आंदोलन
आप जातिगत आरक्षण के विरोध में खड़े हैं.हम भी जातिगत आरक्षण के विरोध में खड़े हैं.लेकिन जातिगत आरक्षण के विरोध से पहले हम जातिगत हर व्यवहार के विरोध में खडे हैं.यहां तक कि अपनी बेटियों आदि की
शादी में भी जातिवाद नहीं.वरन् वर्ण व्यवस्था...यानि कि बेटियां यदि टीचर हो गयी तो टीचर से शादी,डॉक्टर हो गयीं तो डाक्टर से शादी.जातिगत आरक्षण का विरोध करने बाले यदि जातिगत व्यवहारों के विरोध में नहीं खड़े हो सकते तो इसका मतलब वे भारतीय समाज में अब भी कलंक बने हुए है.वे मूल कारणों पर नजर नहीं रख पा रहे है.हम समान आचार संहिता के समर्थक है.भेद के विरोध में खड़े है.90 के दसक में हमारी मुलाकात रामविलास पासवान,डी आई जी महेंद्र सिंह,सोने लाल पटेल,रामपूजन पटेल,काशी राम आदि से हुई थी.हम उस वक्त भी जातिगत आरक्षण के विरोध में खड़े थे लेकिन हमें इन नेताओं के तर्क बेहतर लगे.चयन बोर्डो में क्या होता आया है?कालेजों प्रक्टिकल नम्बर देते वक्त क्या होता आया है?आय प्रमाण पत्र बनते वक्त क्या होता आया है? बी पी ल कार्ड बनते वक्त क्या होता आया है? आप इन स्थानों पर अन्याय के लिए क्या करते आये हो?वो तो सरकारी संस्थाओं में गनीमत है, आपके प्राइवेट संस्थाओं में कितने दलित,मुसलमान आदि हैं?ऐसा नहीं कि इन स्नस्थाओं में इंटरव्यू के वक्त इस वर्ग से कोई आते नहीं या आने की लालसा नहीं रखते.जातिवाद के खिलाफ मुहीम तेज करने की जरूरत है? जातिगतआरक्षण के कारणों को मिटाने की आवश्यकता है.
ये अच्छी बात है कि अब आरक्षण के खिलाफ वातावरण बनने लगा है.हम भी आरक्षण के खिलाफ हैं,लेकिन आरक्षण की समाप्ति से पहले हम जातिव्यवस्था के खिलाफ कानून चाहते है.

संयुक्त राष्ट्र सङ्घ  व विश्व बैंक केंद्र सरकार से दो बार जातिव्यवस्था के खिलाफ कुछ करने के कह चुका है लेकिन इस सम्बन्ध में देश के अंदर कोई भी सरकार व संस्था जातिवाद के खिलाफ आंदोलनात्मक कार्यवाही नहीं चाहता.ये देश के सामने विडम्बना है कि लोग जातिगत आरक्षण के खिलाफ तो हो रहे हैं लेकिन अन्य जातिगत व्यवहारों  का विरोध नहीं क्र पाते,गैरजातियों में शादी का समर्थन नहीं कर पाते.

राष्ट्रिय एकता के लिए जातीबाद खत्म होना चाहिए ऐसा विधिज्ञ भी  मानते हैं..
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www.ashokbindu.blogspot.com

अंग्रेजी सरकार होती तो हम भी राजा राममोहन राय के पथ पर चल कर जातिप्रथा के खिलाफ कानून  बनबाने का प्रयत्न करते.अब हमें समझ आने लगा है कि समाजसुधारक क्यों नहीं चाहते थे कि अंग्रेज भारत छोड़ कर जाएँ? अम्बेडकर ने भी ठीक ही कहा था कि अधिकतर लोगों की आजादी का मतलब सत्ता परिबर्तन से है न कि आम आदमी की आजादी व सम्वैधानिक समान व्यबस्था?हमे तो आजादी भी संदिग्ध लगती है.इसका गवाह 200 वे फाइलें हैं जो अभी सार्बजनिक होनी बाकी हैं.

मंगलवार, 17 नवंबर 2015

ashok kumar verma sent you an image file!

आदिकाल से अबतक कब ये धरती आतंकवाद से विहीन हुई है?

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इतिहास युद्धों/नफरतों से भरा है.युद्ध व नफरत ही यदि महत्वपूर्ण है तो न जाने कब की दुनिया में शांति स्थापित हो चुकी होती.?
बड़ी बड़ी सत्ताएं हार गयीं लेकिन अकेले एक अंगुलिमान(माणवक) को ,अकेले को नहीं हरा पायीं.अकेले को बुद्ध ने हरा दिया.अपने अकेलेपन को समझो,उसे श्रेष्ठ अकेलेपन से द्वन्द कराओ.अंगुलिमान व बुद्ध की बहस एक चिरस्मरणीय बन गयी.जाति/मजहब/देश/आदि में उलझने से कुछ नहीं मिलने वाला.सम्पूर्णता से जुड़े बिना शांति नहीं...

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सच..... समय आ गया है कि अब समस्त विश्व "एक विश्व " की अवधारणा पर विचार करे। सभी देशों को एक साथ खुद को " संयुक्त राष्ट्र संघ " को समर्पित कर देना चाहिए। सीमाएं मिट जानी चाहिए। " वसुधैव कुटुम्बकम् " की धारणा अपनानी ही होगी। आश्चर्य है कि मनुष्य ने इतने विनाशक हथियार बना लिए हैं और इतनी मात्रा में बना लिए हैं जिससे प्रत्येक व्यक्ति को 1000 बार मारा जा सकता है अर्थात 1000 पृथ्वियों को नष्ट किया जा सकता है।  प्रेमपूर्ण धरती पर घृणा क्यों????? सभी को विचार करना ही होगा।
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विश्व सम्विधान बिश्व सरकार !
🌺www.heartfulness.org🌺