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रविवार, 30 अगस्त 2015

ठहराव नहीं है जीवन

@ठहराव नहीं है --जीवन@
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कोई दिल पे ठहरा है.कोई दिमाग में ठहरा है.कोई पेट पे ठहरा है.कोई इंद्रियों पे ठहरा है.

यह ठहराव जीवन नहीं,चेतना नहीं,आत्मा नहीं.तब ऐसे में कैसे परमात्मा की ओर,खुदा की ओर?ठहरे हो जाति वाद में,ठहरे हो मजहब वाद में?ठहरे हो धर्म(अधर्म)स्थलों) पे?कहते हो हमें ईश्वर पर विश्वास है,खाक है---ईश्वर पर विश्वास??


आत्मा स्वतंत्रता है,परमात्मा स्वतन्त्रता है.जीवन स्वतन्त्रता है.वह मोहताज नहीं है--तुम्हारे इन ठहरावों का.

हम व जगत प्रकृति अंशहै व ब्रह्म अंश.जो।तुम्हारे इन ठहरावों का मोहताज नहीं.

ये संस्थाएं भी?आत्मा,परमात्माआदि के विधान से छोटे हैं,सस्थाएं बंधन हैं.
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A00226525
Ashok ku.verma"bindu"
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(shri ramchndrmisson ruhelkhnd)facebook

शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

रक्षा बन्धन का औचित्य???

@रक्षा बन्धन पर्व क्या औचित्य?????
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एक तथाकथित आर्य कहते हैं--रक्षा बन्धन का क्या औचित्य?हमारी नजर में रक्षा बन्धन,करवा चौथ,भैया दूजआदि पर्व लिंग भेद का प्रतीक है.जिन परिस्थितियों में रक्षा बन्धन(पर्व नहीं) उन परिस्थितियों में 'रक्षा का सङ्कल्प' दर्शन में था.

   आज की परिस्थितियों में में जब 'लैंगिक असमानता' को गैरक़ानूनी व अमानवीय कहा जाता है तो ये अनुचित है?अब रक्षा  सङ्कल्प के हेतु बदलना चाहिए व सार्वभौमिक हो जाना चाहिए.तुम विकास के पथ पर आज प्रकृति को मार रहे हो,प्रकृति की रक्षा का सङ्कल्प लो!मानवता की रक्षा का सङ्कल्प लो!
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अशोक कुमार वर्मा "बिंदु"

हमारी इच्छाएं देश के लिए?

[8/19, 8:12 PM] ashok kumar verma: मोदी ये करें तो जाने::आम आदमी की आबाज!!
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@सरकारी स्कूल में ही पढ़ने जाएँ विधायक,संसद,मंत्री,अधिकारी आदि के बच्चे!

@ सरकारी योजनाएं पूंजीपतियो के साथ बैठकर नहीँ वरन आम संस्थाओं(नागरिक कमेटियों) के विचारों के आधार पर हो.

@किसानों को उनकी उपज की कीमत का निर्धारण करने का अधिकार किसान कमेटियों को दिया जाये

@परिवार व गांव जीवन के आधार को लेकर रोजगार व् स्वरोजगार नीतियां बनाई जाएँ.प्रत्येक परिवार व उसके सदस्यों की योग्यता व उनकीसमस्याओं केआधार पर रोजगार नीति सीधे परिवारों सेजोड़ी जाये

@इंटर पास करते करते सभी का रोजगार निश्चित किया जाये।.ऐसा नही की बीटेक करने वाला बीटीसी कर स्कूल में मास्टर बन बैठे और जो वास्तव में टीचर बनना चाहे वह इधर उधर प्राइवेट पढता फिरे
@बेरोजगारी समाप्त करने के लिए सभी की रूचि का सम्बंधित विभाग की वेबसाइड में रजिस्ट्रेशन कर सभी को 10 हजार रुपए मानदेय पर 10 साल की ट्रेनिंग पर रखा जाये.
@नौकर शाही में ऐसे लोग न रखे जॉय जो सिर्फ मानदेय या वेतन के लिए रखे जाएं ?समजसेबा व देश सेबा मकसद होना चाहिए !जो समजसेबा व् देश सेबा के लिए अपनी जान तक देने को तैयार ही और उसे सरकारी नौकरी न मिले ये देश के सामने सबसे बड़ी कमजोरी है.यही भ्र्ष्टाचार का सबसे बड़ा कारण है.
@प्राइवेट संस्थाओं /स्कूल्स में कर्मचारियों का वेतन संस्थाओं/स्कूल्स के बैंक खाता से कर्मचारियों  के खाता में भेजने का सख्त कानून आना चाहिए
@आज कल 70 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं .इसके लिए सर्वप्रथम माता पिता दोषी हैं.माता पिता बनने का अधिकार सबको न दिया जॉय.इसके लिए नया परिवार नियमन कानून बनना चाहिए.जो अपनी समस्याओं से नहीं निपट सकता वह भावी पीडी की समस्याओं से कैसे निपटे?
@शिक्षा में भरी बदलाव की आवश्यकता है.व्यवहारिक व प्रयोगात्मक शिक्षा पर बल दिया जाना चाहिए.
[8/20, 2:06 PM] ashok kumar verma: जगत का आकर्षण है --ब्रह्म.शरीर का आकर्षण है--आत्मा.लेकिन ये बात हमे समझ में नहीं आ सकती बिन अनुभव के.क्योकि हमारा (मन) का आकर्षण बना हुआ है--प्रकृति आकर्षण अर्थात जगत आकर्षण..
[8/20, 2:08 PM] ashok kumar verma: कृष से बना है --कृष्ण,कृष से   
ही क्रिश्चियन बना है.कृष का अर्थ है -आकर्षण.

बुधवार, 26 अगस्त 2015

अपना लक्ष्य तय करें

@पहले हम ये तय करें कि हमें इस जिंदगी क्या चाहिये???
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जीवन अंत नहीं है.शुरुआत नहीं है.वह निरन्तर है .शाश्वत है.जन्म व् मृत्यु उसके दो कदम है.जन्म -- मृत्यु के बीच हमें इस जिंदगी क्या चाहिये .?हमें ये पता होना चाहिये.जीवन की सबसे बड़ी बुराई है-अपनी शक्तियों का विखरना और सबसे बड़ी अच्छाई है अपनी शक्तियों का एकाग्र होना.

    हम तय करें हमें क्या होना है?हमारा लक्ष्य क्या है?जीवन का लक्ष्य है--पुरुषार्थ.पुरुषार्थ के लिए.पुरुष क्या है?पुरुष है--आत्मा.महापुरुष है..परमात्मा.पुरुषार्थ चार स्तम्भों पर टिका है--धर्म,अर्थ,काम व मोक्ष.

"जीने के हैं चार दिन,बाकी  हैं बेकार दिन"......धर्म,अर्थ,काम व मोक्ष ही जीवन का आधार है?जिसके लिए जीवन को ब्रह्मचर्य,ग्रहस्थ,वानप्रस्थ व सन्यास में विभक्त किया गया है.हम जहाँ से आये  हैं,वहीँ हमें जाना है.विश्व सरकार?विश्व सम्विधान?क्या है विश्व सम्विधान?क्या है विश्व सरकार?जो कण कण में है व्याप्त,वही है हमारी सरकार.उसका विधान ही है सम्विधान.
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अशोक कुमार वर्मा "बिंदु"
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