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सोमवार, 2 मई 2022

समाज में तो टूटे हैं, विखरे है।मानवता व कुदरत ने स्वर जोड़े हैं::#अशोकबिन्दु





 कुछ और....


एक फाइल से प्राप्त पुरानी यादें/निशां!!

"एक दिन हम इस जहां से गुजर जाएंगे,

मगर  निशां  अपने  यहां  छोंड़   जाएंगे। #अशोकबिन्दु