Powered By Blogger

शनिवार, 26 मई 2018

उबन्तु उबन्तु::मैं हूँ क्योंकि हमसब हैं!!

सन 5020 ई0!
#बेचारा बचा इंसान!!

माता पिता थे तो हम थे! बढ़े हुए! कपड़े की फैक्टरी थी तो हमारे पास कपड़े थे !किसान थे तो हमारे पास अनाज था !डॉक्टर थे तो हमारा इलाज था !इसी तरह मैं हूं क्योंकि हम सब हैं !

        समाज में मानवता के बीज हमें फिर विकसित करने होंगे !
भाईचारा को हम विश्व बंधुत्व के आधार पर सोचना होगा !

जाति, मजहब, देश आदि से ऊपर उठकर हमें प्रकृति, विश्व ब्राह्माण्ड,अनंत यात्रा, सार्वभौमिक सत्य, शाश्वत आदि के आधार पर सोचना होगा!

 दक्षिण अफ्रीका में एक सिद्धांत है- उबंटू! जिसका अर्थ है-- मैं हूं क्योंकि हम सब हैं!
 हमें इस पर विचार करना चाहिए प्रकृति है तो हम हैं !
प्रकृति से ऊपर भी आगे अनन्त है ,शाश्वत है! संपूर्णता को हमें समझना होगा !मानता को हमें समझना होगा!!
#अशोक कु. वर्मा'बिंदु'
www.akvashokbindu.blogspot.com

बुधवार, 9 मई 2018

"हे अर्जुन(अनुराग)! उठ!!!इन माननीय सम्माननियों, वरिष्ठों आदि के रहते समस्याओं का हल होने वाला नहीं!"--श्री कृष्ण

कौटिल्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में  'सामन्त' का अर्थ 'पड़ोसी ' कहा है.कहने को जनतंत्र है लेकिन हम अब भी कहते हैं-सामन्तवाद ही आचरण में है.अब तन्त्र का पड़ोसी कौन है?गांव, वार्ड,ब्लाक, जिला आदि एवं विभिन्न संस्थाओं  के तन्त्र को जकड़े बैठे लोगों के पड़ोसी कौन है? इन पड़ोसियों से प्रभावित रहा है- समाज, तन्त्र ,शासन, प्रशासन आदि. ऐसे में कैसे कह सकते हैं कि तन्त्र व सरकारों में सभी की भागीदारिता, सहभागिता ,पारदर्शिता आदि है.?कुछ चापलूस, चाटुकार, माफिया, कुछ की मिलीभगत, कुछ जातिवादी,कुछ मजहबी,कुछ एक जैसे लोग आदिआदि से समाज संस्थाओं में ऊपर नीचे होता रहता है. समझौता की राजनीति भी देखो कैसी?कुछ मुट्ठी भर लोग स्वतन्त्र होते है,कुछ भी कहने व कुछ भी करने को और जब उनके खिलाफ केस बनता है या कोई उनकी शिकायत की हिम्मत करता है तो उन कुछ का जमघट दबाव, धमकी से पहले दबाने की कोशिश करता है,नहीं तो फिर समझौता???शोषण, अन्याय,गैक़ानून, कुप्रबन्धन,बुराई आदि के खिलाफ मुहिम नहीं.... ऐसे में सब निरर्थक!पाखण्ड!!! सरकारें, माननीय,सम्माननीय, वरिष्ठ आदि किस काम के??ऐसे में #नोटा  वोट की बर्बादी क्यों?ग़ैरमतदान बेकार क्यों??सामजिकता मुर्दाबाद!! मानवता जिंदाबाद!!!सत्य ही व्रत है!!ईश्वर सत्य को पाने का बहाना है!!जो है सो है!!भगत सिंह को यथार्थवाद पसन्द है...सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर..!!!!
#अशोकबिन्दु