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गुरुवार, 22 सितंबर 2022

22सितम्बर 1539!!गुरुनानक पुण्य तिथि के याद में!!#अशोकबिन्दु

सन्त परंपरा में हमें जीवन के सहजता नजर आती है। संत परंपरा में गुरु नानक को हम भुला नहीं सकते ।आज हम उनको याद कर रहे हैं । हमें उनकी शिक्षाएं याद आ रही हैं । उन्होंने कहा था जिंदगी में तीन चार नियम काफी महत्वपूर्ण है - ईश्वर से प्रेम करना, मिल जुल कर रहना , मिल बांट कर भोजन करना। हमें सिख अर्थात शिष्य पंथ अर्थात अभ्यास पंथ काफी महत्वपूर्ण लगता है । जीवन में इस धरती पर कोई भी प्राणी स्वयं में पूर्ण नहीं है। जब तक हम अपनी पूर्णता के आभास में जीवन नहीं जीते । अपने पूर्णता के आभास में जीने के लिए हमें निरंतर अभ्यास में रहने की जरूरत है । क्योंकि हम मनुष्य में पूर्वाग्रह ,जटिलताएं, पुराने संस्कार इतने घुल मिल गए हैं कि उनसे उभरना मुश्किल होता है।ऐसे में हमें निरंतर अभ्यास में रहने की जरूरत होती है । हमारी नियमित दिनचर्या , हमारी आदतें जीवन में काफी महत्वपूर्ण होती हैं । हम अपना वक्त जिस विचार,जिस सोच, जिस आस्था, जिस समझ , जिस दिनचर्या , जिन आदतों मैं गुजारते हैं । हम वास्तव में वही हो जाते हैं। बुढ़ापे पर और मृत्यु के वक्त उनका असर हमारे जीवन में पढ़ना स्वाभाविक होता है । गुरु नानक के जीवन से हमें सहज जीवन जीने की प्रेरणा मिलती।