Powered By Blogger

बुधवार, 26 अगस्त 2015

अपना लक्ष्य तय करें

@पहले हम ये तय करें कि हमें इस जिंदगी क्या चाहिये???
..
.
.
जीवन अंत नहीं है.शुरुआत नहीं है.वह निरन्तर है .शाश्वत है.जन्म व् मृत्यु उसके दो कदम है.जन्म -- मृत्यु के बीच हमें इस जिंदगी क्या चाहिये .?हमें ये पता होना चाहिये.जीवन की सबसे बड़ी बुराई है-अपनी शक्तियों का विखरना और सबसे बड़ी अच्छाई है अपनी शक्तियों का एकाग्र होना.

    हम तय करें हमें क्या होना है?हमारा लक्ष्य क्या है?जीवन का लक्ष्य है--पुरुषार्थ.पुरुषार्थ के लिए.पुरुष क्या है?पुरुष है--आत्मा.महापुरुष है..परमात्मा.पुरुषार्थ चार स्तम्भों पर टिका है--धर्म,अर्थ,काम व मोक्ष.

"जीने के हैं चार दिन,बाकी  हैं बेकार दिन"......धर्म,अर्थ,काम व मोक्ष ही जीवन का आधार है?जिसके लिए जीवन को ब्रह्मचर्य,ग्रहस्थ,वानप्रस्थ व सन्यास में विभक्त किया गया है.हम जहाँ से आये  हैं,वहीँ हमें जाना है.विश्व सरकार?विश्व सम्विधान?क्या है विश्व सम्विधान?क्या है विश्व सरकार?जो कण कण में है व्याप्त,वही है हमारी सरकार.उसका विधान ही है सम्विधान.
.
.
अशोक कुमार वर्मा "बिंदु"
.
 
,
.
www.akvashokbindu.blagspot.com
.

कोई टिप्पणी नहीं: