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सोमवार, 20 जून 2011

परमपूज्य बाबा रामदेव जी चरण स्पर्श ! भविष���य अपना है यदि हौसला क��� साथ आगे बढ़ते रहें.अस��लता में भी सफलता छिपी होती है.सन 2012-2020ई0 का समय बदलाव का समय है.

यह समय किसे नायक व किसे खलनायक बनाएगा ,यह तो भविष्य बताएगा.भ्रष्टाचार कुप्रबन्धन व काला धन की जड़ें काफी गहरी हैं,जिन्हें उखाड़ने के लिए एक तूफान चाहिए.



पूरी दुनिया से बदलाव की घटनाएं नजर में आ रही हैं.प्रजातन्त्र के पक्ष में भी निर्णय सामने आ रहे हैँ.किसी एक जाति पन्थ देश के विषय में न सोंच पूरी मनुष्यता,सार्वभौमिक ज्ञान ,कानून व्यवस्था,आदि पर विचार करना आवश्यक है. अपनी पन्थनिरपेक्षता को प्रमाणिकता की आवश्यक है.अपनी कम्पनियों,समितियों,ट्रस्टों में अल्पसंख्यकों को सदस्य बनाना आवश्यक है.यदि हमारा मंच गैरराजनैतिक है तो मंच पर गैरराजनैतिक व्यक्ति ही नजर आने चाहिए.जब तक माया ,मोह,लोभ,आदि है तब तक भ्रष्टाचार रहेगा . हां , हर व्यक्ति पर कानून का डण्डा चलते रहना चाहिए .इसके लिए कानून के रखवाले ईमानदार होना चाहिए .जिसके लिए स्वतन्त्र लोकपाल का होना आवश्यक है.विभिन्न परिस्थितियों में नारको परीक्षण व ब्रेन रीडिंग अनिवार्य करना आवश्यक है.एक बात और है ब्राह्मण स्वभाव के व्यक्ति से क्षत्रिय वैश्य व शूद्र के कार्य कराना कहां तक उचित है?आज कल तो मुझे सब वैश्य व शूद्र हैं.जो ब्राह्मण व क्षत्रिय हैं भी वे पैदल भी हैं.आज के तन्त्र की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि वेतन के लोभ मेँ लोग शिक्षक बन रहे हैं,देश के प्रहरी तैयार किए जा रहे हैं .जो देश के लिए चिन्तन रखते हैं वे एक सड़क किनारे पान की दुकान पर अपनी भड़ास निकाल कर रह जाते है और जो विभिन्न पदों पर बैठे होते हैं वे कानून को एक ताख कर रख कर सिर्फ निज स्वार्थ व अपने परिवार या बैंक की तिजोरियां भरने तक सीमित रह जाते हैं .यहां तक कि आज के संत......?! धन दौलत इकट्ठी करने मेँ लगे व अपने उत्पाद बेंचते संत धार्मिकता युक्त आर्थिक उपनिवेशवाद का अंग नजर आते हैं.



मैं आपके साथ कुछ दिन बिता कर विभिन्न विषयों पर चर्चा चाहता हूँ.


शेष फिर.....


ASHOK KUMAR VERMA
'BINDU'


संस्थापक/सचिव

मानवता हिताय सेवा समिति

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