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शनिवार, 11 जून 2011

राहुल गांधी को आत्मसाक्षात्कार की जरुरत!

कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी पांच सालों से युवकों को एक जुट करने में लगे हैं लेकिन सफल नहीं हो पाये.उनकी तुलना में अन्ना हजारे व बाबा रामदेव ज्यादा सफल हुए हैं .राहुल गांधी को विचार करना चाहिए कि हमें देश का हित चाहिए या फिर कांग्रेसियों का ?आम आदमी का या पूंजीपतियों का ?समाजसेवियों का या फिर दबंगों व सत्ता लोभियों का ?



हम अपने आसपड़ोस में देख रहे हैं कि कांग्रेस से जो युवक जुड़ भी रहे हैं ,वे अपने गली में कितने शरीफ हैं?चरित्रवान युवक क्या कांग्रेस से जुड़ रहे हैं ?वे युवक क्या समाज के लिए त्याग करना चाहते हैं या अपने स्वार्थ की रोटियां सेंकना चाहते हैं ? आप कभी भी विभिन्न स्थितियों में नारको परीक्षण व ब्रेन मेपिंग के अनिवार्यता की वकालत नहीं कर सकते .पारदर्शिता की क्रान्ति ,चाहें वह देश के हित में कितनी भी हो,आप मदद नहीं कर सकते . 5 जून को रामलीला के मैदान में रावणलीला के बाद आप राहुल जी मैन क्यों हैं?

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