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सोमवार, 29 जून 2020

आत्महत्या के इच्छुक व्यक्ति सुनें:::अशोकबिन्दु

 एक युवक आत्म हत्या करना चाहता था।
उसने अरस्तू का नाम काफी सुन रखा था। जिस अरस्तू के पास हर समस्या का समाधान था।

वह युवक अरस्तू के पास जा पहुंचा।

उसने अरस्तू से कहा, मुझे आत्म हत्या करने की इच्छा होती है।


अरस्तू ने कहा-कर लो तो आत्महत्या। मेरे पास क्यों आये हो?


युवक बोला-अरे आप भी?आप से अच्छी तो दुनिया थी।उसने आत्महत्या को मना ही किया।

"तो यहां क्यों आ गए?"

"आपका नाम सुन रखा था, सब समस्याओं का समाधान है आपके पास!"


"समस्या क्या है?"

"आत्महत्या करना चाहता हूं।"

 "ये क्या है?समस्या है? जब चाहते हो ,तो करो।"

अब युवक खामोश....

"आप से अच्छी दुनिया थी।"

"तो जाओ दुनिया के पास।"

"हम तो बडी उम्मीद से आये थे।"

"किस उम्मीद से?चाहते आत्मा हत्या हो?ऐसे में उम्मीद क्या?"

"आपके पास समाधान है, हर समस्या का।"

"लेकिन आप समस्या बता भी कब रहे हो?अपनी इच्छा बता रहे हो।"

अब युवक फिर खामोश।

"जिस दुनिया में आपसे किसी ने नहीं कहा कि आत्म हत्या गलत है, उस दुनिया में तुम को समाधान क्यों नहीं मिला? आज  हमारे पास आये हो।अब इच्छाओं को त्याग दो।समाधान के लिए आये हो,समाधान में जिओ। हमारे संग जिओ।


अब हमारे संग जीने का मतलब जानते हो?

सन2020ई0,वैश्विक कोरोना संक्रमण। कुछ लोगों की हालत ऐसी है कि हतासा के दौरे पड़ते हैं।आत्महत्या करने का भी ख्याल आता आ जाता है।इसके लिए मानव समाज का प्रबंधन भी दोषी नहीं क्या?


स्वेट मार्डन कहते हैं जिन हालातों में कोई दुखी होता है उन्हीं हालातों में कोई सुखी भी देखा गया है आखिर यह सब क्या है उनका कहना है आध्यात्मिक आनंद सभी समस्याओं के बीच से हमें निकालते हुए जीवन जीना सिखाता है एक आत्मा गर्भ धारण करती है वह एक योजनाबद्ध तरीके से ही अपना माता-पिता का निर्धारण करती है अपनी एक योजना बनाकर वह शरीर धारण करता है। लेकिन दुनिया में आकर वह अपनी इंद्रियों और शारीरिक आवश्यकताओं में अपने को लगा देता है और वह अपनी मिलता अपनी आत्मीयता से दूर होता जाता है।





एक सच्ची घटना के माध्यम से हम बताना चाहते हैं की हमारा सुख दुख हमारे नजरिया का परिणाम है हमारे सोचने का परिणाम है यहां पर मैं बताना चाहता हूं एक बार की बात है एक युवक हताश निराश वह आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा था उसे कुछ व्यक्तियों ने बचा लिया जो एक आश्रम से संबंधित थे आत्महत्या करते उस युवक को आश्रम में स्वामी जी के पास ले जाया गया स्वामी जी ने एकांत में उस से वार्ता की उसका दुख दर्द पूछा स्वामी जी ने उससे कहा तुम तो एक अच्छे युवक हो तुम अपने अंदर दिव्य शक्तियां रखते हो तुम अपने अंदर आत्मा रखते हो जो अनंत से जुड़ी हैं तुम जो चाहो तो कर सकते हो अब तुम अपने गांव लौट जाना लेकिन कब तुम इस आश्रम में तब तक रह सकते हो जब तक रहना चाहो लेकिन सत्य ही है तुम्हें माउन रहना है और जब तुम्हारी इच्छा हो तब वापस अपने गांव लौट जाना गांव जाने के बाद तुम्हारे मन में जो भी काम हो वह करना किसी की बातों पर ध्यान ना देना के लोग क्या कहते हैं तुमने यहां जो महसूस किया होगा तुमने यहां जो अध्ययन किया होगा और तुम्हारे दिल में जो आए शो करना लेकिन ऐसा कुछ भी ना करना जो संतो की बालियों के खिलाफ हो जो तुम्हारे दिल के खिलाफ हो इसके बाद क्या हुआ युवक काफी समय तक आश्रम में रहा मौन रहा बिल्कुल बोला नहीं बाकी सारी गतिविधियों में सक्रिय रहता स्वाध्याय करता मेडिटेशन करता 1 दिन उसकी इच्छा हुई अब हमें गांव लौटना चाहिए। वह गांव वापस आ गया और मन में जो इच्छा होती वह वही काम करता उसने इस पर ध्यान देना बंद कर दिया कि लोग क्या कहते हैं वह अपने मन की करने लगा अपने दिल की सुनने लगा महापुरुषों के बानी ओ की सुनने लगा पुस्तकों के संदेशों की सुनने लगा और उसके आधार पर चलने रहा 1 साल के बाद ही उसने महसूस किया यह हमारे जीवन तो अब तो बेहतर हो गया है अब उसे अपने अंदर से काफी अच्छा महसूस होने लगा उसने फिर अपने भविष्य की योजना बनाई स्वाध्याय करने लगा और भी काम करने लगा आगे चलकर वह आश्रम से जुड़ा और आश्रम के सहयोग से वह काफी ऊपर तक गया और वह एक अच्छा इंसान बन चुका था उसके चेहरे पर तेज आ चुका था।




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