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मंगलवार, 2 जून 2020

मलंग कबीरा की पोस्ट से::अशोक बिंदु

आंध्रप्रदेश में हिंदुओं में अपनी सगी भाँजी से विवाह किया जा सकता है। चेचेरी और ममेरी बहन से भी विवाह संभव है। मेरे लिए ऐसा कुछ अकल्पनीय है।
नार्थ सिक्किम 9000 फुट से अधिक ऊंचाई पर याक खूब दिखते हैं। याक मुझे बहुत प्रिय है। सिक्किम के लोगों को याक का मांस बहुत पसंद है और कुछ हिस्सों में मजबूरी भी है। रास्ते में चलते चलते याक का शिकार होता हुआ दिखा और हम सारे दोस्त सिहर गए।
कर्नाटक में छोटे छोटे रेस्टॉरेन्ट में और सड़क किनारे पड़ने वाले ग्रामीण ढाबों में पोर्क खूब मिलता है।
केरल में बीफ कॉमन है। हिन्दू/मुसलमान/ईसाई सब प्रेम से खाते हैं। बड़े रेस्टोरेंट में हर तरह का मीट मिलता है।
पश्चिम बंगाल में बाहरी लोगों से सीधा पूछ लिया जाता है कि देश कौनसा है तुम्हारा ? बिहार से बंगाल के रास्ते में मालदह पार कर जाने पर बीफ की दुकान सड़क किनारे दिख जाती है। हाँ देश पूछने पर और सड़क किनारे बीफ दिखने पर मैं असहज हुआ था।
तमिलनाडु के कुछ हिस्से में लड़कियों के पीरियड शुरू होने पर बड़े बड़े होर्डिंग लगाए जाते हैं और पूरे गाँव समाज को भोज खिलाया जाता है।
मेरे गाँव में दिवाली के अगले दिन सुकरतिया नाम के पर्व में टोले भर के भैंस मिलकर एक निरीह सुअर को फुटबॉल की तरह खेलते हैं जबतक की वो मर नहीं जाता। मुझे गुस्सा आया था पहली बार देखकर।
ऐसे अनेक उदाहरण हैं मेरे पास ये समझने के लिए कि इस देश में लोग हैं जिनकी मान्यता मेरे से बिल्कुल अलग है। जो मेरे से जुदा सोचते हैं। जिनका स्वाद मेरे से अलग है। और मैं इनसब के साथ बड़ी आसानी से समझ जाता हूँ कि मुझे सबके साथ रहना है, उनके मान्यताओं को सम्मान देते हुए जरूरत पड़ने पर शामिल होने में बस अपनी अनिच्छा दर्ज करानी है।
कई दोस्त हैं जिनके साथ बेहतरीन जगहों पर घूमने गया हूँ।
सिक्किम के लोग मुझे पूरे भारत मे सबसे अच्छे लगे। जिंदादिल, ईमानदार, शांत। याक या बीफ खाने के कारण ये थोड़े भी खराब इंसान न हो पाए जैसा में मुर्गा दबाकर खाने के बाद भी सिक्किम के महात्मा गांधी रोड पर ली गयी तस्वीर में गाँधी की प्रतिमा के साथ अनफिट नहीं होता।
कर्नाटक में खूब सारा प्यार मिला। लोग मिले ऐसे जो मुझे कम्फ़र्टेबल करने के लिए टूटी फूटी हिंदी में बतियाते थे। थोड़ा भी परायापन न मिला।
केरल में जिंदादिल दोस्त मिले। दारू की पार्टी में खूब गया, पिया नही और बिल दिया। दोस्त ऐसे जो मेरे प्रजेंस के बिना दारू पीने को तैयार नहीं। ज्यादातर दोस्त ईसाई और मुसलमान लेकिन मेरे कम्फर्ट को ध्यान में रखकर चिकन छोड़ कभी कुछ आर्डर न हुआ ( अभी मुझे वो कम्फर्ट अपना स्वार्थ लगता है).
एक दीदी मिली जो मुसलमान हैं और राखी पर टीका लगाने के लिए कुछ न मिलने पर मेरे माथे पर लिपस्टिक से टीका करती थी। एक बिहारी को पूरे मलयाली कम्युनिटी का भरपूर प्यार मिला।
तामिलनाडु की मेरी दोस्त के बिना मुंबई का तीन साल बेकार गुजरता। मुम्बई और आसपास का हर हिस्सा हमने साथ देखा। खूब हँसे, खूब घूमे, खूब खाए। एकदूसरे के समस्याओं को सुलझाया भी, एक दूसरे के साथ रोये भी और रो चुकने के बाद चिढ़ाया भी खूब। कभी भी तमिल और बिहारी न हुए।
पश्चिम बंगाल में चार साल हिंदी बोलते गुजार दिए और दोस्तों ने उफ तक न की। यहाँ भी खूब प्यार मिला। बंगाली मकानमालिक और मेरे अनगिनत दोस्तों ने मेरी बदमाशी मुस्कुरा कर झेली।
सुअर का भैंसों से शिकार कराकर भी मेरे गाँव के सारे लोग खराब नहीं हो जाते । लोग बीफ खाकर खराब नहीं हो जाते जैसे मैं चिकन खाकर अपने बौद्ध और जैन मित्रों के लिए खराब नहीं हो जाता।
लोग संबंधियों में विवाह करके खराब नहीं हो जाते जैसे ब्राह्मण केवल ब्राह्मण से और यादव केवल यादव से शादी कर खराब नहीं हो जाते।
न कोई पोर्क खाने से खराब होता है, न कोई शाकाहारी होने से खराब होता है।
मुझे बुरा लगता यदि कोई मुझे जबरदस्ती मुसलमान, ईसाई, बौद्ध या नास्तिक बनाने का प्रयास करता। मुझे बुरा लगता यदि मुझपर कोई अपनी मान्यता थोपता।
देश बुरा हो जाएगा यदि कोई हिस्सा सबको जबरदस्ती अपने जैसा बनाने लगेगा।
देश बुरा हो जाएगा यदि इसकी विविधता खत्म होगी।
देश बुरा हो जाएगा यदि मुहम्मद अली रोड पर रमज़ान के मौके पर मिलने वाले पकवानों को खाने के लिए उमड़ने वाली भीड़ में हिंदुओं भारी संख्या कम हो जाए।
देश बुरा हो जाएगा यदि कोई भी अपने मन का खाने और पहनने को स्वतंत्र न हो।
देश बुरा हो जाएगा यदि खान-पान और परिवेश में भिन्नता के कारण एकदूसरे के दिल में जगह मिलना बंद हो जाए।
देश बुरा हो जाएगा यदि हमारे बीच विविधता के रंग बिरंगी खूबसूरत महीन लकीरों को कोई चौड़ी खाई में बदलने की जिद करने लगे।
इतिहास को गौरवशाली करने में हमारा बस इतना सा योगदान हो कि हम अपने वर्तमान को सबके लिए खुशहाल बनाने का प्रयास करें।

बाकी सब कुशल मंगल है।

#मैं_मलंग
🧟‍♂️

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