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रविवार, 21 जून 2020

अशोकबिन्दु भईया: दैट इज...?!पार्ट09





विश्व बंधुत्व, बसुधैव कुटुम्बकम और भविष्य....!!?

परिवार में जब परिवार का आओ ना हो तो क्या होगा एक स्कूल है अनेक क्लास अनेक क्लास है तो इसका मतलब यह नहीं है कि प्रत्येक क्लास के बीच भेद खड़े कर दिए जाएं परिवार भाव का मतलब क्या है परिवार के अंदर संस्था के अंदर कुछ व्यक्ति यदि अपनी मनमानी में रहते हैं तो क्या उनके साथ भेदभाव खड़ा कर दिया जाए या जो चापलूसी हां हुजूरी कर रहे हैं उन्हें सिर पर बैठा लिया जाए परिवार संस्था क्लास में कुछ ऐसे होते हैं जो व्यवस्था बिगाड़ने का ही कार्य करते हैं सहयोगी नहीं होते तो क्या उनसे भेद खड़ा कर दिया जाए उन्हें नजरअंदाज कर सिर्फ अपना टाइम पास किया जाए इसी तरह समाज दे भविष्य समाज देश विश्व में अनेक क्लास अनेक स्तर के व्यक्ति हैं कुछ व्यवस्था बिगाड़ने का कार्य कर रहे हैं हमारा कर्तव्य क्या है अफसोस ए है कि जब मुखिया तंत्र ही सु प्रबंधित ना हो


ऐसे में कल सब्जियों के साथ चलना बड़ा मुश्किल हो जाता है तंत्र बात तंत्र को जकड़ा बैठा व्यक्तित्व ही सुकरात मीरा को जहर ईशा को सूली की व्यवस्था मैं झोंक देता है तंत्र को जकड़े बैठे लोग उनके ठेकेदार शासक सामंत पूंजीपति आदि अंगुलिमाल की गलियों के विरोध में तो खड़े मिल जाते हैं लेकिन अंगुलिमाल ओ को संतुष्ट नहीं कर पाते इतिहास बुद्ध को नायक बना देता है भविष्य बुद्ध को नायक बना देता है जो नायक थे बे खलनायक हमारी खामोशी हमारा मून बोलो ना तो झुनझुना पढ़ो क्यों झुंझला पढ़ें यथार्थ जीने के लिए वर्तमान जीने के लिए सिर्फ खामोशी ही काफी है खामोशी रखकर अपना कर्म करते जाना है हमारा जो स्तर है उस स्तर पर काम करते जाना है तुम्हारे नजर में हमें अपना चरित्र नहीं गढ़ ना है शिक्षित होना स्वयं एक क्रांति हैं बाबूजी महाराज कहते हैं शिक्षित व्यक्ति के लिए कोई अधिकार है ही नहीं कर्तव्य ही कर्तव्य हैं सुकरात आए ईशा आए मोहम्मद साहब आए कभी आए नानक आए ज्योतिबा फुले आए गोपाल कृष्ण गोखले आए हजरत किबला मौलवी फजल अहमद खान साहब रायपुर हाय लाला जी महाराज आए वगैरा-वगैरा जो करना है वह करना है दिल से करना है तुम हमारे साथ खड़े ना हो कोई बात नहीं दुनिया हमारे साथ खड़ी ना हो कोई बात नहीं कुदरत देख रही है सब फैसला हो जाएगा भविष्य में।

21 जून2020 ई0!

सूर्य ग्रहण अनेक जगह सड़कें सुनसान हो गई कल तक कोरोना संक्रमण का भी डर ना था सड़कों पर भीड़ थी बाजार में सब एक दूसरे पर चले जा रहे थे इंसान नहीं जीता है इंसानियत नहीं जीती है गुलामी जी रही है पुरोहित बाद जी रहा है सत्ता बाद जी रहा है सामंत बाद जी रहा है माफिया तंत्र जी रहा है जातिवाद मजहब बाद जी रहा है देश बाद भी जी रहा है लेकिन कब तक कुदरत सब हिसाब किताब करना जानती है।



बसुधैव कुटुम्बकम!

विश्व बंधुत्व!
जगत का कल्याण हो...अधर्म का नाश हो....बगैरा बगैरा।
ये कहने में अच्छा लगता है, बस।


आचरण किधर है ?अरे, वह खिचड़ी है ।  वह कहीं का भी नहीं ।  धर्म धर्म ,हिंदुत्व हिंदुत्व, ईमान ईमान ,खुदा खुदा चीखते सड़क पर उतरने वाले जब जाते हैं तो सिर्फ खून बह सकता है  ।लेकिन वे कुदरत से बढ़कर नहीं हो सकते।

 कमलेश डी पटेल दाजी कहते हैं कोई भी हो सामने । उसे कुदरत का खुदा का वरदान मानो, उसमें अल्लाह की रोशनी जानो ।यदि कोई वैश्या भी हो तो उसे वैश्या नहीं इंसान ही मानो। ए विश्व बंधुत्व आदि की बातें सिर्फ खेल नहीं है ।योग भी क्या है ?अपने विचार ,भाव ,नजरिया, मन प्रबंधन महानता की ओर ले जाना। योग का पहला अंग है -यम।यम मृत्यु है। आचार्य मृत्यु है। योगी मृत्यु है।..... इसे क्या हम आप समझेंगे? अहंकार शून्य हो जाना? जातिवाद - मजहबबाद के खिलाफ उठ खड़ा होना? पूरी दुनिया कम से कम शिक्षित दुनिया जो सिर्फ कर्तव्य जानती है अधिकार नहीं ,हमें प्रसन्नता है कि वह  अब कमलेश डी पटेल दाजी जी की ओर देख रही है। जैसा कि राजनीतिक दुनिया नरेंद्र मोदी की ओर देख रही है ।जो वास्तव में अध्यात्मा, मानवता को दिल से चाहते हैं बे कमलेश डी पटेल दाजी की और देखने लगे हैं। रामदेव बाबा भी अनेक बार कर चुके हैं आखिर सभी को इधर ही आना होगा ।दलाई लामा कहते हैं दुनिया का भला विश्व सरकार ही कर सकती है। विश्व बंधुत्व, वसुधैव कुटुंबकम भावना ही कर सकती है।

कमलेश डी पटेल दाजी इस समय हजरत किबला मौलवी फजल अहमद खान साहब रायपुर  के शिष्य श्री रामचंद्र जी महाराज फतेहगढ़ की याद में 1945 में शाहजहांपुर की धरती पर स्थापित श्री राम चंद्र मिशन हार्टफुलनेस के प्रमुख हैं ।एक खामोश आध्यात्मिक क्रांति  शाहजहांपुर से चलकर 200 देशों में पहुंच चुकी है ।वर्तमान में अध्यात्म की पताका लिए अनेक संस्थाएं चल रही हैं। अब बता रहा है उनका एक मंच पर आने का हम सन 1990 से एक साझा मंच की कल्पना में, प्रार्थना में कोशिश में जी रहे हैं। हमें प्रसन्नता है हम शाहजहांपुर धरती से हैं, उस धरती से जहां श्री रामचंद्र मिशन की स्थापना हुई ।जिसके 75 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। जिस की खास विशेषता है- प्राण आहुति कार्यक्रम अर्थात संस्था संबद्ध स्त्री पुरूषों में प्राण प्रतिष्ठा जैसा कार्यक्रम?
मीरानपुर कटरा शाहजहांपुर से हम श्री जयवीर सिंह, श्री रामदास श्री ,ब्रह्मा धार मिश्र आदि के  साथ इस खामोश आध्यात्मिक क्रांति में आहुतियां लगा रहे हैं। हम इस पर निशांत दास पार्थ, हरि शंकर सिंह गुर्जर, महेश चंद्र मेहरोत्रा, राजीव अग्रवाल,अनूप अग्रवाल, एके सिंह, कविन्द्र सिंह यादव ,प्रियंक गंगवार, हरकरन त्रिपाठी आदि को धन्यवाद देते हैं। की दे हमारे प्रति हमदर्दी रखते हैं, धन्यवाद।

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