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सोमवार, 19 जुलाई 2021

त्रिहरीयान से तेहरान...?!#अशोकबिन्दु

 त्रिहरियान से तेहरान!!हरियान/हरियाण.... #बसुधैबकुटुम्बकम #विश्वबन्धुत्व हरियाण एक महान व्यक्तित्व था।जिसका पुत्र रोम साम्राज्य में उपसम्राट था। जिसकी पैतृक जड़ें पश्चमी भारत से थीं।जिनके नाम से आज हरियाणा प्रान्त है।सूरसेन व्यापारियों,अयोध्य,अग्रवाल क्षत्रियों का प्रभाव गुप्त काल तक रोम तक रहा। भारत में अनेक #कटरा स्थान इनसे प्रभावित थे।उस वक्त आज कल की तरह जाति की जटिलता नहीं थी। #सिकन्दर/#अलक्षेन्द्र के आक्रमणों ने इस स्थिति को कमजोर किया। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को 1979 में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की 15 प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फ़ारसी, अजरबैजान, कुर्द (क़ुर्दिस्तान) और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह । माना जाता है कि ईरान में पहले पुरापाषाणयुग कालीन लोग रहते थे। यहाँ पर मानव निवास एक लाख साल पुराना हो सकता है। लगभग 5000 ईसापूर्व से खेती आरंभ हो गई थी। मेसोपोटामिया की सभ्यता के स्थल के पूर्व में मानव बस्तियों के होने के प्रमाण मिले हैं। ईरानी लोग (#आर्य) लगभग 2000 ईसापूर्व के आसपास उत्तर तथा पूरब की दिशा से आए। इन्होंने यहाँ के लोगों के साथ एक मिश्रित संस्कृति की आधारशिला रखी जिससे ईरान को उसकी पहचान मिली। आधिनुक ईरान इसी संस्कृति पर विकसित हुआ। ये यायावर लोग ईरानी भाषा बोलते थे और धीरे धीरे इन्होंने कृषि करना आरंभ किया। #आर्यों का कई शाखाए ईरान (तथा अन्य देशों तथा क्षेत्रों) में आई। इनमें से कुछ मिदि, कुछ पार्थियन, कुछ फारसी, कुछ सोगदी तो कुछ अन्य नामों से जाने गए। मीदी तथा फारसियों का ज़िक्र असीरियाई स्रोतों में 836 ईसापूर्व के आसपास मिलता है। लगभग यही समय #ज़रथुश्त्र (ज़रदोश्त या ज़ोरोएस्टर के नाम से भी प्रसिद्ध) का काल माना जाता है। हालाँकि कई लोगों तथा ईरानी लोककथाओं के अनुसार ज़रदोश्त बस एक मिथक था कोई वास्तविक आदमी नहीं। पर चाहे जो हो उसी समय के आसपास उसके धर्म का प्रचार उस पूरे प्रदेश में हुआ। असीरिया के शाह ने लगभग 720 ईसापूर्व के आसपास इज़रायल पर अधिपत्य जमा लिया। इसी समय कई यहूदियों को वहाँ से हटा कर मीदि प्रदेशों में लाकर बसाया गया। 530 ईसापूर्व के आसपास बेबीलोन फ़ारसी नियंत्रण में आ गया। उसी समय कई यहूदी वापस इसरायल लौट गए। इस दोरान जो यहूदी मीदी में रहे उनपर जरदोश्त के धर्म का बहुत असर पड़ा और इसके बाद यहूदी धर्म में काफ़ी परिवर्तन आया। दशरथ पुत्र राम से पूर्व #राम एक आध्यात्मिक दशा का प्रतीक था।जो रमने से संबन्धित था, सर्व्यापकता से था।सागर में कुम्भ ,कुम्भ में सागर की दशा, सतत स्मरण ,मोक्ष की दशा, भगवत्ता, पुनर्जन्म मुक्ति दशा आदि का प्रतीक था। #इहराम #यहराम #अहराम आदि शब्द इसी के दशा के अर्थात #रूहानीदशा ,#आध्यत्मिक दशा को दर्शाता है। पश्चिम में #रोम #रामाल्लाह #पवित्ररोमन आदि भी इसी की ओर आदि संकेत करते थे। #काबा #मक्का #गिरजाघर #गिरी आदि प्राचीन #शैवमत की ओर संकेत करते थे। हम कहते रहे हैं कि दुनिया के तमाम देशों की पुरातत्विक रिपोर्ट्स #आर्यकुटुम्बों के इतिहास की ओर संकेत करती है। । त्रिहरी स्थान कुर्मांचल/उत्तराखंड में भी था।जोकि अब टेहरी नाम से टेहरी बांध में समा चुका है।पांडव अर्जुन के वंशज तोमर/तुंग हैं।जिनके वंशज दक्षिण भारत, चीन आदि में भी मिलते हैं। प्रियवृत शाखा के कुटुम्ब रोम व तेहरान क्षेत्र में भी बसे। भारोपीय भाषा में इसलिए कुमायूं/कुर्मांचल व रोम की भाषा में अनेक शब्द कामन मिलते हैं। हम कहते रहे हैं कि हम विश्व की सभी सभ्यताएं वैश्विक रूप से एक ही जड़ से देखते हैं।


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