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गुरुवार, 1 जुलाई 2021

हिमालय वैश्विक चेतनात्मक आभा का केंद्र::अशोकबिन्दु

 हिमालय!! हिमालय सिर्फ पत्थर, शैलों, मिट्टी, वनस्पतियों आदि मात्रा से भरी भौतिक रचना नहीं है।वह चेतना का कुम्भ, प्राणाहुति शरीर है।जहां अनेक आत्माएं साधना लीन हैं।उसका अहसास स्थूलता में जीने वाले नहीं कर सकते।वे सिर्फ मान सकते हैं कि हिमालय महान है।इस सृष्टि के लिए हिमालय अति।महत्वपूर्ण है।यह वर्तमान।में सबसे महान पर्वत है। हम तो यह कहेंगे कि उसे संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा अंतरराष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।और आधुनिक भौतिक भोगवादी हस्तक्षेप खत्म हो। उसकी नैसर्गिकता, सहजता बनी रहनी चाहिए। पश्चिम के पौराणिक कथाओं में भी स्वर्ग वहीं सांकेतिक किया गया है। मानव सभ्यता की शुरुआत इसी पर्वत से शुरू हुए।कश्मीर हो या नेपाल, हिंदुकुश की पहाड़ियां हो या अरुणाचल की,कैलाश पर्वत हो या शिवालिक ....पूरा का पूरा हिमालय क्षेत्र हम एक सूक्ष्म आभा से भरा महसूस देखते है। अभी अनेक रहस्य हैं जो उजागर होने बाकी हैं, जो मानव की समझ से परे हैं। कुमायूं या कूर्माचल के अतीत की ओर जाते हैं तो उसके सूक्ष्म आभा की चमक हमें पवित्र रोम राज्य तक नजर आती है। और जब हम शिवालिक पहाङियों के अतीत की ओर झांकते हैं तो उसके सूक्ष्म आभा की चमक #रामपिथेक्स की आड़ में अफ्रीका तक नजर आती है।कब #मानसरोवर के माध्यम से #काकभुशुण्डि #क्रोप्रजाति के माध्यम से अतीत में जाते हैं तो सूक्ष्म आभा की चमक मिस्र, श्रीलंका, कोरिया तक महसूस होती है। मानव सभ्यता अब भी स्थूल दृष्टि वह भी भौतिक भोगवादी,संकीर्ण से परे नहीं कहीं पर जा पा रही है।हम महसूस करते हैं कि अभी हम मानव सभ्यता का इतिहास मात्र 3 प्रतिशत ही जान पाए हैं।और हमारी संकीर्ण दृष्टि अभी प्रागैतिहासिकता, प्रागैतिहासिक व एतिहासिक के बीच की संरचनाओं को समझना तो दूर अभी हम ऐतिहासिक तथ्यों को भी ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं। कुल मिला कर हम कहना चाहेंगे कि हम व जगत के तीन रूप हैं-स्थूल, सूक्ष्म व कारण।अभी हम स्थूल तक ही उसका सत्य ही उसके ही हिसाब से नहीं समझ पाए हैं। #काकेशस #तुर आदि मध्य एशिया के महान पहाड़ियां भी हम हिमालय की दिव्या का सूक्ष्म प्रभाव मानते है। केंद्र का प्रभाव आस पास क्षेत्र तक जाता है। साइबेरिया के जंगल ,दक्षिण का पठार अपने में अनेक एलियन्स सम्बन्धों का सूक्ष्म आभास भी छिपाए हुए है। #नाग #नागा #बलियर आदि के माध्यम से हम मानव व अन्य शक्ति का आभास पाते हैं। #मत्स्यमानव #मछुआरों #कशयप आदि के माध्यम से हम भूमध्य सागरीय क्षेत्र, मिस्र आदि में मानव व किसी दिव्य शक्ति के बीच सम्बन्ध को #एलियन्स #परग्रही #आकाशीयशक्ति #आकाशतत्व ,मेसोपोटामिया, सीरिया में हम #वरुण को एक काल में।मनु के रूप।में देखते हैं।जहां #पुल #रस #रूस #सारसेन आदि के माध्यम से #जल तत्व पर नियंत्रक योगियों के माध्यम से हिमालय से सूक्ष्म आभा का अहसास पाते हैं। #अशोकबिन्दु


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