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सोमवार, 5 जुलाई 2021

खुली मुसलमानी व सनातन धर्म::अशोकबिन्दु

 खुली मुसलमानी व सनातन धर्म?!

एक कहता है कि हम सनातन धर्म को मानते हैं ,और वह जितना मुसलमानों,ईसाइयों आदि के आचरणों का विरोध करता है उतना ही वह हिंदुओं के आचरण का भी विरोध करता है तो आप इसे क्या कहोगे?

कहता है कोई कि हमें तो ऋषियों के श्लोकों ,सन्तों की वाणियों से मतलब है व अपने शरीर ,आत्मा, दिल, दिमाग आदि की आवश्यकताओं से मतलब है।भाड़ में जाये तुम्हारा धर्म, मजहब, जातियां, धर्मस्थल आदि। तो आप उसे क्या समझोगे?


जब कोई आपसे कहे कि आप तो असुर ही हैं, वह भी मनुष्यो  से भी नीच, आपमें तो अभी मनुष्यता ही नहीं है।मनुष्य से ऊपर व देवताओं से ऊपर असुर होना तो दूर की बात?सुर होना तो दूर की बात?!तो आप क्या कहोगे?

रावण(र-अवन) शिव की उपासना करता था लेकिन स्वयं शिव की ही देवताओं व सन्तों से मिल कर चुनी गई योजनाओं के खिलाफ आचरण करता था।आप भी धर्म व ईश्वर के नाम पर सभी कर्म कांड, हवन यज्ञ आदि करते हैं तो क्या आप आचरण से असुर नहीं हो सकते वह भी मनुष्यों से भी नीचे? 


महत्वपूर्ण ये नहीं है कि आप आस्तिक हैं या नास्तिक ? फरिश्ता को खुश कर रहे हैं कि शैतान को?महत्वपूर्ण है/आपकी प्राथमिकता क्या है?आपका नजरिया, आभास, अहसास, अनुभव, आचरण क्या है?क्या हम आप उस पंक्ति में नहीं खड़े हैं जिसमें पौराणिक कथाओं के वे पात्र भी शामिल हैं जो हवन, यज्ञ, त्रिदेवों को खुश करने के लिए तपस्या आदि भी करते थे लेकिन फिर भी।मनुष्यों, देवों आदि की नजर में असुर / पापी ही गिने जाते थे?


खुली मुसलमानी से मतलब क्या है?हिन्दू समाज में भी कोई हिन्दू   हिन्दू से कह देता है कि तुम तो खुली मुसलमानी कर रहे हो?ये खुली मुसलमा नी क्या है?


कल सोशल।मीडिया में एक चर्चा हुई कि जो देश से मुसलमानों को भागना चाहता है वह हिन्दू है ही नहीं।इस पर कट्टर हिन्दू कहे जाने वाले बौखलाए हुए हैं?! 


हम कहना चाहेंगे कि जब बसुधैव कुटुम्बकम, जब विश्व बन्धुत्व, जब सागर में कुम्भ कुंभ में सागर..... जय घोष कि -जगत का कल्याण हो तो फिर जाति, मजहब, कर्मकांड आदि के आधार पर भेद भाव क्यों?आखिर वह दशा क्या है?जब बसुधैव कुटुम्बकम, विश्व बंधुत्व, सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर.... आदि आदि।


और खुली मुसलमानी क्या है? हमारे एक आर्य समाजी कहते थे कि यदि मुसलमान अपना तामस खो दे तो वह हिंदुओं से बेहतर है?


और आपसे एक सबाल, आप जिसे पूजते हो वह यदि धरती पर आ जाए तो क्या वह आपके आचरणों से खुश होगा? उसकी वाणिया क्या हैं?उसकी आस्था क्या है?



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