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मंगलवार, 20 जुलाई 2021

देश को अब ऐसे लोगों की जरूरत है जो देश के लिए हर हद से गुजरने के लिए तैयार हों:::अशोकबिन्दु


 देश को शायद उग्र राष्ट्रवाद की अब जरूरत है?! देश को अब ऐसे लोगों की जरूरत है जो देश के लिए मरने तक को तैयार हो जाएं लेकिन देश सर्वोपरि रहे। . जो सम्भवतः मानवता, आध्यत्म व संविधान व्यवस्था से ही सम्भव है। देश के लिए उस #गुरुग्रन्थसाहिब की जरूरत है जिसमें सभी मजहब के सन्तों व वाणियों को सम्मान है।इसी तरह विश्व स्तर पर #विश्वसरकारग्रन्थसाहिब ,संयुक्त राष्ट्रसंघ को एक #विश्वसरकार, एक #विश्वसेना की आवश्यकता है। #अशोकबिन्दु जो न जाति देखे न मजहब। जो देश की समस्याओं के समाधान के लिए हर हद से गुजरने को तैयार हो!? जाति मजहब पर गर्व करने वाले, माफियाओं, पूंजीपतियों के तलवे चाटने वाले देश का भला नहीं कर सकते। #जयगुरुदेव ठीक कहते थे- वर्तमान सिस्टम के रहते देश का भला सम्भव नहीं।जो निष्पक्ष देशभक्त हैं, जाति मजहब की भावना, पिछड़ा अगड़ा की भावना, पूँजीपति-श्रम पति की भावना से मुक्त हो जो देश का हित सोंचते हैं, सिस्टम उनके खिलाफ ही है।सिस्टम।में जकड़े लोग तो कहते मिल जाते हैं कि अरे ऐसा नहीं हो सकता, अरे वो नहीं हो सकता।ऐसे लोग स्वयं सिस्टम के साथ हैं।बदलाव नहीं चाहते हैं। अब देश के लिए उग्र राष्ट्रवाद की जरूरत है।ऐसे लोगों की जरूरत है जो कि देश के हित में मरने मिटने के लिए भी तैयार हो। ऐसे लोगों की संख्या अवश्य कम क्यों न हो लेकिन वे सिस्टम बदलने के लिए काफी होंगे। एक गांव/शहर के लिए ऐसे पांच ही पांच पांडव ही काफी है जो मरने मिटने के लिए भी तैय्यार होंगे। देश को फिर से #गुरुगोविंदसिंह जैसों,#आचार्यसायण जैसे लोगों की जरूरत है जो एक हाथ में कलम दूसरे हाथ में तलवार लेकर चलें। तलवार से यहाँ मतलब हिंसा से नहीं वरन देश की समस्याओं से निपटने के लिए साहस व हर हद से गुजरने से है। सरकारें तो कहती ही रहती हैं उनके समर्थक दल व व्यक्ति तो कहते ही रहेंगे कि हम ये किया है वो किया है लेकिन एक आम आदमी की नजर में क्या हुआ है?यह महत्वपूर्ण है?स्वस्थ जीवन तो विभिन्न तथ्यों के बीच संतुलन है।

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