Powered By Blogger

रविवार, 4 अप्रैल 2021

कोई भी विकास पूर्ण नहीं है::अशोकबिन्दु

 16 वीं सदी पहले जो सोच थी वह ये थी कि दुनिया व प्रकृति को उसके हाल पर छोड़ दो।हमे अपने चेतना व समझ के स्तर को बढ़ाना चाहिए। कोई विकास को प्राप्त कर ही नहीं सकता प्रगतिशील रह सकता है। एक समय ऐसा था जब मशीने नहीं थीं लेकिन आज से ज्यादा विज्ञान था। आज कल भौतिकता, मशीने तो बड़ी है लेकिन मानव की चेतना व समझ का स्तर संकुचित हुआ है। महाभारत युद्ध ने जो नुकसान किया है वह अब भी नहीं भरपाई कर पाया है। 


द्रोपदी, गांधारी, धृतराष्ट की आत्मा आज भी दुखित है लेकिन अफसोस हर घर में व कदम कदम पर द्रोपदी, गांधारी, धृतराष्ट्र जिंदा हैं, नये पैदा हो रहे हैं। उस समय की झुंझलाहट अब भी कुछ जातियों, कुछ पंथों, कुछ व्यक्तियों में देखने को मिलती है।लेकिन वे श्रीकृष्ण के शान्तिदूत रूप को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।


भक्त विदुर की कबीला परम्परा अब भी विश्व बंधुत्व, बसुधैवकुटुम्बकम, अनेकता में एकता ,विश्व सरकार, एक विश्व नागरिकता आदि के इंतजार में हैं।


कोई टिप्पणी नहीं: