Powered By Blogger

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

तन्त्र में प्रमुखों के सम्मान का महत्व ::अशोकबिन्दु

 मोदी हो या योगी, राहुल हो या ममता ::जनतंत्र में सबका सम्मान आवश्यक::-अशोकबिन्दु

जनतंत्र का मतलब क्या है?!

सभी को अपने मत की स्वतंत्रता। 


ऐसे में विपक्ष का भी मजबूत होना आवश्यक है।

जनमत से नियुक्त प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक आदि सम्मान का हकदार है।वास्तव में वह नियुक्त होने के बाद किसी दल या जाति मजहब का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक आदि नहीं होता है।

एक कहावत है कि ड्राइबर के समीप बैठने से झटके नहीं लगते। विपक्ष में होने का मतलब विपक्ष में होना नहीं, दुश्मनी में होना नहीं।जनतंत्र में विपक्ष एक व्यवस्था है। जो दुश्मनी, अपराध, जोर जबरदस्ती पर बल देता है वह जनतंत्र का ही दुश्मन नहीं वरन कानून की नजर में भी अपराधी है।वह जेल में होना चाहिए।भीड़ हिंसा या किसी भी तरह की हिंसा जनतंत्र में अपराध है।


मोदी हो या योगी,जो उनके खिलाफ खड़ें हैं वे कानूनी व्यवस्था  में अपराधी हैं।जनतंत्र में वे जनमत प्राप्त कर पद को प्राप्त किए हैं।उसका सम्मान होना चाहिए। जनतंत्र में आप स्वतंत्र हैं विपक्ष में रहने को लेकिन विपक्ष में रहने का मतलब जनतंत्र में दुश्मनी नहीं है। जो दुश्मनी पर उतारू हैं या अपने जाति मजहब के लिए कानून व जनतंत्र को भी ताख पर रख देने के लिए तैयार हैं उन्हें जेल में होना ही चाहिए।व्यवस्था है पांच साल रहने की,जो जीत कर आया है वह पांच साल रहने का हकदार है। यदि आप विपक्ष में है तो आप सिर्फ अपनी बात कह सकते हैं, शांति से आंदोलन, धरना आदि कर सकते हैं।लेकिन जो एक मत प्राप्त कर चुन आया है, उस मत धारियों का क्या अपमान नहीं है?उसका दुश्मन जैसा विरोध करना या अपनी जाति मजहब के लिए सबकुछ करना। जाति मजहब तो और भी हैं।जनतंत्र का मतलब तो समझो।


#अशोकबिन्दु


कोई टिप्पणी नहीं: