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बुधवार, 7 अप्रैल 2021

08 अप्रैल ::: विश्व स्वास्थ्य दिवस/जान है तो जहान ::अशोकबिन्दु


 शब्दो व वाक्यों के पीछे अनन्त छिपा है, अनेक स्तरों से गुजरते हुए।

जान है तो जहान है।

इस वाक्य में अनन्त छिपा है लेकिन वह अनन्त कब मिलेगा?

स्वास्थ्य?!
स्वास्थ्य शब्द में अनन्त छिपा है लेकिन वह कब मिलेगा?

हम कहते रहे हैं कि जगत में जो भी है उसके तीन स्तर हैं-स्थूल, सूक्ष्म व कारण। इन तीनों स्तरों से ऊपर गुजरते हुए अनन्त यात्रा में अनन्त बिंदु हैं,अनन्त स्तर हैं। ऐसे में प्रत्येक बिंदु या स्तर पर कोई पूर्ण नहीं है।प्रत्येक बिंदु या स्तर पर दो तरह की सम्भावनाएं हैं।

आज हम स्वास्थ्य पर चर्चा करते हैं। स्वास्थ्य के भी तीन स्तर हैं और तीनों स्तरों से ऊपर अनन्त यात्रा की ओर अनन्त स्तर या अनन्त बिंदु है।

समाज में कहावत है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है लेकिन सहज मार्ग में ऐसा नहीं है।सहज मार्ग राज योग में ऐसा नहीं है।यहां मनोविज्ञान ही सब कुछ है। मन चंगा तो कठौती में गंगा.... मन के हारे हार है मन के जीते जीत.... मन ही मन लड्डू फोड़ना..... मन का राजा होना.... आदि का सहज मार्ग राजयोग में बड़ा महत्व है। पॉजीटिव सोंच में रहना बड़ा महत्व है।इसमें किसी की निंदा, आलोचना ,आरोप प्रत्यारोप आदि भी पॉजीटिव सोंच का निम्न स्तर है।सबका अलग अलग स्तर है, महत्वपूर्ण है कि हर स्तर पर दिव्य सम्भावना उपस्थित है जिसके लिए निरन्तर अवसर ही सुप्रबन्धन है।

सहज मार्ग राजयोग में स्वस्थ है-स्व में स्थित, आत्मा में स्थित।
हाड़मांस शरीर की स्वस्थता की हद कहां तक है?अनन्त तक नहीं है। जो कहते हैं कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है1 उनसे हम पूछना चाहेंगे कि क्या उनFका मनोविज्ञान, मन प्रबन्धन स्वस्थ है?वे क्या क्रोध नहीं करते?वे क्या लोभ लालच, ईर्ष्या, चाटुकारिता, हाँहजुरी,कामबासना, इंद्रियों आदि में नहीं जीते?अहंकार में नहीं जीते?सुख दुख में नहीं जीते?! ये सरासर गलत है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।

स्वस्थ है आत्मा में स्थित।स्वार्थ है आत्मार्थ।आत्मा के लिए, धर्म के लिए।


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