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गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

आदिकाल से 15 प्रतिशत बनाम 85 प्रतिशत और जातिव्यवस्था::अशोकबिन्दु


 वर्तमान में तथाकथित ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य तो नजर आ रहे हैं लेकिन शूद्र नजर नहीं आ रहे हैं। यदि ये ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य के अलावा शेष सब शूद्र के नाम पर एकत्रित हो जाएं तो विश्व की राजनीति ही बदल जाये। ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य के अलावा शेष सब जाति, उपजाति के नाम पर विभक्त हैं उतना कोई नहीं।यदि ये सब जाति, उपजाति भुला कर राजनैतिक मंच पर एक हो जाएं तो हजारों साल इनका शासन हो जाये। 


  समय समय पर जाति व्यवस्था के खिलाफ कुछ लोग अलख जगाते रहे हैं लेकिन ऐसा सम्भव न हो सका। ओशो कहते हैं गुलामी का असर काफी पुराना है और काफी समय तक रहना।और फिर सत्तावाद नहीं चाहता कि आम आदमी जागे।ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य के अलावा शेष सब को यदि अपना इतिहास पता चल जाये तो हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएगा।ओशो ऐसा कहते हैं।



कॉर्ल मार्क्स ने कहा है कि दुनिया को बर्वाद करने वाले हैं-पूंजीवाद, सत्तावाद व पुरोहित वाद। ये कभी आम आदमी को अवसर नहीं देना चाहते।  अनेक सन्तों व ऋषि परम्परा को महत्व देने वाले कहते रहे हैं कि दुनिया में,प्रकृति में कहीं भी कोई समस्या नहीं है।समस्या  मानव समाज में हैं।आध्यत्म व मानवता ,विश्व सरकार में सभी समस्याओं का हल है।



सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर,बसुधैब कुटुम्बकम, विश्व बंधुत्व आदि दशा से पहले मानव की धार्मिकता, आध्यत्मिकता, ईश भक्ति, ईमान, मुसलमान होना, सत्संगी होना आदि सब बेईमानी है।


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