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रविवार, 13 दिसंबर 2020

हर कोई भक्त है, हर कोई किसी न किसी प्रकार के भजन/नजरिया में है लेकिन हमारा भक्त सिर्फ भक्त है जो निरन्तर यात्रा पर है::अशोकबिन्दु


 हम सिर्फ भक्त हैं।


हमारे हमारे भक्त के साथ अन्य कोई शब्द नहीं जुड़ा है। महाभारत कब घटित होता है?! जब दोनों पक्ष-सुरत्व व असुरत्व का घड़ा भरता है। सुरत्व के साथ सिर्फ पांच पांडव- पांच तत्व, आत्मा- कृष्ण ही प्रमुख होता है। दुर्योधन कृष्ण को चाह कर भी नहीं भोग पाता। 

जब से हमने होश संभाला, हमारे पढ़ने का उद्देश्य ज्ञान को उपलब्ध होना रहा है।हमारे लिए टेट, सुपर टेट, टॉपर, आई ए एस आदि परीक्षा पास भी महत्वपूर्ण नहीं हो सकते। उसकी तुलना में कोई भिखारी जो मानसिक रूप से सारी कायनात से जुड़ा है।जातिपात, मजहब वाद, जन्मजात उच्चवाद, जन्मजातनिम्नवाद, धर्मस्थलवाद आदि से मुक्त हो अपने चारों ओर व कुदरत में चेतना का अहसास करता है, जगदीश चन्द्र बसु सिद्ध सम्वेदना को सर्वत्र प्रकृति में महसूस करता है, सूक्ष्म शरीरों को महसूस करता है,उसे इधर उधर से प्रकाश कणों, तरंगों आदि का जगत के रूप में प्रकाश का सागर महसूस होता है.....आधुनिक विकास प्रकृति विनाश दिखता है..... वह हमारे लिए महान है।


आधुनिक विकास व तन्त्र मूर्खता पूर्ण है।

"तीन साल में देश के सभी गांव हाई डाटा स्पीड, नेटवर्क से जुड़ जाएंगे।"


धन्य,आपका विकास!?

पूंजीवाद से प्रभावित......


5 जी का असर कुदरत पर क्या पड़ रहा है?


आज से पचास वर्ष पहले जैविक खाद यूज होती थी,स्थानीय खाद यूज होती थी?!पूंजीवाद ने जबदस्ती ,प्रलोभन से किसानों को रासायनिक दवाइयां यूज करने को कहा।अब...

.शोध क्या कह रहे हैं? जंगल कटे.... आदिवासियों, वन्य समाज को प्रभावित किया..कारण पूंजीवाद व सत्तावाद!!?दोषी अब नस्लवाद!?


रूस की क्रांति को पढ़ो!

मिश्र की क्रांति को पढ़ो!!

क्रांति कौन करता है?!उसका कारण कौन है?!


"ईश्वर दूत ही वास्तव में राजा है।"-इसका मतलब क्या है? हमारा विश्वास।हमारा जहां पर विश्वास है वहीं से ही हम आगे बढ़ कर समाज व अपना विकास कर सकते है ।


सन2011-25ई0 का समय महत्वपूर्ण है

जागो, तभी सबेरा।


वे पूंजीपतियों, पुरोहित्वादियों, सामन्तवादियों, सत्तावादियों आदि को नजरअंदाज कर #संविधानप्रस्तावना के आधार पर देश के सभी नागरिकों का भला करने का उम्दा रखते हैं? वही क्या भविष्य में महत्वपूर्ण नहीं होंगे?


असम्भव भी सम्भव कब हुआ है?

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सरदार पटेल, गांधी, दीनदयाल उपाध्याय ,राजीव दीक्षित,अम्बेडकर, कबीर ,लोहिया आदि की मूर्तियां खड़ी नहीं करनी हैं हमें। हमें अपने जज्बात व आचरण में उनकी वाणियां भरनी हैं।

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हमारे वर्तमान उपन्यास-सन2047:47 से पहले47 के बाद! कि कुछ पंक्तियां ।

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