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सोमवार, 21 दिसंबर 2020

अशोक बिंदु : दैट इज.. पार्ट 18

 06.06pm-लगभग 11.55pm!!

20दिसम्बर2010ई0

#श्रीअर्द्धनारीश्वरशक्तिपीठबरेली!

चिरस्मरणीय वार्ता व अहसास !!

सत सत नमन!! सत श्री काल! ॐ तत् सत!!

....................................................#अशोकबिंदु  


हमारे जीवन के दो रूप सामने आये हैं-स्थूल व सूक्ष्म। कम्प्यूटर के बच्चों के सामने हम इसे हार्डवेयर व साफ्टवेयर कह कर समझते हैं। आचार्य वह है जो समाज में सम रहे और अपनी आंतरिक दशा को बनाए रख सके।   जैसे कि हमने गौतम बुद्ध सम्बंधित वीडियो देखी होंगी जहां बुद्ध का व्यक्तित्व हम देखते हैं।कैसे वे शालीन व सौम्य बने रहते हैं हर हालत में।हमारे अभी दो ही रूप अलग अलग मिलते हैं,एक तब जब हम ध्यान में होते है।दूसरा जब हम समाज व समाज के ऊंचनीच,आडम्बर,कर्मकांड में होते हैं। हम अपने इस दूसरे रूप में अस्वस्थ रहे हैं। हमारा स्वास्थ्य है-स्व में स्थित होना।


हम होश संभालते ही अर्थात किशोरावस्था से ही अपने  सम कक्ष व्यक्तियों,सहपाठियों,परिवार,आसपड़ोस, रिश्तेदारों,समाज के बीच दोनों रूपों में अलग से रहे हैं।हम उस समय से ही समाज में व्याप्त कर्मकांडों में अरुचिवान रहे हैं। आंख बंद कर या आंख खुले भी स्थूल नजर से दूर हम हम हुए है तो मालिक की कृपा हम किसी अज्ञात,अदृश्य व सूक्ष्म अस्तित्व के अहसास में आये हैं।#कुंडलिनीजागरण सम्बन्धी चिन्तनमनन, अनन्त यात्रा सम्बन्धी चिंतन मनन , गीता के #महाकालविराटरूप का चिन्तनमनन आदि ने हमारी आंतरिक हालात बदली है। युवा अवस्था मे हमारा ध्यान श्रीअर्द्धनारीश्वर स्वरूप की ओर भी गया। जब एक अभ्यासी #कल्पनापाल के माध्यम से हमें सूचित किया गया गया कि हम श्रीअर्द्धनारीश्वर पर कुछ लिखें तो हमारे हालात श्रीअर्द्ध नारीश्वर प्रति चिंतन मनन से और सुधरे। इसके बाद फिर कल्पना पाल के माध्यम से  #20दिसम्बर2010 को सायंकाल 06.06pm पर हमारी मुलाकात श्री अर्द्ध नारीश्वर शक्ति पीठ ,बरेली के प्रमुख #श्रीराजेन्द्रप्रतापसिंहभैयाजी ,गली नम 04,सैनिक कालोनी, बरेली  में हुई। लगभग पांच घण्टा उनसे वार्ता ही नहीं हुई,उस रात्रि हमने कुछ नए अहसास भी किए।इसके बाद लगभग एक माह श्रीअर्द्ध नारीश्वर पर चिंतन मनन व लेखन से अपने अंतरिक दशा में पहले ज्यादा बेहतरी देखी।


किसी ने कहा कि हमारी कोई मंजिल नहीं है।हमारा तो सिर्फ रास्ता है।जहां निरन्तरता है,विकास शीलता है । अपने पहले रूप स्थूल से क्यों न हम अस्वस्थ रहे हों लेकिन दूसरे रूप से हमने एक यात्रा निरन्तर जारी रखी है।


हम 1998ई0 से #श्रीरामचन्द्रमिशन के साहित्य से भी जुड़े रहे हैं। 25दिसम्बर 2014 को हमने श्रीरामचन्द्र मिशन में पहली सिटिंग (प्राणाहुति/प्राण प्रतिष्ठा) प्राप्त की।


किसी सूफी संत ने कहा है-हमारा धर्म है -#अन्तस्थयात्रा । हम आत्मा या आत्मा के स्थान पर जो भी हो ,को ही सनातन मानते हैं। हमारे अंदर कुछ है जो स्वतः है,निरन्तर है। वह के बिना ये शरीर लाश है। किसी ने कहा है -आचार्य है मृत्यु।कोई कहता है-योग है मृत्यु।कोई कहता है-मैं महा मृत्यु सिखाता हूँ।कोई कहता है- अरे तुम आत्म हत्या करना चाहते थे?आओ हमारे साथ मौन में रहो,हमारे साथ आत्महत्या को सीखो। #बाबूजीमहाराज कहते हैं-अनन्त से पहले प्रलय है।मरने से पहले इस शरीर को लाश बना लो। कोई कहता है-योग का पहला अंग-#यम (सत्य, अहिंसा, अस्तेय,अपरिग्रह,ब्रह्मचर्य) है-मृत्यु।

वास्तव में हम सब कहते तो हैं कि परिवर्तन शाश्वत नियम है लेकिन हमें पता होना चाहिए कि सृजन व विध्वंस भी निरन्तर परिवर्तन का हिस्सा है।हर पल त्याग व स्वीकार्य है।


अन्तरनमन!


#20दिसम्बर2014ई0

पार्थ सारथी राजगोपालाचारी जी की समाधि!


20-27दिसम्बर : गुरु गोविंद सिंह अभियान!


Rajendra Singh


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