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गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

दिमाग में मनुवादी व्यवस्था वाला "Social distance" को निकालकर "Physical Distance' को फिट करे.::विलियम थॉमस:

"#Social_Distance" शब्द बार बार चुभ रहा है, करोना वायरस Covid 19 से बचने के लिए इस शब्द का यूज सरकारी तौर से लेकर चारो तरफ हो रहा है, जबकि यह कहा जाना चाहिए की;
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"#Physical_Distance बनाकर रखे"
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वैसे भारत में;
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"Social Distance" हजारो सालो से चला आ रहा है, यह कोई नया नही है, दुनिया की सबसे घटिया स्तर की मनुवादी व्यवस्था ने इसे इस कद्र तक अपनाया की;
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1.शुद्र (वर्तमान के ओबीसी) गाँव में रह सकते थे, लेकिन उन्हें अपने से दूर रखा जाता था, सेवक मानकर उनसे काम तो करवाया जाता रहा है लेकिन "Social Distance" बकायदा सैकड़ो सालो तक बनाकर रखा गया.
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2.अछूत (वर्तमान के एससी) से "Social distance' इस कद्र तक बनाकर रखा की उनके घर ही गाँव से बाहर दक्षिण दिशा की तरफ बना दिए गये, उनकी पहचान के लिए गले में हंडी व पीछे पुन्छ्द बाँध दी गयी. जिससे जिस रास्ते पर चलेगा, उस रास्ते को उसकी पूंछड साफ़ करती जाएगी.
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3.आदिवासियो से तो "Social Distance" इतनी गहराई से अपनाया गया की उन्हें शहरो से घने जंगलो में भगा दिया गया. समाज के साथ उनका कनेक्शन ही खत्म कर दिया गया. एक एरिया तक उन्हें सिमित कर दिया गया.
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इसलिए;
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"दिमाग में मनुवादी व्यवस्था वाला "Social distance" को निकालकर "Physical Distance' को फिट करे. क्योकि फिजिकल तौर पर एक दुसरे को टच करके ही इस वायरस का हस्तांतरण हो रहा है, एक चैन बन रही है"



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