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मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

हमारा चित्त बनाम मोक्ष

पितर लोक :: समीप की श्रेष्ठ शक्ति@
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पितर रजो गुण प्रधान होते हैं.इस लोक को हम "ट्रांजिट कैप" कह सकते हैं.पुनर्जन्म के बीच मध्यावधि का समय आत्माएं यहीं पर बिताती हैं.इन्हें "एनविजिकवल हेल्पर्स" कहा जा सकता है.
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हमारा चिंतन बनाम भूत पितर#
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हम अदृश्य शक्तिओं के बीचही रह रहे होते हैं.यदि हम निरन्तर द्वेष भावना में जीते हैं तो हमरा जो चित्त बनेगा ,उसके अनुसार हम अगले जन्म सर्प बनेंगे.
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मोक्ष बनाम हमारा चित्त@
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शरीर,इंद्रियों,सांसारिक वस्तुओं आदि से प्रभावित हुए बिना अभिनय मात्र अपने कर्तव्यों को निभाना व मरने सेपूर्व इच्छाओ का मर जाना मोक्ष है.जिसके लिए भूत,पितर,देव आदि में अपने चित्त को रखने से नहीं बरन ईश्वर के निर्गुण स्वरूप को चित्त में रखने से मोक्ष मिलता है.

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