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बुधवार, 20 अप्रैल 2011

मनमोहन सिंह अपने को ब��ायें जनप्रिय!

कहते हैं कि भविष्य में 'म' अक्षर के नाम से कोई व्यक्ति देश के अन्दर व बाहर काफी महत्वपूर्ण होगा. प्रधानमंत्री बनने से पूर्व मनमोहन सिह का चरित्र ईमानदार व विवेकवान था ,जो कि उनके परिचितों के लिए एक आदर्श था.अब जनता से आवाज आती है कि वे तो कठपुतली बन चुके हैं.मेरा मानना है कि आज अवसर है कि वे अपनी ईमानदारी व विवेक को जनता के सामने सत्ता मोह त्याग कर दिखा दे.उनके लिए ही क्या देश के हर देशभक्त नागरिक के लिए देश हित कुछ करगुजरने का मौका है.आजादी की लड़ाई के दौरान तो हम मौजूद नहीं थे कि अपनी प्रचण्ड देशभक्ति का प्रदर्शन करते.देश मेँ बदलाव की उम्मीद रखने वाले हर व्यक्ति को अब हर वक्त काले धन को भारत मे मगाने व भ्रष्टाचार के विरोध मे वातावरण बनाने मे सहयोग करना चाहिए.मनमोहन सिंह यदि अपना स्वर्णिम इतिहास चाहते है तो उन्हे भी सहयोग करना चाहिए.तुम्हारी ऐसी देशभक्ति को मै दुत्कारता हूँ जो सिर्फ मुगलों ,अंग्रेजो,विदेशियों व दूसरी जाति के खिलाफ लड़ने वाले व्यक्तियों के पक्ष में जागती है लेकिन अपने माँ बाप की उम्र के स्वजन ही जब देश को कुप्रबन्धन व भ्रष्टाचार के दलदल मे फंसाते जा रहे हैं तो तुम्हारी देशभक्ति खामोश हो जाती है.तब फिर कृष्ण भक्त व कृष्णवंशी खुद को मानने वाले ही श्रीकृष्ण के कुरुक्षेत्र मे दिये गये अर्जुन को संदेश(कुरुशान) भूल जाते हो.हां अमेरीका जैसा देश जरूर अफगानिस्तान मे तालिबान से लड़ रहे अपने सैनिकों को गीता संदेश(कुरुशान) रुपी अस्त्र पकड़ा सकता है.देशभक्तों को देश मे कालेधन के वापस आने के समर्थन मे आन्दोलन मे हरहालत मे कूदना चाहिए .नहीं तो भविष्य हमे माफ नहीं करेगा.बाबा रामदेव का कहना है कि 400लाख करोड़ रुपया काले धन के रुप में विदेशी बैँको मेँ जमा है.स्विस बैंक के आधिकारिक सूत्रो का कहना है कि भारतीयों का 280लाख करोड़ रुपया केवल उनके बैको मे जमा है.इस धन से देश में 30वर्षों तक पूर्णत: करमुक्त अर्थव्यवस्था चलाउ जा सकती है.यह धन यदि भारत वापस आ जाए तो 60करोड़ नई नौकरियों को सृजनित किया जा सकता है.देश के सभी गांवो को दिल्ली से फोर लेन सड़कों से जोड़ा जा सकता है.यह धन 5 00 सामाजिक परिजनाओं को दीर्घ काल तक मुफ्त बिजली देने मे सक्षम होगा तथा प्रत्येक देशबासी को को 2000रुपया 60 वर्षों तक वितरित किए जा सकेंगे.फिर अन्ना कहां गलत हैं जो भ्रष्ट राजनेताओं और अफसरशाहों की दुरभि संधि को बेनकाब करने का बीड़ा उठाए हैं.देश के 58 करोड़ नागरिको की विपन्नता राजनेताओ और नॉकरशाहोँ के कारण है.


मै फिर कह रहा हूँ कि देशभक्तो चचा भतीजावाद जाति वाद से ऊपर उठ कर अन्ना व रामदेव बाबा के समर्थन में कूद पड़ें.यह लड़ाई लम्बी है,भ्रष्ट नेता अनेक बहाने इस मुहिम में अवरोध लगाने लगे हैँ.



मनमोहन सिह अपनी आंखे खोलो.आपको राजनैतिक सेनापति बनते देर नहीं लगेगी.भविष्य आपके साथ है.



1 टिप्पणी:

अनुनाद सिंह ने कहा…

अबतक की म म सिंह की रिपोर्ट कार्ड-

१) वे इमाननादर हैं या नहीं, कहना मुश्किल है। किन्तु वे बेइमान और भ्रष्ट नेताओं से घिरे हुए हैं और उनके संरक्षक हैं।

२) वे अर्थशास्त्र की बड़ी-बड़ी डिग्रियाँ लिये हुए हैं किन्तु वे अर्थशास्त्री नही हैं। भारत की अर्थव्यवस्था की न उनको कोई समझ है न उस पर उनका कोई नियंत्रण।

३) वे न कभी लोकप्रिय थे न होंगे। उन्होने साबित किया है कि वे 'मनमोहन सिंह' नहीं बल्कि 'म्याऊँ-म्याऊं सिंह' हैं।