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सोमवार, 18 अप्रैल 2011

नकल बन्द नहीं हुई है ��ाहब !

शाहजहांपुर.एक समाचार पत्र लिखता है "नकल माफियाओं के नकेल डाल दी डीएम रिणवा ने ".नकल के लिए कुख्यात कटरी क्षेत्र में नकल माफियाओं के नकेल जरुर पड़ी है लेकिन नकल पर नहीं.जितने पैमाने पर नकल हेतु बेखौफ नकल माफिया जितना सक्रिय दिखते थे,उतना सक्रिय जरुर नहीं रहे नकल माफिया लेकिन विद्यालयों के अन्दर बड़ी सफाई व चतुराई से यह अपना काम निकाल ले गये. इन नकलमाफियाओं का इस पर जोर रहा कि किसी परीक्षार्थी पर नकलसामग्री न पायी जाए.मौखिक रुप से बता बत कर परीक्षार्थियों की मदद की जाए.बाहरी तत्वों को तो नकलविहीन माहौल लगता रहा लेकिन अन्दर ही अन्दर नकल होती रही.प्रशासन के द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि आ आ के जाते रहे ,उन्हें सब ओके ही दिखा .पिछले वर्षों की अपेक्षा सब ठीक दिखा लेकिन पीछे की असलियत तो कक्षनिरीक्षकों के पास होती है.अभी कक्षनिरीक्षक व अन्दरुनी सचल दल ईमानदार नहीं हुआ है.नकल सामग्री क्यों न परीक्षार्थियों के पास पायी जाए,इसका मतलब यह नहीं कि नकलविहीन परीक्षा सम्पन्न होने लगी है?
अशोक कुमार वर्मा 'बिन्दु'

1 टिप्पणी:

आशुतोष की कलम ने कहा…

वित्तविहीन विधालयों की मान्यता ही नक़ल के मूल में है..बहुत शोध के बाद लिख रहा हूँ..