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रविवार, 23 अगस्त 2020

अशोकबिन्दु : दैट इज..?! पार्ट 14

 हम महसूस करते हैं-जीवन जीने के लिए साहस चाहिए।

वीर भोग्या बसुंधरा?!

सामाजिक संगठनात्मक क्षेत्र में पहला पन्थ जैन माना जाता है।वैसे तो प्राचीन मत शिव पन्थ है।


जैन शब्द जिन शब्द का रूपान्तरण है, जिसका अर्थ है विजेता।

विजेता या साहसी भी दो तरह के होते हैं-भौतिक व आध्यत्मिक, असुर व सुर।

कालेज जीवन से निकलने के बाद जब हमारा टकराव समाज की विभिन्न परिस्थितियों से होना शुरू हुआ तो महसूस किया जीवन जीने के लिए साहस अति आवश्यक है। विद्यार्थी जीवन में प्रशिक्षण, शिक्षा में  दुर्गमताएं, कठिनाइयां  आदि का बाताबरण देना आवश्यक है।बालक की अंतर प्रतिभा को जगाना आवश्यक है।उसको अवसर आवश्यक है। महापुरुष कौन बने हैं?

सत्तावाद, पूंजीवाद, पुरोहितवाद ने आम आदमी को महामानव, महापुरुष बनाने  की परंपरा नही खड़ा की।


विजेता!? स्त्री विजेता!?इसके अनेक मतलव हो सकते हैं।जिस स्तर का व्यक्ति उस स्तर के विचार व समझ। आध्यत्म में ' स्त्री विजेता '- का मतलब है- स्त्री के हर एक्शन, हर स्थिति में स्त्री के सामने प्रतिक्रिया हीन हो अपने पुरुष(आत्मा) में लीन रहना। किसी ने कहा है कि आकर्षण स्वयं में पवित्र है।हमारा जैसा नजरिया व समझ, वैसा उस पर रंग। एक स्त्री सामने है, वह हमें आकर्षित कर रही है और हम मन में विचार ला रहे है-ये प्रकृति है। तब कुछ और ही आनन्द, अनन्त आनंद।सम्भोग की लालसा नहीं, भोग की लालसा नहीं। विजेता के भी अनेक रूप हैं। असुर स्त्री को जीतता है- भोग के लिए।सुर स्त्री को जो जीतता है, वहां भाव ही नहीं होता जीत का। 



जगत में जो भी है, उससे हमारा अनन्त काल का सम्बंध है।  लेकिन इसका अहसास कौन कर सकता है? जमाने के पैमाने अनन्त को क्या नापेंगे? हमें किसी सम्बन्ध पर अंगुली उठाने का हक कब है? हमने  कुछ स्त्री पुरूष सम्बन्ध देखे हैं,जो स्वयं में निष्कलंक होते हैं लेकिन जमाने में कलंकित होते हैं। किसी के किसी से सम्बंध क्या भाव रखते हैं?आप कैसे जान सकते हैं? आप एक ओर कहते हैं-किसी के माथे पर क्या लिखा है कि कौन चोर है कौन साहूकार? कभी कहते हो हम लिफाफा देख  ही जान जाते है लिफाफे में क्या है? बगैरा बगैरा।


दक्षिण   ेेशया में जातिवाद, मजहब वाद से भी ज्यादा खतरनाक है ,स्त्री पुरुष के बीच सम्बन्धों के लेकर समाज का दृष्टिकोण। यहां अब भी अनेक भ्रम हैं। दूसरी ओर तन्त्र विद्या में तांत्रिक हवन करते हुए नग्न युवती की विभिन्न मुद्राओं व नृत्य में । दूसरी ओर अंडरवर्ड/माफिया बीच आइटम सॉन्ग के साथ स्त्रियों के द्वारा अश्लील मुद्राएं व नृत्य। ये सब क्या है? राज तन्त्र में कुछ राजा अपने अन्तरमहल, राज दरबार में?! ये सब क्या है?इसके लिए हम समाज, धर्म व सत्ता के ठेकेदारों को ही दोषी मानते हैं। स्त्री पुरुष सम्बन्धों को लेकर परिवार भी दोषी हैं।

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