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शुक्रवार, 26 मार्च 2010

यह मूर्ख कि वह मूर्ख?

"तेरा बड़ा लड़का मुड़िया कुर्मियात के मन्दिर मेँ पड़ा पड़ा अपनी जिन्दगी से लड़ता रहा .अरे , बच्चे तो बच्चे है.इन्सान तो वैसे भी गलतियोँ का पुतला है.बच्चोँ को क्या तूने इसलिए पैदा किया कि उन्हेँ उनके हाल पर छोँड़ देँगे? "

"हमेँ तो अपनी धुन मेँ जीना है.भाड़ मेँ जाये बच्चे. कल मरने को होँ आज मर जाएँ.बच्चोँ को तो इस लिए पैदा किया कि वे हमारे हिसाब से जिएँ."

"सुना है कि वह मुड़िया कुर्मियात से भी कहीँ जाने को है. यहीँ घर पर क्योँ नहीँ बुला लेते उसे ?तुम भी बुढ़ापे पे याद करोगे बच्चोँ को,तब सोचोगे कि कोई होता आकर पानी ही पिला जाता."

"हमेँ नहीँ बुलाना उसे. जब मैने उसका उसके बचपन मेँ ध्यान न रखा तो अब क्योँ रखेँ? जो जमीन जायदाद लेगा वह करेगा सेवा.नहीँ तो कोई नौकर कर लेँगे."

" बच्चोँ के भविष्य एवं स्वास्थ्य की चिन्ता नहीँ की,बच्चे आत्म हत्या करने की असफल कोशिस भी कर चुके हैँ.आपका नेतृत्व ही इसके लिए दोषी है.क्योँ पैदा किए बच्चा?"

"बच्चे पैदा होगये तो हम क्या करेँ?हम तो अपनी इच्छाओँ के लिए जिए हैँ,अपनी इच्छाओँ के लिए जीना है.बच्चे आत्म हत्या कर लेँ तो हमारा क्या ,हमारा क्या नुकसान?"

"तुम जैसे मूर्ख अज्ञानी ,संवेदनहीन ,स्वार्थी इन्सान तो कभी भी बाप न हो. "

" तुम्हारे चाहने से क्या ? हम तो चार बच्चोँ के बाप हैँ.तीन तो मर गये नहीँ तो सात बच्चोँ के बाप होते.भाई,हम तुम्हारी तरह नहीँ कि तुमने रूपयोँ के बल पर बच्चोँ को अच्छे अंकोँ से मार्क शीट दिलवा दीँ ,अब वे विशिष्ट बीटीसी मेँ नियुक्त हो गये हैँ.भाई,तुम बच्चोँ के लिए करो.हम धन सम्पत्ति बच्चोँ के भविष्य एवं स्वास्थ्य मेँ नहीँ लगा सकते.हमारे बच्चे घुट घुट जिएँ तो जिएँ,आत्म ह्तया करेँ तो करेँ अपने जिन्दा रहते हम जमीन जायदाद का एक नोँक सूई हिस्सा भी बच्चोँ के भविष्य मेँ नहीँ लगा सकते.हमने तो अपने बच्चोँ को उनके हालात पर छोड़ दिया है."

"ठीक है,हम तो बस सलाह दे सकते हैँ.तुम्हेँ जब अपने बच्चोँ की चिन्ता नहीँ जो तनाव निराशा तन्हाई बीमारी की जिन्दगी जी रहे हैँ और अपने नसीब को कोस रहे हैँ कि ऐसा पिता मिला जो मूर्ख है. "

"जा यहाँ से.......मैँ मूर्ख हूँ तो मूर्ख ही ठीक .मैँ जानता हूँ मेरी भलाई किसमे है?जा यहाँ से......"

" जाता हूँ. तुम्हारा बड़ा बेटा ठीक कहता है कि ईश्वर सभी को माता पिता न बनाये और कानून की और से भी सभी को माता पिता बनाने का अधिकार नहीँ होना चाहिए."

"उसके चाहने से क्या ?हमेँ अपनी धुन मेँ जीना है.मुझे तो अपने लिए जीना है. "

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