Powered By Blogger

बुधवार, 19 सितंबर 2012

अनुयायी अर्थात स्वयं को न जगाने वाला ?

मैँ अपने शिष्योँ से कहता हूँ कि समाज व परिवारोँ की नजर मेँ अपना चरित्र बेहतर न जी सको तो कोई बात नहीँ ,महापुरुषोँ की नजर मेँ बेहतर बनो .ये नानक के भक्तोँ अपने पुत्रोँ को क्या नानक जैसा होना पसंद करोगे या नानक जैसै का तुम अपने जीवन मेँ सम्मान करोगे ? जो नानक अपना खेत रखाते वक्त चिड़ियोँ से कहता है कि चिड़ियों सब चुँग जा खेत सब प्रभु का . ऐ मोहम्मद साहब के अनुयायियोँ !तुम्हेँ भी याद होगा वह प्रसंग कि उनके ऊपर कूड़ा डालने वाली औरत का भी वे हालचाल पूछने जाते हैँ .

मेरा अनुभव कहता है कि अनुयायी झूठे व निरेभौतिकवादी होते हैँ कुछ अपवादोँ को छोँड़कर .मैँ किसी का अनुयायी नहीँ हूँ और न ही मुझे किसी का अनुयायी होने की जरुरत है ,मैँ सार्वभौमिक ज्ञान व सत्य का खोजी हूँ .महापुरुषोँ से प्रेरणा लेने की कोशिस करता रहता हूँ .





मे



----------
Sent from my Nokia Phone

कोई टिप्पणी नहीं: