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गुरुवार, 20 जनवरी 2011

सत्तावादी दंश : काला ध���

दुनिया को बिगाड़ने वाले सत्तावादी होते हैँ.सत्ता रुपी इन्द्र अपने सिंहासन पर बैठे बैठे सुरा अप्सरा मेँ मस्त रहते हैँ लेकिन जब सिंहासन हिलने लगता है तो दधीचि की हड्डियाँ तक माँगने चले आते हैँ. ओशो ने ठीक ही कहा है कि सत्ता कभी नहीँ चाहती कि जनता जागरुक हो.योगगुरु स्वामी रामदेव नगर नगर प्रचार कर भ्रष्टाचार व विदेश मेँ भारतीय काले धन के सम्बन्ध मेँ बोल रहे हैँ.मीडिया भी खूब बोल रहा है लेकिन सत्तावादी.....? आजादी के वक्त से ही कांग्रेस का चरित्र मुझे सन्दिग्ध दिखाई देता है.हालांकि पांच साल पहले तक हमारा खानदान कांग्रेसी ही था लेकिन अब नहीँ.कभी कभी तो कांग्रेस का किरदार हमेँ देशद्रोही का नजर आने लगता है.विदेशोँ मेँ जमा काले धन को वापस लाने मेँ हीला हवाली कर रही केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने आड़े हाथो लेते हुए कहा कि देश का पैसा विदेशी बैँकोँ मेँ रखना देश को लूटने के समान है.स्पष्ट रूप से यह चोरी है. देश भक्त जनता को इस पर जन आन्दोलन छेँड़ना चाहिए.

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