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बुधवार, 24 मार्च 2021

22-25 मार्च 2020ई0-22 -25 मार्च 2021 ई0::कोरोना संक्रमण के दौरान मानवीय प्रबन्धन::अशोकबिन्दु


 


जगत में जी भी दिख रहा है, वह प्रकृति अंश है व ब्रह्म अंश।इन दोनों के बीच एक सन्तुलन की लकीर है। भारतीय संस्कृति सन्तुलन की बात करती है।श्री अर्द्धनारीश्वर स्वरूप भी प्रकृति अंश व ब्रह्मअंश में सम भोग अर्थात सन्तुलन की बात करता है। 



इस दोनों से हट कर बनाबटें, कृत्रिमताएँ भी मानव जीवन व समाज में कार्य करती हैं।जिसके लिए या जिसके सहारे मानव प्रकृति अंशों व ब्रह्म अंशों के अभियान से गिरने से नहीं चूकता। जगत में कहीं भी समस्या नहीं है।समस्या स्वयं मानव समाज व मानव प्रबन्धन में है।


कोरोना काल में मानव समाज व मानव प्रबन्धन की परीक्षा हुए है, समाजिकता की परीक्षा हुई है। विभन्न मानवीय संस्थाओं की परीक्षा हुई है।उसके नजरिया की परीक्षा हुई है। कोरोना काल में सामन्तवाद, पूंजीवाद, सत्तावाद,पुरोहितवाद  का दर्शन कमजोर नहीं पड़ा है।

लोग कमेंट कर रहे हैं कि जहां चुनाव है वहां को कोरोना संक्रमित क्षेत्र के लोगों को जाना चाहिए।मास्क न लगने पर जुर्माना भी नहीं होगा और रैली में शामिल होने पर रुपया भोजन भी मिलेगा, कोरोना भी नहीं सताएगा।

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