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शनिवार, 16 सितंबर 2017

हम वेद,गीता, कुरान आदि के खिलाफ कैसे उठ खड़े हो सकते हैं??हम ज्ञान के विरोध में कैसे उठ खड़े हो सकते हैं????हमारा ज्ञान हमारी संतयी कहती है ,सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर...... हम वर्तमान में सिर्फ प्रकृति अंश व ब्रह्म अंश.....सन्त कबीर से बड़ा भी कोई सन्त है का कोई?सन्त रैदास से बड़ा सन्त भी है का कोई?श्री रामचंद्र जी महाराज फतेह गढ़ से बड़ा भी सन्त है का कोई???? बात जब आती है सामाजिकता की तो.????सामाजिकता क्या समस्या का निदान में समर्थ????सामाजिक आंदोलन हेतु तो राजाराममोहन, दयानन्द, ज्योतिबा फूले, अम्बेडकर आदि से बढ़ प्रेरणा स्रोत कौन?????

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हिंदुत्व हिंदुत्व चीख सत्ता पाना आसान हो सकता है लेकिन मेहतर, चमार, मुस्लिम आदि को गले लगाना, उनके बीच समय बिताना, खानपान ,आचरण बढ़ाना, उन्हें भागीदारी हिस्सेदारी देना मुश्किल????जातिवाद ,छुआछूत ,अन्धविस्वसो आदि का विरोध करना हिंदुत्व में नहीँ आता?राजाराम मोहन राय, दयानन्द, ज्योतिबा फूले, अम्बेडकर आदि के विचारों की बात करने वालों का समर्थन करना हिंदुत्व में नहीं आता????? तुम्हारी बात न सुन गीता, वेद आदि की बात करना हिंदुत्व में नहीं आता????????वेद, गीता आदि में दी गयी ब्राह्मण,क्षत्रिय, वैश्य,शूद्र आदि की परिभाषा आदि के आधार पर किसी का विरोध या समर्थन करना हिंदुत्व में नही आता??????
Ashok kumarverma"bindu"

www.ashokbindu.blogspot.com

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