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शनिवार, 9 सितंबर 2017

खाली मन शैतान का घर ! आखिर शैतान कौन?
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अनेक लोग कहते फिरते हैं," खाली मन शैतान का घर." " खाली मन शैतान का घर"--समाज में इसका मतलब क्या है?समाज में इसका मतलब है-समाज की नजर झूठा चमक दमक, कृत्रिमता, गैरप्रकृतिकता, गैरमानवता, गैरआध्यात्मिकता आदि में जीना?!इसका विलोम भी है-"खाली मन फरिश्ता का घर होता है."तो इसका मतलब होता है-सन्तों, महापुरुषों, संविधान, मानबता, अपनी व जगत की मूल अवस्था(आत्मा व परमात्मा के गुणों) में जीना, ईश्वरीय अभियान या प्रकृति अभियान के एहसास के साथ जीना.


       हमारी ऊर्जा या मन की दो ही दिशाएं हैं-मूलाधार व सहस्रार चक्र. अर्जुन श्री कृष्ण से पूछते हैं-कर्म क्या है?श्री कृष्ण कहते है-यज्ञ. यज्ञ को समझो. यज्ञ क्या है?हमारा व जगत का यज्ञ है-मूल अबस्था के अभियान में जीना. जी सब रहे हैं उसमें ही. सभी भविष्य की ओर हैं.सभी यात्रा की ओर हैं.बस,अंतर इतना है कि हम अभ्यासी उसके एहसास में जीने का प्रयत्न कर रहे हैं.इंतजार करते हैं-अपने अंतर में उसके अवतरित होने का. वहीं दूसरी ओर निन्यानवे प्रतिशत ब्यक्ति इंतजार (उम्मीद) किसकी रखते हैं?वे कहते हैं खाली दिमाग शैतान का घर. भरे दिमाग क्या शैतान का घर नहीं?जो हमारा मूल है,जो हमारी व जगत की मूल अवस्था है,उस अबस्था के एहसास में कितने मन जीते हैं?या कितने व्यक्ति प्रयत्न करते हैं? और बुद्ध जैन को तुम अनीश्वरवादी करते हो?वेद विरोधी करते हो?तुमको क्या नहीं पता वो उस अबस्था में जिए.?आप लोगों के पास मेडिटेशन को समय नहीं.



           जब हम कहते हैं-हमारे साथ आओ, आओ मेडिटेशन करें. आप कहते हैं-हमारे पास वक्त नहीं. वक्त सबके लिए 24 घण्टे ही है.आप स्वयं हैं क्या?आपकी प्राथमिकता क्या है?आप  अपने जीवन मे चाहते क्या हैं?आप ये क्यो नहीं कहते कि हमें ईश्वर की अवस्था/अभियान से प्रेम है.?हम उसमें लीन हैं.हमें फुर्सत नहीं दुनियादारी में?तो ये क्यों नहीं कहते कि हमे ईश्वर से प्रेम है.उस प्रेमावस्था से हमें फुर्सत नहीं?दरअसल हम ईश्वर को नहीं चाहते, हम अध्यात्म को नहीं चाहते. हम उस ईश्वरीय अवस्था के एहसास में जीना नहीं चाहते. तभी तो कहते है आप ,हमें फुर्सत नहीं मेडिटेशन के लिए.



           तुम्हारे समाज व सामाजिकता में शैतान क्या है?तुम्हारे समाज व सामाजिकता में कितने ईश्वर से प्रेम करते हैं?कितने मानवता से प्रेम करते है? कितने संविधान से प्रेम करते हैं?कितने ईश्वरीय अभियान(यज्ञ) से प्रेम करते हैं?कितने जीवन का सम्मान करते है? जीवन क्या है?जीवन प्राकृतिक ईश्वरीय है.शाश्वत अनन्त है.उसकी प्राकृतिकता, ईश्वरता, शाश्वतता आदि का हमें एहसास नहीं.शैतान क्या है?जो प्राकृतिकता,ईश्वरता, शाश्वतता, मानबता आदि के खिलाफ खड़ा है.तुम्हारे समाज सामाजिकता के पास किस समस्या का हल है?


     www.heartfulness.org

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