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सोमवार, 28 सितंबर 2015

पारदर्शिता की क्रांति जरूरी~?

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विश्व सम्विधान विश्व सरकार, सच्ची आवाज़ और 47 अन्य लोग के साथ
रिकार्ड व पारदर्शिता @
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देश में काफी कुछ ऐसा हो रहा है जिसका कोई रिकार्ड नहीं . जिसका कारण नजरिया व नियति स्पष्ट,पारदर्शी ,स्वच्छ,श्रेष्ठ ,सम्वैधानिक आदि न होना है.ओशो ने जो बोला ,उसके रिकार्डिंग की व्यवस्था की.आर एस एस/सङ्घ व उसके घटकों के बारे में चाहें कोई कुछ भी कहे.हम नगेटिब में भी पाजटिव खोजते रहे हैं. उनकी कुछ मीटिंग्स में हमे जाना हुआ.हमने देखा है ,कोई भी जो कोई बात बोलता है,उसे एक व्यक्ति लिखता जाता था.जिसे फिर नोटिस बोर्ड पर चिपका दिया जाता है.विभिन्न संस्थाओं में ऐसा होना चाहिए.उनके विद्यालयों में किसी अध्यापक से यदि कोई स्पष्टीकरण मांगना होता तो इस बात की सूचना वहां उस अध्यापक को लिखित रूप में दी जाती.आदि आदि.
हम जो भी लिख रहे हैं ,वह एक रिकार्ड है.हमारे बोलने से वो अच्छा है.हम भी बोलेगे, लेकिन रिकार्डिंग की व्यवस्था के साथ.
जिन्हें हमारे लेख पसन्द नहीं वेलिखित रूप में कमेंट्स में अपना तर्क रख सकते हैं.यों खाली बिन रिकार्ड का विरोध करना कायरता व अधर्म ही है.यदि बात करना है तो उसके रिकार्ड की भी व्यवस्था करें.यों खाली विरोध का वातावरण बनाना गैरकानूनी है. अभिब्यक्ति का अधिकार जनतन्त्र की एक विशेषता है.देश व समाज की सम्वैधानिक दिशा के लिए भाईचारा रखते हुए रिकार्ड व पारदर्शिता भी आवश्यक है.
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