Powered By Blogger

सोमवार, 17 मई 2010

विज्ञान कथा: कलि न्या��� (सुप्रीम कोर्ट की ना��को परीक्षण पर ना '5मई2010'के प्रति विरोध जताते ��ुए यह कथा प्रस्तुत) लेखक:अशोक कुमार वर्मा'ब��न्दु'

चिली के उत्तरीय रेगिस्तान मेँ स्थित विशालतम दूरबीन के समीप स्थित भूमिगत एयर पोर्ट मेँ एक अन्य वैज्ञानिक के साथ भविष्य त्रिपाठी जेट सूट पहने प्रवेश किया.दोऩोँ के यान मेँ प्रवेश करते ही यान चालू होगया और कुछ देर बाद आकाश मेँ आ गया.जब यान ने छत्तीसगढ़ के आकाश मेँ प्रवेश किया तो भविष्य त्रिपाठी ने आकाश मेँ छलाँग लगा दी.

इधर धरती पर सेरेना--



" इन्सान मतभेद की मानसिकता से ग्रस्त रहने वाला प्राणी है.वह अनेक पूर्वाग्रहोँ भ्रम शंका अफवाह मेँ रह कर व्यवहार करने वाला है.जिससे न जाने कितने निर्दोष इन्सान बलि चढ़जाते हैँ."सेरेना फिर खामोश हो गयी.

"खामोश क्योँ हो गयीँ सेरेना ?"

"सन्ध्या बैरागी!आपकी माँ रजनी बैरागी पुरुष प्रधान दबंगवादी कामुक भेड़ियोँ के परिवेश मेँ क्या क्या न सही ? वो तो तुम...तुम अपनी माँ के पेट मेँ थीँ उस वक्त,जंगल के बीच एक नदी मेँ बहोश मिली थीँ उस तांत्रिक अर्थात जिसे तुम बाबा कह कर पुकारती हो,को तुम्हारी माँ."


" सेरेना,मैँ कभी कभी हीनता का शिकार हो जाती हूँ कि जिन .. " "सन्ध्या तुम भी .....तब ठीक था किअब ठीक है?बाबा के पास से पुष्प कन्नोजिया की लाश न लातीँ तो क्या होता?यदि बाबा कामयाब हो जाता तब तो ठीक,नहीँ.... "

" तभी तो सुकून कर लेती हूँ कि पुष्प कन्नोजिया का शरीर अब फिर जिन्दा है.तुम सब धन्यवाद के पात्र हो. "

सितम्बर सन2010ई0के प्रथम सप्ताह की बात है,ग्राम प्रधान के चुनाव का माहौल था.शाहजहाँपुर जनपद के निगोही कस्बे से लगभग बारह किलोमीटर दूर एक गाँव-अहिरपुरा,जहाँ एक जाटव परिवार मेँ एक युवती थी-अनेकता भारती.वह प्रतिदिन लगभग एक वर्ष से शाहजहाँपुर जा कर संगणक अर्थात कम्प्यूटर मेँ ट्रेनिँग पर जा रही थी.जिस कम्प्यूटर सेन्टर'सुनासिर कैरियर सेन्टर' पर वह ट्रेनिंग कर रही थी,उसका मालिक था पच्चीस वर्षीय एक युवक- बिन्दुसार वम्मा . अचानक अनेकता भारती लापता हो गयी,उसके परिजनोँ ने बिन्दुसार वम्मा के खिलाफ थाना मेँ रिपोर्ट दर्ज करवायी.क्या वास्तव मेँ बिन्दुसार वम्मा दोषी था?उसका जीवन अब तहस नहस होने की ओर था.उसके परिजनोँ ने उसकी मदद से हाथ पीछे खीँच लिए थे.कम्प्यूटर सेन्टर अपनी बिजनिस पार्टनर वैशाली जैसवार के सपुर्द कर अज्ञातबास मेँ चला गया .पन्द्रह दिन बाद अनेकता भारती की लाश खुटार के जंगल मेँ पायी गयी.इधर बिन्दुसार वम्मा की पत्नी रैना गंगवार एक साल से बिन्दुसार के परिजनोँ से असन्तुष्ट हो कर अपने मायके रह रही थी,जिसने आत्म हत्या कर ली .रैना गंगवार के भाई व पिता ने बिन्दुसार व उसके परिजनोँ पर दहेज व प्रताड़ना का आरोप लगा कर थाना मेँ रिपोर्ट लिखवा दी.

भ्रम ,शंका, अफवाह ,मतभेद, व्यक्तिगत ,स्वार्थ, भ्रष्टाचार ,कुप्रबन्धन ,झूठे -पाखण्डी -भेड़चाल भीड़, आदि के चलते क्या से क्या हो जाए कुछ पता नहीँ.ऐसे मेँ अचानक बिन्दुसार वम्मा का ध्यान पीस पार्टी की इस माँग पर गया कि विभिन्न पदोँ पर चयन के लिए नारको परीक्षण व ब्रेन रीडिँग को अनिवार्य किया जाए. इसी आधार पर युवा वैज्ञानिक भविष्य त्रिपाठी द्वारा निर्मित 'कम्प्यूट्रीकृत न्याय कक्ष' के सम्बन्ध मेँ वह भविष्य त्रिपाठी से मिला.

"दोस्त बिन्दुसार!आप ठीक कहते हैँ लेकिन अभी हमारे इस निष्पक्ष न्यायवादी कम्पयूट्रीकृत रूम को भारत सरकार ने मान्यता नहीँ दी है और इस प्रोजेक्ट को मैँ विदेश लेजाना चाहता नहीँ."

" भविष्य फिर भी .......मेरे व मेरे परिजनो के सत्य को इस कक्ष के माध्यम से जाना जा सकता है.जिसके माध्यम से मीडिया व समाज को भविष्य के लिए एक मैसेज तो जाएगा."

" ठीक है!"

" थैँक यू!"


बिन्दुसार वम्मा व उसके परिजनोँ के परीक्षण के साथ साथ भविष्य त्रिपाठी विपक्ष के कुछ व्यक्तियोँ का परीक्षण करने मेँ सफल हुआ.जिसके आधार पर भविष्य त्रिपाठी ने बिन्दुसार त्रिपाठी व उसके परिजनोँ के निर्दोष होने की रिपोर्ट मीडिया व कुछ अन्य संस्थाओँ को दी जिसका पीस पार्टी व कुछ वैज्ञानिक संस्थाओँ के अलावा किसी ने समर्थन नहीँ किया.कुछ राजनैतिक दलालोँ व अपने बहनोई के कूटनीतिक सहयोग से पुलिस बिन्दुसार वम्मा व उसके परिजनोँ को गिरफ्तार करने मेँ सफल हुई.आगे चल कर बिन्दुसार वम्मा को अदालत के द्वार आजीवन काराबास की सजा सुनायी गयी ,उसके अन्य परिजनोँ को निर्दोष साबित कर छोँड़ दिया गया.

लगभग पन्द्रह साल बाद ऐसी घटनाएँ घटी जिन्होँने साबित कर दिया कि बिन्दुसार वम्मा निर्दोष है.अब तो मशीनेँ ही न्याय करने लगी थी.इन्सान तो मतभेद ,स्वार्थ, भ्रम शंका, अफवाह ,दबाव, आदि मेँ आकर अन्याय ही करता आया था.


भविष्य त्रिपाठी धरती पर आ कर सेरेना की ओर चल दिए.

कोई टिप्पणी नहीं: