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गुरुवार, 16 सितंबर 2021

अंतर दम?!#अशोकबिन्दु


 अब ये तन?

हालात हाड़ मास तन के,

क्या  हो रहे हैं?

वक्त जिसमें गुजरा-

वक्त जिन विचारों में गुजरा-

वक्त जिन भावों में गुजरा-

आज वो बोझ बन गया है।

नानक कहा बिचारा-

दुखिया है संसार सारा,

बस, वही है सुख में जो खुदा में, 

दुखियारी तो सारी दुनिया है।

हालात ये क्या हो रहे हैं?

क्या है जज्बा अंदर?

कभी कभी सच बो नहीं होता-

जो दिखता है,

असलियत तो अंदर थी,

जो आज उभरता है।

सम्बंध-

अपने तन से!

सम्बन्ध-

अन्य तन से!

सम्बन्ध -

जगत की वस्तुओं से!

सम्बन्ध यदि निष्काम है -

तो कुछ और बात?

सम्बन्ध यदि काम है-

तो कुछ और बात है?

जिस नजर से हम जीते हैं,

वही हमारा असल जीवन हो जाता है,

जो अभी तक करते थे दिखावा,

वह भी करना अब मुश्किल है;

आदतें ही जीवन की असलियत बन जाती हैं,

हर रोज जो जिये जो दिनचर्या-

वह ही आज मुसीबत बनी है।

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