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शनिवार, 25 अगस्त 2018

विलियम थॉमस/कुमार योगेश का आगाज!! @@@@@@@@@@@@@@@@ चंद सवाल हैं युवाओं से। --------------------------- क्या आप ऐसी ससुराल चाहते हैं जो आपको दामाद होने की इज्जत तो दे लेकिन बेटा होने का अंतरंग अहसास न दे ? क्या आप ऐसी बीवी लाना चाहते हैं जो बहू तो बन जाए बेटी कभी नहीं ? ड्रैकुला की तरह आपके बाप ने उसके बाप का सारा खून चूस लिया फिर भी आप उससे सीता बनने की ख्वाहिश चाहते हैं ? क्या आप चाहेंगे कि आपकी बीवी का बाप दोनों हाथों से लुटाता रहे और आपका बाप उसे खसोटता रहे ?अगर वो ऐसा ही धन-कुबेर था तो उसने आपके जैसे के साथ सम्बन्ध ही क्यों किया ?उसके मुंह को जाता निवाला छीन क्या आपकी भूख मिट जाएगी ? No Sir, No !!! दोनों परिवार आर्थिक रूप से क्यों टूट रहे हैं ? थोड़ा रुकिए, सोचिये,समझिए और फैसला कीजिये। . युवा और बुजुर्ग दोनों कभी दिल थामते हैं ,कभी सिर ! लड़कीवाले पास भी नहीं फटकते क्योंकि आपने लालच और लिप्सा की लक्ष्मण-रेखा खींच रखी है। मन की व्याकुलता और क्लेष युवाओं को चारों ओर नज़र दौड़ाने के लिए वाध्य कर देती है। उसकी धमनियों से जो demand आ रही है वो उसे उद्विग्न कर रही है। ऐसे में किसी नारी तन पर निगाह चस्पां हो जाती है और आँखों में सुहागरात के सपने थिरकने लगते हैं और सारे रीति-रिवाजों को ठोकर मारकर युवा विद्रोह कर बैठता है अंतर्जातीय विवाह करके। वो जानता है कि ऐसे बाप की छत्र-छाया में तो वो ता जिंदगी कुंवारा ही बैठा रह जाएगा। बुजुर्गवार ! ऐसी स्थिति आने से पहले अपने पैंतरे बदलिये !अपना नजरिया और अपना स्वभाव बदलिये। अपनी संस्कृति,शिष्टाचार और अनुशासन को बचाना है तो स्वयं की बुनियाद सही कीजिये। कहीं आपकी हठधर्मिता के कारण आपके बेटे ने भी अंतर्जातीय विवाह कर लिया तो रिश्तेदार,मित्र और परिचित प्रत्यक्षतः तो आपसे सहानुभूति बरतेंगे और पीठ फेरते ही नाक-भौं सिकोड़ेंगे और फब्ती कसेंगे। सम्बन्ध हो गया तो ऐसे नए रिश्तेदारों पर आप हावी न हो पाएंगे वे ही आप पर भारी पड़ेंगे। . इन पंक्तियों के लेखक के पास आज भी दसियों ऐसे ऑफर हैं -- असमी ,बंगाली ,नेपाली कोई भी लड़की देखो ,सिर्फ 'वो' न हो। 'वो' हुई या हुआ तो किब्ला 'अल्ला तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम' ! थोथी मर्यादा, बड़प्पन की मानसिकता ,आडम्बर का मुखौटा और भी ना जाने कितनी झिल्लियों तले आपकी आत्मा कराह रही है। आप जहर के घूंट दर घूंट पीए जा रहे हैं और एक बिंदास , बेलौस और बेलाग जिंदगी से महरूम हो रहे हैं। कहीं अंदर से उभरी हुई मुस्कान आंखों तक पहुंचते पहुंचते दम तोड़ देती है। आखिर अपनी सलीब अपने ही कन्धों पे ढोने की क्या लाचारी है ? मेरे भाई ! जीना है तो ठेठ जीओ। बेबाक और झक्कास बोलो , " मुझे जो ठीक लगा मैंने किया" ! इतने खर्च समेटो और पांच वस्त्रों में 'बेटी' लाओ। खुद भी जीओ ,उस बेटी के बाप को भी जीने दो।

विलियम थॉमस/कुमार योगेश का आगाज!!
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चंद सवाल हैं युवाओं से।
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क्या आप ऐसी ससुराल चाहते हैं जो आपको दामाद होने की इज्जत तो दे लेकिन बेटा होने का अंतरंग अहसास न दे ? क्या आप ऐसी बीवी लाना चाहते हैं जो बहू तो बन जाए बेटी कभी नहीं ? ड्रैकुला की तरह आपके बाप ने उसके बाप का सारा खून चूस लिया फिर भी आप उससे सीता बनने की ख्वाहिश चाहते हैं ? क्या आप चाहेंगे कि आपकी बीवी का बाप दोनों हाथों से लुटाता रहे और आपका बाप उसे खसोटता रहे ?अगर वो ऐसा ही धन-कुबेर था तो उसने आपके जैसे के साथ सम्बन्ध ही क्यों किया ?उसके मुंह को जाता निवाला छीन क्या आपकी भूख मिट जाएगी ? No Sir, No !!! दोनों परिवार आर्थिक रूप से क्यों टूट रहे हैं ? थोड़ा रुकिए, सोचिये,समझिए और फैसला कीजिये।
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युवा और बुजुर्ग दोनों कभी दिल थामते हैं ,कभी सिर !
लड़कीवाले पास भी नहीं फटकते क्योंकि आपने लालच और लिप्सा की लक्ष्मण-रेखा खींच रखी है। मन की व्याकुलता और क्लेष युवाओं को चारों ओर नज़र दौड़ाने के लिए वाध्य कर देती है। उसकी धमनियों से जो demand आ रही है वो उसे उद्विग्न कर रही है। ऐसे में किसी नारी तन पर निगाह चस्पां हो जाती है और आँखों में सुहागरात के सपने थिरकने लगते हैं और सारे रीति-रिवाजों को ठोकर मारकर युवा विद्रोह कर बैठता है अंतर्जातीय विवाह करके। वो जानता है कि ऐसे बाप की छत्र-छाया में तो वो ता जिंदगी कुंवारा ही बैठा रह जाएगा। बुजुर्गवार ! ऐसी स्थिति आने से पहले अपने पैंतरे बदलिये !अपना नजरिया और अपना स्वभाव बदलिये। अपनी संस्कृति,शिष्टाचार और अनुशासन को बचाना है तो स्वयं की बुनियाद सही कीजिये। कहीं आपकी हठधर्मिता के कारण आपके बेटे ने भी अंतर्जातीय विवाह कर लिया तो रिश्तेदार,मित्र और परिचित प्रत्यक्षतः तो आपसे सहानुभूति बरतेंगे और पीठ फेरते ही नाक-भौं सिकोड़ेंगे और फब्ती कसेंगे। सम्बन्ध हो गया तो ऐसे नए रिश्तेदारों पर आप हावी न हो पाएंगे वे ही आप पर भारी पड़ेंगे।
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इन पंक्तियों के लेखक के पास आज भी दसियों ऐसे ऑफर हैं -- असमी ,बंगाली ,नेपाली कोई भी लड़की देखो ,सिर्फ 'वो' न हो। 'वो' हुई या हुआ तो किब्ला 'अल्ला तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम' ! थोथी मर्यादा, बड़प्पन की मानसिकता ,आडम्बर का मुखौटा और भी ना जाने कितनी झिल्लियों तले आपकी आत्मा कराह रही है। आप जहर के घूंट दर घूंट पीए जा रहे हैं और एक बिंदास , बेलौस और बेलाग जिंदगी से महरूम हो रहे हैं। कहीं अंदर से उभरी हुई मुस्कान आंखों तक पहुंचते पहुंचते दम तोड़ देती है।
आखिर अपनी सलीब अपने ही कन्धों पे ढोने की क्या लाचारी है ?
मेरे भाई ! जीना है तो ठेठ जीओ। बेबाक और झक्कास बोलो , " मुझे जो ठीक लगा मैंने किया" ! इतने खर्च समेटो और पांच वस्त्रों में 'बेटी' लाओ। खुद भी जीओ ,उस बेटी के बाप को भी जीने दो।

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