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शनिवार, 12 अप्रैल 2014

जाति , मजहब व धर्मस्थलोँ को तोड़ौ ?

वर्तमान मेँ सभी समस्याओँ की जड़ है - अज्ञानता. हमने अपने ज्ञान से
अनुभव किया है कि हम व जगत के दो अंश हैँ - प्रकृतिअंश व ब्रह्मांश.
जिसकी कोई जाति , मजहब व धर्मस्थल नहीँ. यदि हमेँ अपना भला करना है तो
हमे अपने इन दोनोँ अंशोँ का सम्मान करना होगा. निर्जीव वस्तुओँ व
व्यवस्थाओँ के लिए इन दोनोँ अंशोँ का अपमान काफिरोँ का कार्य है.


उठो जागो . काफिरोँ को कुचलो .. लोभ काम धर्म के दुश्मन हैँ . हमेँ
जरुरत है ऐसे मो ..गजनबियोँ की जो तथाकथित धर्मस्थलोँ को लृट कर गरीबोँ
के लिए आर्थिक ढांचा खड़ा कर सके .
www.antaryahoo.blogspot.com

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संस्थापक <
manavatahitaysevasamiti,u.p.>

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