हमारे लिए रमजान है-वह दशा जो खुदा की याद में है। जो प्राण में रमी है।
श्रीमद्भगवदगीता में श्रीकृष्ण के माध्यम महाकाल का विश्व रूप या विराट रूप हमें अभेद का संदेश देता है।औऱ उस दशा की ओर संकेत करता है जिसमें हम नगेटिव व पॉजीटिव दोनों से ऊपर उठता है।
महाभारत के बाद हमारे लिए पहली आध्यात्मिक क्रांति है- हजरत इब्राहिम (लगभग 2000 ई0पूर्व)..!!
हमारी नजर में इस्लाम शब्द हो सकता है कि दुनिया की नजर में नया न हो लेकिन इस्लाम एक विचार,दर्शन ,एक आंतरिक दशा के रुप में सदा से है।हमसे कोई पूछता है-इस्लाम क्या है तो हम कहते हैं-" वह जमात जो पुनर्जन्म से मुक्त है।
सुना जाता है मोहम्मद साहब सपरिवार साल में एक बार 30-40 दिन हिरा की पहाड़ी की गुफा में रहकर व्रत में रहते थे। उस समय 30-40 दिन चन्द्रायण व्रत ,काया कल्प व्रत आदि की परंपरा साधकों में थी। ऐसा भी सुना जाता है कि उन दिनों अनेक विषम परिस्थियों से लोगों को गुजरना पड़ता था। वास्तव में ईमान में जीने वालों के लिए दुनिया हमेशा एक भयानक जंगल की तरह रही है।
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