श्रीअर्द्धनारीश्वर अवधारणा व अन्य आध्यात्मिक चिंतन से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि चेतना हर बिंदु पर दो सम्भावनाएं रखती है। प्रकृति व उसकी विविधता में ऐसा है ही।
ये जगत पक्ष - विपक्ष का सम्मिलन है। अकेला पक्ष या विपक्ष अराजकता को जन्म देता है इस भौतिक जीवन में।
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