अनेक महापुरुषों ने विश्व सरकार की वकालत की है ।ऐसे में विश्व बंधुत्व वसुधैव कुटुंबकम की भावना के सामने देशद्रोह क्या है देशभक्ति क्या है ?
विदेश से सम्पर्क व व्यवहार की नियति महत्वपूर्ण है। लेकिन विदेश सम्पर्क व व्यवहार मानवता, आध्यत्म, देश की समस्याओं के समाधान के लिए देशद्रोह नहीं है।क्यों न सरकारें उन व्यवहारों के खिलाफ हो?सरकार भक्त होना अलग बात है और देश भक्त होना अलग बात है।
सरकार क्या है?नेता, माफिया, पूंजीपति, ठेकेदार,जाति बल, मजहब बल, नशा व्यापार पर टिकी होती है।जो विधायक,सांसद होते हैं वे जातिबल, मजहब बल, पूँजीबाद, माफियाओं, ठेकेदारों आदि के तन्त्र में ही उलझे होते है। गांव, वार्ड के गुंडे, जाति बल, माफिया आदि हम किसी न किसी नेता या दल की छत्रछाया में देखते हैं। हम तो यह भी कहेंगे कि #अल्पसंख्यक #आतंकवाद की परिभाषा पर पुनर्विचार होना चाहिए।
#आजादी पर चर्चा होनी चाहिए।
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