हमें अनेक लोग मिल जाते हैं जो अपने को सनातनी कहते हैं। लेकिन उनका कोई भी आचरण , कोई भी विचार , कोई भी भाव हमें सनातनी नहीं दिखता। हम तो यही कहेंगे कि अभी हम सोच ,भावना ,विचार ,नजरिया, समझ आदि से बिल्कुल सनातनी नहीं है । अपने को जो हिंदू कहता है, मुसलमान कहता है या अपने को जो जाति मजहब से जोड़ता है उसे हम सनातनी नहीं कह सकते। गीता में.... चलो गीता को छोड़ो, वेद में सनातनी किसे कहा गया है ?सनातन किसे कहा गया है?
काहे को शिक्षित? काहे को शिक्षक?काहे को प्रेरणादायक?काहे को ज्ञानी?काहे को प्रेमी? जो अपने को नहीं जानता वह अपने हित करेगा भी क्या? फिर काहे का शिक्षित?शिक्षक?प्रेरणादायक?
किसी सीरियल में देखा है, आश्रम में गुरुकुल में कुछ बच्चे पढ़ने जाते हैं तो उन्हें पहले शुरुआत में ही बताया जाता है तुम कौन हो
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