#पिछले कुछ वर्षों से स्त्री-- पुरूष #समानता की बात उठाई जा रही है!
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
और मुझे ये नहीं #समझ में आता कि जब उस विधाता ने ही स्त्री को पुरुष से अलग और श्रेष्ठ बनाया है,, तो समानता की जरूरत क्या है??
क्यों वो अपने स्वभाव से नीचे गिरकर पुरुष के बराबर आना चाहती है,,
शायद मुझे लगता है ये समानता अधिकारों को लेकर है,,,
यानी स्त्री को भी पुरुष के समान इज्जत और अधिकार मिलें,,
इनमें से अधिकार बराबर मिलने चाहिए,, यह जरूरी है,, लेकिन कौनसे??और कितने??यह विचारणीय है,
.
और इज्जत यानी सम्मान तो स्त्री का निश्चित तौर पर ज्यादा है ही,, होना भी चाहिए,, मैंने पूरे देश में माता के हजारों मंदिर देखे हैं,,,और कहीं भी पापा का मंदिर नहीं देखा,,इसका कारण ये है कि पिता होना बड़ी बात नहीं है,,,
.
बड़ी बात है माता होना,,
अभी कुछ दिमाग से पैदल आधुनिक लड़कियाँ बराबरी या समानता का अर्थ कुछ और ही लगा बैठी हैं,,
वे लड़को जैसे बाल रखती हैं,, सिगरेट पीती हैं,,
दिल्ली, चंडीगढ़, बॉम्बे आदि में तो बियर और शराब भी पीती हैं,,
नाईट क्लब में हुड़दंग मचाती हैं,,
मुँह में हाथ डालकर सीटियां बजाती हैं,,
गाली गलौज भी करती हैं,,
और इसे वे समानता समझती हैं,,
ये समानता नहीं है मेरी बहन,,,
वास्तव में समान होने के चक्कर में तुम दूसरा #पुरुष बन गई हो,,
# बच्चे पैदा करने वाला पुरुष,,
.
ये समान होना नहीं है,,खुद का अस्तित्व इतना सुंदर और पवित्र होते हुए भी दूसरे जैसा बनना पागलपन # विक्षिप्त होने की निशानी है,,
फटे हुए कपड़े पहनती हैं,,और कपड़े क्या,
कपड़ो के नाम पर # चिथड़े समझो,,
कहती हैं हम कैसे भी कपड़े पहनें,,
तुम अपनी सोच ठीक रखो ,,
कम कपड़े पहनना और सार्वजनिक स्थानों पर #बेशर्मी से टहलना,,,
इसे वे आधुनिकता का नाम देती हैं,,
.
अगर कम कपड़े पहनना आधुनिक होने की निशानी है तो,, गाय, भैंस, गधी,, ये सब तो बिना कपड़ों के रहती हैं,,
फिर तो #गधी को परम् आधुनिक मानना चाहिए,, वो आधुनिकता की # रोलमॉडल होनी चाहिए,, क्योकि वह तो सदियों से,, बल्कि सृष्टि के आरम्भ से निर्वस्त्र है,,,
.
इससे बचो मेरी बहनों,,बराबरी और आधुनिकता के चक्कर में कहाँ??
किस चक्रव्यूह में फंस गई तुम ये तुम्हे भी नहीं पता,,
अपना अस्तित्व खोकर दूसरा पुरुष बनना शोभा नहीं देता।
आप मेरे बात से सहमत हो या असहमत अपना मत अवश्य प्रकट करें!
अगर किसी को इस पोस्ट से तकलीफ हुई है तो हमे क्षमा करे
@विलियम थॉमस
Fb पोस्ट से....
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
और मुझे ये नहीं #समझ में आता कि जब उस विधाता ने ही स्त्री को पुरुष से अलग और श्रेष्ठ बनाया है,, तो समानता की जरूरत क्या है??
क्यों वो अपने स्वभाव से नीचे गिरकर पुरुष के बराबर आना चाहती है,,
शायद मुझे लगता है ये समानता अधिकारों को लेकर है,,,
यानी स्त्री को भी पुरुष के समान इज्जत और अधिकार मिलें,,
इनमें से अधिकार बराबर मिलने चाहिए,, यह जरूरी है,, लेकिन कौनसे??और कितने??यह विचारणीय है,
.
और इज्जत यानी सम्मान तो स्त्री का निश्चित तौर पर ज्यादा है ही,, होना भी चाहिए,, मैंने पूरे देश में माता के हजारों मंदिर देखे हैं,,,और कहीं भी पापा का मंदिर नहीं देखा,,इसका कारण ये है कि पिता होना बड़ी बात नहीं है,,,
.
बड़ी बात है माता होना,,
अभी कुछ दिमाग से पैदल आधुनिक लड़कियाँ बराबरी या समानता का अर्थ कुछ और ही लगा बैठी हैं,,
वे लड़को जैसे बाल रखती हैं,, सिगरेट पीती हैं,,
दिल्ली, चंडीगढ़, बॉम्बे आदि में तो बियर और शराब भी पीती हैं,,
नाईट क्लब में हुड़दंग मचाती हैं,,
मुँह में हाथ डालकर सीटियां बजाती हैं,,
गाली गलौज भी करती हैं,,
और इसे वे समानता समझती हैं,,
ये समानता नहीं है मेरी बहन,,,
वास्तव में समान होने के चक्कर में तुम दूसरा #पुरुष बन गई हो,,
# बच्चे पैदा करने वाला पुरुष,,
.
ये समान होना नहीं है,,खुद का अस्तित्व इतना सुंदर और पवित्र होते हुए भी दूसरे जैसा बनना पागलपन # विक्षिप्त होने की निशानी है,,
फटे हुए कपड़े पहनती हैं,,और कपड़े क्या,
कपड़ो के नाम पर # चिथड़े समझो,,
कहती हैं हम कैसे भी कपड़े पहनें,,
तुम अपनी सोच ठीक रखो ,,
कम कपड़े पहनना और सार्वजनिक स्थानों पर #बेशर्मी से टहलना,,,
इसे वे आधुनिकता का नाम देती हैं,,
.
अगर कम कपड़े पहनना आधुनिक होने की निशानी है तो,, गाय, भैंस, गधी,, ये सब तो बिना कपड़ों के रहती हैं,,
फिर तो #गधी को परम् आधुनिक मानना चाहिए,, वो आधुनिकता की # रोलमॉडल होनी चाहिए,, क्योकि वह तो सदियों से,, बल्कि सृष्टि के आरम्भ से निर्वस्त्र है,,,
.
इससे बचो मेरी बहनों,,बराबरी और आधुनिकता के चक्कर में कहाँ??
किस चक्रव्यूह में फंस गई तुम ये तुम्हे भी नहीं पता,,
अपना अस्तित्व खोकर दूसरा पुरुष बनना शोभा नहीं देता।
आप मेरे बात से सहमत हो या असहमत अपना मत अवश्य प्रकट करें!
अगर किसी को इस पोस्ट से तकलीफ हुई है तो हमे क्षमा करे
@विलियम थॉमस
Fb पोस्ट से....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें