21 अक्टूबर 1943::आजाद हिन्द सरकार की स्थापना!
.
.
द्वितीय विश्व युद्ध पर चर्चा हमारे लिए नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के बिना अपूर्ण है. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के स्मरण मात्र से मन रोमांचित हो उठता है.21 अक्टूबर 1943 को उनके द्वारा स्थापित अस्थायी आजाद हिन्द सरकार के स्थापना दिवस पर हम कुछ कहना चाहेंगे.
यह सिद्ध हो चुका हैं कि त्तथाथित विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु नहीं हुई थी.वह वायुयान दुर्घटना ही फर्जी थी. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान
आजाद हिन्द फ़ौज की सर्वोच्च कमान संभालने के लिए सुभाष बाबू को सिंगापुर लाया गया.उन्हें जहाँ नेता जी नाम से सम्बोधित किया गया.उनकी उपस्थिति में 21 अक्टूबर 1943 को स्वतन्त्र भारत के लिए स्थायी सरकार का गठन किया गया.जिसे कम से कम o7 देशों ने मान्यता दी.
जापान सरकार की सेना व आजाद हिन्द सरकार की सेना ने अंडमान निकोबार द्वीप पर विजय प्राप्त की.रंगून को राजधानी व फ़ौज का कमांड बनाया गया.वर्मा में भी उनकी जीत हुई और भारत में प्रवेश किया. कांग्रेस,अमेरिका,ब्रिटेन आदि बेचैन हो उठे.जापान में अमेरिकी परमाणु बम बर्षा ने उन्हें प्रभावित किया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी . जब वे बापस जाने लगे तो उनका मजाक उड़ाया गया. उन्होंने कहा -- 04 फरबरी का इंतजार कीजिए.फरबरी 1946 से नौ सेना बिद्रोह प्रारम्भ हुआ.ब्रिटिश सरकार के भारतीय स्तम्भ बिरोध में खड़े हो गए.ब्रिटिश सरकार ने आजाद हिन्द सरकार व फ़ौज को अपराधी घोषित किया. पूरा देश उठ खड़ा हुआ.गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पहले ही सुभाष मय हो चुका था.सुभाष जी के प्रयत्नों के कटु आलोचक कांग्रेसी आजाद हिन्द सरकार व फ़ौज के समर्थन में आ गए.कांग्रेस ने भूला भाई देसाई ,श्री तेज बहादुर सप्रू,आसफ अली सरीखे प्रसिद्ध वकीलों को लेकर आजाद हिन्द फ़ौज बचाव समिति का गठन किया. नेहरू व जिन्ना ने भी वकील का चोंगा धारण किया.
वर्तमान में अनेक संघठन के अनुसार सुभाष जी को भी राष्ट्र सङ्घ ने अंतर्राष्ट्रीय अपराधी घोषित किया .सुभाष जी ने अपनी एक पुस्तक --"द इंडियन स्ट्रगल " . जिसमें उन्होंने अपने जीवन के कुछ अनुभवों का वर्णन किया है.
भारत सरकार ने सन् 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया था लेकिन उनके परिजनों ने " मरणोपरांत" शब्द पर आपत्ति की और विरोध किया तब अदालत ने 04अगस्त 1997 को इस पुरुस्कार को रद्द कर दिया.
ममता बनर्जी सरकार ने कुछ सम्बंधित फाइल्स उजागर की है. लेकिन अंदरुनी एक खबर ये भी है कि आजाद हिन्द सरकार व फ़ौज के कुछ सिपाही इस पर नाराज है. वे सन् 2022 तक नेता जी सम्बन्धी फाइल्स उजागर होना नहीं चाहते.हालांकि केंद्र सरकार ने 23 जनबरी 2016 से फाइल्स उजागर करनें की घोषणा की है. जो भी हो लोग उनको लेकर अब भी उत्साहित हैं और आजाद हिन्द फ़ौज का पुनर्गठन चाहते है,यदि आवश्यकता पड़ी तो.....जय हिंद !!!!
ashok kumar verma "bindu"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें