अपराधियों को किसी तरह का सहयोग करने वाला यदि अपराधी है तो भ्रष्ट नेताओं को चुनने वाली जनता अपराधी क्यों नहीं ? यदि अपराधी है तो क्या उसके खिलाफ कानुनी कार्यवाही हेतु विधेयक नहीं आना चाहिए ? जाति, मजहब, निजस्वार्थ, आदि के कारण यदि जनता किसी अपराध में दोषी पाये नेता को समर्थन देती है तो उसे कानूनी अपराधी क्यों न माना जाये ? ग्रामीण क्षेत्र मेँ एक कहावत है कि ' जो छिनरा वही डोली संग ' . ऐसा ही कुछ देश की डोली (इज्जत) के संग है .देश व विभिन्न संस्थाओं के रहनुमाओं की जो कण्डीशन है,वह बड़ी अफोससजनक है.हर कोई यहां अपराधी है .जाति,मजहब,इज्जत,अहंकार,निज स्वार्थ व
सामाजिकता के बहाने दूसरों को कष्ट देने वालों की मदद करने वाले नेता व स्वयं ऐसा करने वाले नेता क्या अपराधी नहीं हैं ?अपराधी तो हैं लेकिन इनके खिलाफ सबूत व गवाह नहीं हैं.मात्र शिकायत पर उनके खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए.नार्को व ब्रेन परीक्षण अनिवार्य करके ऐसे अपराधों से निपटा जाना चाहिए.प्रत्येक कर्मचारी व नेता के लिए सैनिकों की भांति शारीरिक मानदण्ड बनने चाहिए.भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन व सामाजिकता के DANSH से बचने के लिए नियुक्ति के समय व प्रत्येक छ महीने बाद कर्मचारियों,नेताओं,आदि का नारको ब्रेन व शारीरिक परीक्षण किया जाना चाहिए . द्वेष,ईर्ष्या, निज स्वार्थ ,मनमानी,आदि का व्यवहार करने वालों को मानसिक अस्वस्थ मान कर विभिन्न नियुक्तियों व प्रत्याशी चयन के वक्त रोक होना चाहिए.लेकिन स्वार्थ की रोटियां सेंकने वाले नेता,आदि व नेताओं से बेईमानी व अपने कुकृत्यों का पक्ष रख वाने वाले लोग ऐसा कब चाहेंगे ?
दुनियां व देश को संभालने वाले दो प्रतिशत से भी कम हुए हैं शेष तो भेंड़ की चाल चले हैं या तटस्थ रहे हैं.अन्ना हजारे व बाबा रामदेव देश पर जो बात कर रहे हैं वह क्या तुम्हारे उसूलों के खिलाफ हैं?यदि हाँ ,तो तुम देश के भावी इतिहास में एक कलंक साबित होने वाले हो.राहुल गांधी जी तुम कहां हो?आज की युवा पीड़ी का क्या नेतृत्व नहीं करना?या फिर विदेशी ऐजेंटों के निर्देशों का इन्तजार कर रहे हो ?भ्रष्टाचार व काला धन क्या कुत्ते के गले की हड्डी की तरह हो गया है क्या कि न निगलते बनता है न ही उगते ?
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