आज कल सामजिकता व राजनीति इंसान व इंसानियत को ठग रही है।
भीड़ में खड़ा इंसान व उसकी इंसानियत के बुरे दिन चल रहे हैं लेकिन सिर्फ इंसान समाज में। प्रकृति व ईश्वरता उसके साथ ही खड़ी है।
समाज आज की तारीख में किसके साथ खड़ा है? जाति, मजहब, लोभ लालच, अपराध आदि के साथ। इंसान व उसकी इंसानियत भीड़ में नितांत अकेले है।
समाज में जो भी आचरण हैं वे सब जातिवाद, मजहबवाद,अंध विश्वसों आदि की ही जटिलता को बनाये रखना चाहते हैं।
एक इंसान, उसकी इंसानियत की नजर में ,प्रकृति की नजर में इंसानी समाज खतरा है।
समाज जिसके साथ खड़ा होना चाहिए, उसके साथ नहीं खड़ा है।निर्बल कमजोर, अल्पसंख्यक आदि के साथ समाज को हम खड़ा नहीं पाते ।
#अशोकबिन्दु
कबीरा पुण्य सदन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें