तथाकथित हिन्दू समाज में वर्तमान वर्ग!
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हिन्दू समाज में कुछ लोग ऐसे खड़े हो रहे हैं जो हिंदुत्व हिंदुत्व चीखते नजर आते हैं।लेकिन वोट पाने व दान चन्दा इकट्ठा करने के अलावा उन्हें उनसे मतलब नहीं है जिनसे वे हिंदुत्व की वकालत करते नजर आते हैं या हिंदुत्व के ठेकेदार बनते हैं। तथाकथित हिन्दू समाज की समस्याओं के निदान से मतलब नहीं होता,जाति व्यवस्था को समाप्त करने की मुहिम से इन्हें मतलब नहीं होता। विभिन्न चुनाव में नजर आने वाले प्रत्यशियों को भी समाज सेवा व हिन्दू समाज की समस्याओं से मतलब नहीं होता।
वर्तमान इन तथाकथित हिन्दू समाज में अनेक वर्ग देखने को मिलते है। जैसे-
@शहर के अमीर व गरीब व्यक्ति
@गांव के अमीर व गरीब व्यक्ति
@ब्राह्मण वर्ग
@ब्राह्मण केंद्रित सवर्ण वर्ग
@आर्य समाज, आर एस एस आदि संस्थाओं से प्रभावित वर्ग
@संविधान स्वीकृत पिछड़ा वर्ग
@संविधान स्वीकृत छूत एस सी वर्ग
@संविधान स्वीकृत अछूत एस सी वर्ग
@जन जातीय,कबीला वर्ग
@आदिवासी, वनवासी वर्ग
@ग्रामीण सहज व ग्रामीण शहर प्रभावित वर्ग
@ग्रामीण राजनीतिक वर्ग
@शहरी राजनीतिक वर्ग
@ग्रामीण राजनीतिक वर्ग समीपवर्ती वर्ग
@शहरी राजनीतिक वर्ग समीपवर्ती वर्ग
@राजनीतिक वर्ग समीपवर्ती दारूबाज,मांसाहारी वर्ग,अपराधी वर्ग
@मुसलमानों के कुकृत्यों लाभ उठाने वाले व्यक्ति
@वार्ड/गांव में कम आवादी वाले व्यक्ति व परिवार
@राजनीतिक वर्ग समीपवर्ती माफिया वर्ग
@तटस्थ कैरियरवादी वर्ग
@सरकारी कर्मचारी वर्ग
@प्राइवेट कर्मचारी वर्ग
@पूंजीवादी वर्ग
@पुरोहित वर्ग
@अन्य
इस सब के बीच 00.50 प्रतिशत व्यक्ति जो कि किसी जाति, मजहब, नेता, दल आदि से अपने को संबद्ध न कर इंसानियत, आध्यत्म, आवश्यकता,संविधान आदि को महत्व दे भीड़ तन्त्र व वर्ग तन्त्र से परे हो इस सब के बीच रह कर भी जैसे तैसे जीवन जीने वाले को उपेक्षित हो जीना पड़ता है। या इनको सम्मान देने के बाबजूद लोग इन्हें अपने जीवन मे शामिल नहीं करते।क्योकि इनसे वर्ग भेद आदि में बंटे लोगों को अपने हिसाब से उम्मीदे नहीं होती।ऐसे लोगों को समाज में तो अलग थलग देखा ही गया है परिवार में भी अलग थलग देखा गया है।
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हिन्दू समाज में कुछ लोग ऐसे खड़े हो रहे हैं जो हिंदुत्व हिंदुत्व चीखते नजर आते हैं।लेकिन वोट पाने व दान चन्दा इकट्ठा करने के अलावा उन्हें उनसे मतलब नहीं है जिनसे वे हिंदुत्व की वकालत करते नजर आते हैं या हिंदुत्व के ठेकेदार बनते हैं। तथाकथित हिन्दू समाज की समस्याओं के निदान से मतलब नहीं होता,जाति व्यवस्था को समाप्त करने की मुहिम से इन्हें मतलब नहीं होता। विभिन्न चुनाव में नजर आने वाले प्रत्यशियों को भी समाज सेवा व हिन्दू समाज की समस्याओं से मतलब नहीं होता।
वर्तमान इन तथाकथित हिन्दू समाज में अनेक वर्ग देखने को मिलते है। जैसे-
@शहर के अमीर व गरीब व्यक्ति
@गांव के अमीर व गरीब व्यक्ति
@ब्राह्मण वर्ग
@ब्राह्मण केंद्रित सवर्ण वर्ग
@आर्य समाज, आर एस एस आदि संस्थाओं से प्रभावित वर्ग
@संविधान स्वीकृत पिछड़ा वर्ग
@संविधान स्वीकृत छूत एस सी वर्ग
@संविधान स्वीकृत अछूत एस सी वर्ग
@जन जातीय,कबीला वर्ग
@आदिवासी, वनवासी वर्ग
@ग्रामीण सहज व ग्रामीण शहर प्रभावित वर्ग
@ग्रामीण राजनीतिक वर्ग
@शहरी राजनीतिक वर्ग
@ग्रामीण राजनीतिक वर्ग समीपवर्ती वर्ग
@शहरी राजनीतिक वर्ग समीपवर्ती वर्ग
@राजनीतिक वर्ग समीपवर्ती दारूबाज,मांसाहारी वर्ग,अपराधी वर्ग
@मुसलमानों के कुकृत्यों लाभ उठाने वाले व्यक्ति
@वार्ड/गांव में कम आवादी वाले व्यक्ति व परिवार
@राजनीतिक वर्ग समीपवर्ती माफिया वर्ग
@तटस्थ कैरियरवादी वर्ग
@सरकारी कर्मचारी वर्ग
@प्राइवेट कर्मचारी वर्ग
@पूंजीवादी वर्ग
@पुरोहित वर्ग
@अन्य
इस सब के बीच 00.50 प्रतिशत व्यक्ति जो कि किसी जाति, मजहब, नेता, दल आदि से अपने को संबद्ध न कर इंसानियत, आध्यत्म, आवश्यकता,संविधान आदि को महत्व दे भीड़ तन्त्र व वर्ग तन्त्र से परे हो इस सब के बीच रह कर भी जैसे तैसे जीवन जीने वाले को उपेक्षित हो जीना पड़ता है। या इनको सम्मान देने के बाबजूद लोग इन्हें अपने जीवन मे शामिल नहीं करते।क्योकि इनसे वर्ग भेद आदि में बंटे लोगों को अपने हिसाब से उम्मीदे नहीं होती।ऐसे लोगों को समाज में तो अलग थलग देखा ही गया है परिवार में भी अलग थलग देखा गया है।
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