(मानवता प्रकृति व सार्वभौमिक ज्ञान पर समाजिकता का दबाव व चोट!)
सोमवार, 15 सितंबर 2014
जाति ,मजहब व धर��मस्थल से भी ऊपर है बहुत
जो इन्सान को भेद से देखता है वह ईश्वर को देखेगा ? जाति , मजहब व धर्मस्थल से भी ऊपर है बहुत कुछ . ऐसे मेँ जाति , मजहब व धर्मस्थल के लिए उसका अपमान करना ईश्वर का अपमान है . कुदरत को छति या जीव जन्तुओ के कष्ट देना कहाँ का औचित्य है ?
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