धार्मिक स्वतंत्रता निगरानी समिति ने हाल ही में भारत मेँ भी धार्मिक स्वतंत्रता का अध्ययन किया और कहा कि इस मामले मेँ कुल मिला कर भारत की स्थिति अच्छी है.समिति ने कहा कि भारत के लोग उदार हैँ और अल्पसंख्यक निर्भीक हो कर अपने धर्म का पालन करते हैँ. उनकी धार्मिकता स्वतंत्रता पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीँ है.निगरानी समिति ने हालांकि यह भी कहा कि कुछ राज्य सरकारेँ धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाकर धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश करती है.
अमेरिका जैसा देश भी भारत की दाद देता है.हाल ही मेँ विकीलीक्स द्वारा सार्वजनिक किए गये एक गोपनीय अमेरिकी राजनयिक संदेश से भी विदेशोँ मेँ भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि स्पष्ट हो जाती है.नई दिल्ली स्थित अमेरीकी दूतावास से 2006 ई0 मेँ भेजे गए इस राजनयिक संदेश मेँ कहा गया था कि अमेरिका भारत की धर्मनिरपेक्षता से सीख ले सकता है जहाँ बहुधर्मीय, बहुसंस्कृति और बहुजातीय समाज है और अपने धार्मिक क्रियाकलापोँ को स्वतंत्र हो कर सम्पन्न करते हैँ.
बस,कुछ मुट्ठी भर लोग धर्म के नाम पे सड़क पर उन्माद फैलाने की कोशिस करते रहे हैँ लेकिन अब पब्लिक जागरुक हो रही है.वह अब एक दूसरे के रीति रिवाजोँ का सम्मान करना महसूस कर रही है व अपनी ऊर्जा को सृजनकार्य मेँ लगाने को व्याकुल है.
लेकिन...
लेकिन ऐसा क्योँ है,कब तक है ? मध्यकालीन आचरण रखने वालोँ कमी नहीँ है अब भी,जब तक हिन्दू बहुसंख्यक है तब तक ही ऐसा नहीँ क्या ? उदार कौन है? सहनशील कौन है?
यदि कहीँ पर उदारता व सहनशीलता भंग हुई है तो क्योँ?
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